अदालत ने एफसीआरए के तहत वन्यजीव अध्ययन केंद्र का पंजीकरण रद्द करने का आदेश खारिज किया |

अदालत ने एफसीआरए के तहत वन्यजीव अध्ययन केंद्र का पंजीकरण रद्द करने का आदेश खारिज किया

अदालत ने एफसीआरए के तहत वन्यजीव अध्ययन केंद्र का पंजीकरण रद्द करने का आदेश खारिज किया

:   Modified Date:  June 29, 2024 / 04:55 PM IST, Published Date : June 29, 2024/4:55 pm IST

बेंगलुरु, 29 जून (भाषा) कर्नाटक उच्च न्यायालय ने गृह मंत्रालय द्वारा विदेशी योगदान (विनियमन) अधिनियम (एफसीआरए) के तहत सेंटर फॉर वाइल्डलाइफ स्टडीज (सीडब्ल्यूएस) का पंजीकरण रद्द करने संबंधी आदेश को निरस्त कर दिया है।

वैज्ञानिक के उल्लास कारंत द्वारा स्थापित, बेंगलुरु स्थित सीडब्ल्यूएस को पांच मार्च, 2021 को एफसीआरए के तहत पंजीकरण के ‘‘निलंबन’’ का सामना करना पड़ा। इस निलंबन को बढ़ा दिया गया और बाद में तीन दिसंबर, 2021 को गृह मंत्रालय द्वारा जारी कारण बताओ नोटिस के बाद चार सितंबर, 2023 को पंजीकरण रद्द कर दिया गया।

सीडब्ल्यूएस ने पंजीकरण रद्द करने का विरोध करते हुए तर्क दिया कि यह तर्कसंगत नहीं है और ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित दिवंगत के शिवराम कारंत के पुत्र को एफसीआरए की धारा 14(2) के तहत अनिवार्य रूप से व्यक्तिगत सुनवाई का अवसर नहीं दिया गया।

गृह मंत्रालय ने इसका विरोध करते हुए कहा कि पंजीकरण रद्द करने से पहले व्यक्तिगत सुनवाई का अवसर दिए जाने की आवश्यकता नहीं है।

कर्नाटक उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति एम. नागप्रसन्ना ने कहा कि धारा 14(2) पंजीकरण रद्द करने की अनुमति देती है, वहीं धारा 14(3) संस्था को तीन साल तक फिर से पंजीकरण करने से रोकती है।

न्यायाधीश ने हाल में दिए गए आदेश में कहा, ‘‘अधिनियम में वर्णित शब्द ‘सुनवाई का उचित अवसर’ को केवल कारण बताओ नोटिस जारी करने तक सीमित नहीं किया जा सकता, बल्कि अधिनियम की धारा 14 की उपधारा (3) की विशिष्टता के कारण मामले के विशिष्ट तथ्यों पर याचिकाकर्ता को व्यक्तिगत सुनवाई का अवसर अवश्य दिया जाना चाहिए।’’

अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता को व्यक्तिगत सुनवाई का मौका न देने से यह आदेश निष्प्रभावी हो गया है। न्यायाधीश ने कहा, ‘‘इसमें कोई भ्रम नहीं होना चाहिए कि सुनवाई और व्यक्तिगत सुनवाई के बीच हमेशा एक संयोजन हो सकता है।’’

भाषा आशीष पवनेश

पवनेश

 

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