नई दिल्ली। कोरोना के कारण दो लोगों के बीचर दूरी बनाए रखने के लिए उपयोग में लाया जाने वाला सोशल डिस्टेंसिंग शब्द पर आपत्ति जताने वाली याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने उल्टा याचिकाकर्ता को कड़ी फटकार लगाते हुए 10 हज़ार रुपए का जुर्माना भी ठोक दिया है।
ये भी पढ़ें:सैलरी नहीं मिलने पर मजदूरों का हिंसक प्रदर्शन, गाड़ियों में की तोड़फोड़, SSP …
याचिकाकर्ता शकील कुरैशी ने इस शब्द को अल्पसंख्यकों के साथ भेदभाव भरा बताया था, याचिकाकर्ता की बात पर तीन सदस्यीय बेंच के सदस्य चौंक पड़े। बेंच के सदस्य जस्टिस कौल ने कहा, “आप इसमें भी अल्पसंख्यक और बहुसंख्यक का मुद्दा ढूंढ लाए? भला बीमारी से बचने के लिए किए जा रहे उपाय पर आपको क्या आपत्ति है?”
ये भी पढ़ें: पंजाब के होशियारपुर में वायुसेना का मिग-29 विमान क्रैश, पायलट सुरक्…
वकील एस बी देशमुख ने कहा, “बीमारी से लड़ने के लिए दो लोगों के बीच सुरक्षित दूरी जरूरी है, लेकिन इसे फिजिकल डिस्टेंसिंग कहना चाहिए। उत्तर प्रदेश और कुछ अन्य राज्यों में इसके लिए सोशल डिस्टेंसिंग और सामाजिक दूरी जैसे शब्द इस्तेमाल हो रहे हैं। हमारा मानना है कि यह शब्द भेदभाव भरे हैं। इससे अल्पसंख्यकों और दूसरे कमजोर तबकों से भेदभाव हो सकता है।“
ये भी पढ़ें: आलोचना करने का समय नहीं है, हमें लॉकडाउन खोलने के लिए एक रणनीति की …
सुनवाई के दौरान मौजूद सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने जजों की बताया कि अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर मान्य शब्द सोशल डिस्टेंसिंग का सरल हिंदी अनुवाद सामाजिक दूरी है। इससे किसी को आपत्ति हो गई, यह हैरान करने वाली बात है। याचिकाकर्ता पर व्यर्थ याचिका दाखिल कर कोर्ट का समय बर्बाद करने के लिए 10 हज़ार रुपए का जुर्माना भी लगाया गया।
Follow us on your favorite platform: