प्रयागराज, आठ जनवरी (भाषा) इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने हाथरस में हुई भगदड़ की घटना के मामले में जिले के तत्कालीन जिला मजिस्ट्रेट और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक को 15 जनवरी को व्यक्तिगत रूप से पेश होने होकर यह बताने का निर्देश दिया है कि इस घटना के लिए उनकी जवाबदेही क्यों ना तय की जाए।
याचिकाकर्ता मंजू देवी की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति शेखर कुमार यादव ने बुधवार को कहा, “आयोजक अपने लाभ के लिए भोली भाली जनता को बुलाते हैं और समुचित व्यवस्था ना होने के कारण ऐसी घटनाएं होती हैं। पुलिस बल, चिकित्सा आदि की समुचित व्यवस्था है या नहीं, यह देखने की जिम्मेदारी प्रशासन की होती है।”
अदालत ने कहा, “पूर्व में भी ऐसी तमाम घटनाएं देखी गई हैं कि ऐसे आयोजन में लाखों गरीब और अनपढ़ लोग श्रद्धा और विश्वास के कारण जुटते हैं और फिर भगदड़ मचने के कारण उनमें से कई की असामयिक मृत्यु हो जाती है।”
राज्य सरकार की ओर से पेश अपर शासकीय अधिवक्ता रूपक चौबे ने अदालत को बताया कि आयोजकों ने 80,000 लोगों की भीड़ का अनुमान व्यक्त करते हुए अनुमति मांगी थी, लेकिन आयोजन स्थल पर ढाई लाख लोग एकत्रित हो गए।
उल्लेखनीय है कि दो जुलाई, 2024 को हाथरस जिले के गांव फुलरई मुगलगढ़ी में सूरजपाल उर्फ भोले बाबा के अनुयायियों द्वारा आयोजित सत्संग में भगदड़ मच गई थी जिसमें 121 लोगों की जान चली गई थी और कई अन्य घायल हुए थे।
इस मामले में पोरा थाना के उप निरीक्षक बृजेश पांडेय की तहरीर पर मुकदमा दर्ज किया गया था। मामले की विवेचना के दौरान याचिकाकर्ता का नाम प्रकाश में आया था।
अदालत ने प्रयागराज में होने जा रहे महाकुम्भ 2025 को लेकर जिला प्रशासन और पुलिस प्रशासन को हाथरस की घटना से सबक लेते हुए महाकुम्भ के लिए समुचित व्यवस्था की आवश्यकता रेखांकित की ताकि जानमाल की कोई हानि ना हो।
अदालत ने सुनवाई की अगली तिथि 15 जनवरी को इस मामले को नए सिरे से पेश करने का निर्देश दिया।
भाषा राजेंद्र नरेश मनीषा
मनीषा
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