चेन्नई, तीन जनवरी (भाषा) अन्ना विश्वविद्यालय परिसर में यौन उत्पीड़न की शिकार छात्रा के लिए न्याय की मांग करते हुए मदुरै से चेन्नई तक रैली निकालने का प्रयास कर रहीं भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) महिला मोर्चा की नेताओं को शुक्रवार को पुलिस ने हिरासत में ले लिया या कुछ महिला नेताओं को ‘घर में नजरबंद’ कर दिया।
पार्टी नेता खुशबू सुंदर, तमिलनाडु महिला मोर्चा अध्यक्ष उमराथी राजन, भाजपा विधायक डॉ. सी. सरस्वती और कई महिला सदस्यों को चेन्नई में प्रदर्शन का प्रयास करते समय हिरासत में लिया गया। खुशबू और उमराथी राजन ने पुलिस कार्रवाई की निंदा की और कहा कि उन्हें पीड़िता के लिए न्याय की यात्रा शांतिपूर्ण तरीके से निकालने से रोका गया।
भाजपा के राष्ट्रीय संगठन महासचिव बी. एल. संतोष ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में सत्तारूढ़ द्रविड मुनेत्र कषगम (द्रमुक) की आलोचना करते हुए कहा, ‘‘तमिलनाडु में संविधान और लोकतंत्र के तथाकथित रक्षकों के शासन में यह स्थिति है। अन्ना विश्वविद्यालय में दुष्कर्म की घटना के विरोध में मदुरै-चेन्नई पदयात्रा निकाल रहीं महिला मोर्चा की कार्यकर्ताओं को रोकने के लिए उन्हें नजरबंद कर दिया गया।’’
मदुरै में बड़ी संख्या में भाजपा महिला कार्यकर्ताओं ने छात्रा के समर्थन में प्रदर्शन किया। एक महिला कार्यकर्ता ने तमिल महाकाव्य सिलापथिकारम की पात्र कण्णगि (जिसने न्याय की मांग की थी) की तरह खुद को सजाया और क्रिसमस की पूर्व संध्या पर विश्वविद्यालय परिसर में यौन उत्पीड़न का शिकार हुई 19 वर्षीय छात्रा के लिए न्याय की मांग की।
भाजपा के राज्य प्रमुख के. अन्नामलाई ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘न्याय की मांग करने वाली हमारी आवाज को दबाने के लिए द्रमुक सरकार द्वारा किए गए प्रयासों के बावजूद भाजपा की हमारी बहादुर बहनें मदुरै में एकत्र हुई हैं।’’
अन्नामलाई ने एक अन्य पोस्ट में घर पर नजरबंद महिला नेताओं की तस्वीरें साझा की और कहा कि ‘तमिलनाडु में इस द्रमुक सरकार के तहत, हिस्ट्रीशीटर और यौन अपराधी खुलेआम घूमते हैं’ लेकिन लोगों की आवाज उठाने के लिए भाजपा पदाधिकारियों को लगातार परेशान किया जा रहा है।
तमिलनाडु और कर्नाटक के भाजपा के राष्ट्रीय सह प्रभारी डॉ. पोंगुलेटी सुधाकर रेड्डी ने कहा कि शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शनों का यह दमन, पीड़ितों के साथ खड़े होने में द्रमुक सरकार की विफलता को दर्शाता है।
उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री एम. के. स्टालिन को नैतिक जिम्मेदारी लेनी चाहिए और मामले को केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) को सौंपना चाहिए या छात्रा पर यौन उत्पीड़न की निष्पक्ष जांच के लिए मौजूदा एक न्यायाधीश का गठन करना चाहिए।
भाषा यासिर मनीषा नरेश
नरेश
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