नयी दिल्ली, तीन नवंबर (भाषा) राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने उत्तर प्रदेश में अफ्रीकी कैटफिश के कथित अवैध प्रजनन और पालन के खिलाफ कार्रवाई का आदेश दिया है।
‘क्लेरियस गैरीपिनस’, जिसे आम बोलचाल की भाषा में अफ्रीकी कैटफिश या थाई मांगुर के नाम से जाना जाता है, भारत में प्रतिबंधित है तथा इसके पालन और प्रजनन की भी अनुमति नहीं है।
हरित अधिकरण एक याचिका पर सुनवाई कर रहा है जिसमें दावा किया गया है कि गाजियाबाद जिले के शाहपुर निज मोर्टा गांव में दो लोग मछली की प्रतिबंधित किस्म का प्रजनन कर रहे थे।
हाल में एक आदेश में, राष्ट्रीय हरित अधिकरण के अध्यक्ष न्यायमूर्ति प्रकाश श्रीवास्तव की पीठ ने अधिकरण के 2019 के एक आदेश का उल्लेख किया, जिसके अनुसार, ‘‘विदेशी मछलियों पर राष्ट्रीय समिति और संबंधित राज्य सरकार की मंजूरी के बिना विदेशी मागुर (कैटफिश) के प्रजनन की अनुमति नहीं है, क्योंकि इससे हमारे देश में पारिस्थितिकी को नुकसान पहुंचने की संभावना है।’’
पीठ में न्यायिक सदस्य न्यायमूर्ति अरुण कुमार त्यागी और विशेषज्ञ सदस्य ए सेंथिल वेल भी शामिल हैं। पीठ ने कहा कि विदेशी कैटफिश या इसकी संकर थाई मागुर के प्रजनन से संबंधित मामले का अधिकरण ने प्रतिबंध लगाकर निस्तारण कर दिया है।
पीठ ने कहा, ‘‘हम मूल अर्जी का निस्तारण करते हैं और मत्स्य विभाग के निदेशक को शिकायत पर उचित विचार करने तथा अधिकरण के (पिछले) आदेश के अनुसार आवश्यक कार्रवाई करने का निर्देश देते हैं। निदेशक निरीक्षण करेंगे और यदि अर्जी देने वाले का आरोप सही पाया जाता है, तो उसके बाद आवश्यक कार्रवाई की जाएगी।’’
भाषा सुभाष रंजन
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