Grape 4 will remain applicable in Delhi

Delhi Air Pollution: राजधानी में लागू रहेगा ग्रैप 4, सुप्रीम कोर्ट ने ढील देने से किया इनकार

Delhi Air Pollution: सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली में प्रदूषण कम करने के लिए लागू GRAP-IV के नियमों में ढील देने से इनकार कर दिया है।

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Modified Date: December 2, 2024 / 05:17 PM IST
Published Date: December 2, 2024 5:17 pm IST

नई दिल्ली: Delhi Air Pollution: देश की राजधानी दिल्ली में वायु प्रदूषण काम होने का नाम नहीं ले रहा है। इसी बीच सुप्रीम कोर्ट ने देश की राजधानी दिल्ली में प्रदूषण कम करने के लिए लागू GRAP-IV के नियमों में ढील देने से इनकार कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि ढील तभी मिलेगी जब प्रदूषण कम होगा। कोर्ट ने कहा कि जब तक वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) में लगातार सुधार का प्रमाण नहीं मिलेगा, तब तक ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (GRAP) के चरण-IV के तहत लगाए गए प्रतिबंधों में कोई ढील नहीं दी जाएगी।

सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला 5 दिसंबर, गुरुवार तक लागू रहेगा जब दोबारा इस मामले की सुनवाई होगी। पीठ ने कहा कि दिल्ली, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान के मुख्य सचिवों को पांच दिसंबर को दिन में साढ़े तीन बजे वीडियो कांफ्रेंस के जरिए पेश होना होगा। जस्टिस अभय एस. ओका और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ, एमसी मेहता बनाम भारत सरकार के मामले की सुनवाई कर रही थी। यह मामला राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में वायु गुणवत्ता सुधार से संबंधित है।

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कोर्ट ने दी ये प्रतिक्रिया

Delhi Air Pollution: वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) की ओर से पेश हुए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने कोर्ट से GRAP-IV प्रतिबंधों में कुछ ढील देने का अनुरोध किया। उन्होंने कहा कि ये उपाय “बहुत व्यवधानकारी” हैं और कुछ राहत प्रदान की जानी चाहिए। हालांकि, न्यायमूर्ति ओका ने कहा, “AQI स्थिर नहीं है, यह बढ़ रहा है, हम आपके सुझावों पर विचार करेंगे, लेकिन आज किसी भी प्रकार की छूट की अनुमति नहीं देंगे।”

कोर्ट ने मांगी एमिकस क्यूरी की राय

कोर्ट ने मामले में अमिकस क्यूरी (मित्र पक्ष) वरिष्ठ अधिवक्ता अपराजिता सिंह की राय भी मांगी। उन्होंने कहा कि अगर आपातकालीन उपाय समय पर लागू किए गए होते, तो वह इन ढीलों का विरोध नहीं करतीं।

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GRAP-IV के तहत उठाए जा रहे कड़े कदम

Delhi Air Pollution: GRAP-IV, वायु प्रदूषण के गंभीर स्तर पर लागू होने वाले उपायों का एक सख्त चरण है। इसके तहत निर्माण गतिविधियों पर प्रतिबंध, उद्योगों पर पाबंदियां, और ट्रकों के संचालन पर रोक जैसे उपाय शामिल हैं। ये कदम बेहद कठोर हैं, लेकिन वायु प्रदूषण की खतरनाक स्थिति को देखते हुए इन्हें आवश्यक माना गया है।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह 5 दिसंबर को AQI के स्तर की समीक्षा करेगा और तब तय करेगा कि CAQM द्वारा सुझाई गई छूटों पर विचार किया जाए या नहीं। न्यायमूर्ति ओका ने स्पष्ट रूप से कहा, “हम यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि AQI के आंकड़ों में लगातार गिरावट हो रही है, तभी हम कोई छूट देंगे।”

दिल्ली में वायु प्रदूषण का स्तर हर सर्दी में खतरनाक स्तर तक पहुंच जाता है, जिससे जनजीवन पर गंभीर प्रभाव पड़ता है। सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर यह साबित किया है कि पर्यावरणीय मुद्दों पर सख्ती से काम करना ही सही रास्ता है। 5 दिसंबर की सुनवाई पर सबकी निगाहें टिकी हैं।

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