यूनिटेक के पूर्व प्रर्वतकों को सुविधा देने का मामला: न्यायालय ने तिहाड़ अधिकारी का निलंबन वापस लिया |

यूनिटेक के पूर्व प्रर्वतकों को सुविधा देने का मामला: न्यायालय ने तिहाड़ अधिकारी का निलंबन वापस लिया

यूनिटेक के पूर्व प्रर्वतकों को सुविधा देने का मामला: न्यायालय ने तिहाड़ अधिकारी का निलंबन वापस लिया

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Modified Date: January 23, 2025 / 10:24 PM IST
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Published Date: January 23, 2025 10:24 pm IST

नयी दिल्ली, 23 जनवरी (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने तिहाड़ केंद्रीय जेल के एक अधिकारी को निलंबित करने का अपना आदेश बृहस्पतिवार को वापस ले लिया, जिसने यूनिटेक समूह के पूर्व प्रर्वतकों को कथित तौर पर सुविधाएं मुहैया की थीं।

न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने 6 अक्टूबर 2021 को पारित निर्देश को वापस ले लिया, जिसमें तिहाड़ जेल के उन अधिकारियों को निलंबित करने का निर्देश दिया गया था, जिन्हें दिल्ली के पूर्व पुलिस आयुक्त राकेश अस्थाना द्वारा की गई जांच के दौरान प्रथम दृष्टया दोषी पाया गया था।

निलंबन वापस लेते हुए पीठ ने सक्षम प्राधिकारी को सहायक अधीक्षक (जेल) चेतराम मीणा के निलंबन पर चार सप्ताह में निर्णय लेने को कहा।

तिहाड़ जेल की ओर से न्यायालय में पेश हुए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने कहा कि केंद्रीय सिविल सेवा (वर्गीकरण, नियंत्रण और अपील) नियम, 1965 के तहत विभागीय जांच चल रही है और निलंबित अधिकारियों को अक्टूबर 2024 में आरोपों का ‘मेमो’ दिया गया है।

उन्होंने कहा कि कुल 32 अधिकारियों के निलंबन पर समीक्षा समिति द्वारा विचार किया गया था, लेकिन न्यायालय के आदेश के कारण निलंबन की अवधि बढ़ा दी गई।

भाटी ने कहा कि न्यायालय सभी निलंबित अधिकारियों पर आदेश पारित करने पर विचार कर सकता है, भले ही केवल एक ही अधिकारी ने न्यायालय का रुख किया हो।

मीणा की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता पी चिदंबरम ने कहा कि उन्हें साढ़े तीन साल के लिए निलंबित कर दिया गया था और विभागीय कार्यवाही अभी शुरू हुई है।

उन्होंने कहा, ‘‘मुझे विभागीय कार्यवाही से कोई समस्या नहीं है, लेकिन मुझे अनिश्चितकाल के लिए निलंबित नहीं रखा जा सकता।’’

पीठ ने भाटी से कहा कि छह महीने बाद, निलंबित सरकारी अधिकारी को निर्वाह भत्ते के रूप में वेतन का 75 प्रतिशत और कोई काम न करने के बावजूद पूरी छुट्टी मिलेगी।

पीठ ने कहा कि अगर 6 अक्टूबर 2021 को पारित निलंबन के निर्देश को अनिश्चितकाल तक लागू रहने दिया गया तो यह ‘‘सरकार के खजाने के लिए हानिकारक’’ होगा।

पीठ ने अपने आदेश में कहा, ‘‘हम इस आधार पर आगे बढ़ते हैं कि निलंबित अधिकारियों/कर्मचारियों में से ज्यादातर को अब बिना काम किये 75 प्रतिशत वेतन मिल रहा है।’’

आदेश में कहा गया, ‘‘चूंकि आरोपपत्र अक्टूबर 2024 में जारी किए गए हैं, इसलिए हम अनुमान लगा सकते हैं कि विभाग की कार्यवाही के समापन में कुछ समय लगेगा। इसी तरह, निलंबित अधिकारियों के खिलाफ लंबित आपराधिक कार्यवाही भी कम समय में तार्किक निष्कर्ष पर पहुंचने की संभावना नहीं है।’’

पीठ ने भाटी के इस कथन पर गौर किया कि अदालत के निर्देशों के अनुपालन में 32 अधिकारियों को निलंबित किया गया, जिनमें से चार सेवानिवृत्त हो गए तथा अनुबंध पर कार्यरत दो अधिकारियों की सेवाएं समाप्त कर दी गईं।

मीणा ने 6 अक्टूबर 2021 को पारित निलंबन के निर्देशों को वापस लेने और महानिदेशक जेल, दिल्ली द्वारा पारित 13 अक्टूबर 2021 के निलंबन आदेश को रद्द करके उनकी सेवा में बहाली की मांग की। वह तिहाड़ में जेल संख्या 7 में सहायक अधीक्षक के पद पर थे।

यूनिटेक लिमिटेड के पूर्व प्रवर्तक संजय चंद्रा और अजय चंद्रा क्रमशः 7 अगस्त 2020 और 17 अगस्त 2020 से विचाराधीन कैदी के रूप में जेल में बंद थे।

भाषा सुभाष अविनाश

अविनाश

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(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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