नई दिल्ली, 23 दिसंबर (भाषा) विदेशों में भारतीय नागरिकों के रोजगार, उनकी सुरक्षित आवाजाही, सुरक्षा और कल्याण के लिए एक नियामक तंत्र स्थापित करने के उद्देश्य से सरकार एक नया उत्प्रवास विधेयक संसद में पेश करेगी।
इस पर अभी गृह मंत्रालय, वित्त मंत्रालय,विधि एवं न्याय मंत्रालय आदि के साथ अंतर-मंत्रालयी परामर्श चल रहा है।
‘भारत और खाड़ी सहयोग परिषद (जीसीसी) – सहयोग के आयाम’ विषय पर कांग्रेस सांसद शशि थरूर की अध्यक्षता वाली विदेश मंत्रालय से संबंधित संसदीय समिति की 26वीं रिपोर्ट पर सरकार द्वारा की गई कार्रवाई रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है।
रिपोर्ट के अनुसार,‘‘ विदेश मंत्रालय ने समिति को बताया कि नये मसौदा उत्प्रवास विधेयक पर अभी गृह मंत्रालय (एमएचए), वित्त मंत्रालय (एमओएफ), वाणिज्य विभाग (डीओसी), श्रम एवं रोजगार मंत्रालय (एमओएलई), कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय (एमएसडीई) और विधि एवं न्याय मंत्रालय (एमओएलजे) के साथ अंतर-मंत्रालयी परामर्श चल रहा है।’’
संसद में तीन दिसंबर 2024 को पेश रिपोर्ट के अनुसार, मंत्रालय ने समिति को बताया कि अंतर-मंत्रालयी परामर्श पूरा होने पर कैबिनेट नोट पर विदेश मंत्री की मंजूरी प्राप्त करने से पहले सार्वजनिक परामर्श और राज्य सरकारों के साथ परामर्श किया जाएगा ।
कैबिनेट नोट के अनुमोदन के बाद प्रक्रियागत आवश्यकताओं को पूरा करने के बाद इसे संसद के दोनों सदनों में पेश करने के लिए आगे बढ़ाया जाएगा।
रिपोर्ट के अनुसार, समिति ने नोट किया कि 1983 के उत्प्रवास अधिनियम को बदलने के लिए एक नये मसौदा उत्प्रवास विधेयक पर कार्य लंबे समय से जारी है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रस्तावित विधेयक में भारतीय नागरिकों की सुरक्षा और कल्याण के लिए विदेशों में रोजगार को नियंत्रित करने वाला सुरक्षित और व्यवस्थित आवाजाही नियामक तंत्र स्थापित करने की परिकल्पना की गई है।
वहीं, ऊर्जा सहयोग के महत्व पर जोर देते हुए विदेश मंत्रालय ने कहा कि भारत सरकार, खाड़ी सहयोग परिषद (जीसीसी) के देशों को अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (आईएसए) का सदस्य बनने के लिए सक्रिय रूप से प्रोत्साहित कर रही है ।
मंत्रालय ने समिति को बताया,‘‘ हमारे मिशन के ठोस प्रयासों से कुवैत और कतर ने इस संदर्भ में अपनी रुचि व्यक्त की है और आईएसए में शामिल होने के लिए आगे बातचीत कर रहे हैं।’’
समिति का मानना है कि आईएसए के तहत कुवैत और कतर के प्रवेश से भारत और जीसीसी के बीच ऊर्जा सहयोग में बढ़ेगा और भारत की ऊर्जा सुरक्षा में भी वृद्धि होगी।
भाषा दीपक
नरेश
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