नयी दिल्ली, 26 मार्च (भाषा) राज्यसभा में बुधवार को कांग्रेस सदस्य प्रमोद तिवारी ने हाल के वर्षों में स्कूलों में दाखिलों में आई ‘‘गिरावट’’ पर सरकार से स्पष्टीकरण मांगा तथा आरोप लगाया कि नरेन्द्र मोदी सरकार शिक्षा के प्रति गंभीर नहीं है।
शून्यकाल के दौरान उच्च सदन में यह मुद्दा उठाते हुए तिवारी ने कहा कि मोदी सरकार ‘‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’’ जैसे नारों के दम पर सत्ता में आई, लेकिन वास्तविकता इसके विपरीत है।
केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय द्वारा विकसित और प्रबंधित ‘डेटाबेस, यूनाइटेड डिस्ट्रिक्ट इंफॉर्मेशन सिस्टम फॉर एजुकेशन’ (यूडीआईएसई) की एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए, तिवारी ने कहा कि यह हाल के वर्षों में स्कूल नामांकन में अभूतपूर्व गिरावट को दर्शाता है और यह भी बताता है कि कैसे मोदी सरकार युवाओं के भविष्य को सुरक्षित करने में विफल रही है।
तिवारी ने कहा कि यह गिरावट बढ़ती आर्थिक असमानता और वित्तीय कुप्रबंधन को दर्शाती है।
उन्होंने कहा कि रिपोर्ट में उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश और असम जैसे राज्यों में कक्षाओं के कम उपयोग और तेलंगाना, पश्चिम बंगाल और पंजाब में बुनियादी ढांचे की कमी और अत्यधिक दबाव को उजागर किया गया है।
उन्होंने कहा कि स्कूलों में दाखिलों में गिरावट सिर्फ संख्या नहीं है, बल्कि यह एक पीढ़ी के लिए शिक्षा के अवसर का नुकसान है।
आंकड़ों को चिंताजनक बताते हुए कांग्रेस सांसद ने पूछा, ‘‘क्या सरकार अपने प्रस्तावित काम को प्राथमिकता देगी या प्रचार और छवि निर्माण में रुचि लेगी? मैं स्कूल नामांकन में गिरावट पर सरकार से स्पष्टीकरण की मांग करता हूं।’’
उन्होंने दावा किया कि सरकार युवाओं को शिक्षित नहीं करना चाहती क्योंकि वे अपने अधिकारों के बारे में सवाल पूछना शुरू कर देंगे।
भाषा मनीषा अविनाश
अविनाश
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