नयी दिल्ली, 20 मार्च (भाषा) सरकार ने बृहस्पतिवार को बताया कि भारत सरकार ने भ्रष्टाचार धारणा सूचकांक (करप्शन परसेप्शन इंडेक्स) से संबंधित किसी भी कवायद में भाग नहीं लिया और ‘भ्रष्टाचार के विरुद्ध शून्य सहिष्णुता’ की अपनी प्रतिबद्धता का पालन करते हुए इस समस्या से निपटने के लिए कई कदम उठाए।
राज्यसभा में एक लिखित सवाल के जवाब में केंद्रीय कार्मिक राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने यह जानकारी दी।
उनसे यह पूछा गया था कि क्या सरकार को इस बात की जानकारी है कि ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल रिपोर्ट के अनुसार, करप्शन परसेप्शन इंडेक्स (सीपीआई) 2024 में भारत का स्कोर 38 अंक तक गिर गया है और वह 180 देशों में 96वें स्थान पर आ गया है।
इस गिरावट के कारणों के बारे में भी सरकार से जानकारी मांगी गई।
सिंह ने कहा, ‘‘भारत सरकार के आदेश पर किसी भी एजेंसी द्वारा ऐसा कोई सर्वेक्षण नहीं किया गया था।’’
उन्होंने कहा कि इसके अलावा, भारत सरकार ने भ्रष्टाचार धारणा सूचकांक से संबंधित ऐसी किसी भी गतिविधि में भाग नहीं लिया था।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि हालांकि, भारत सरकार ने ‘भ्रष्टाचार के विरुद्ध शून्य सहिष्णुता’ की अपनी प्रतिबद्धता के अनुसरण में, भ्रष्टाचार से निपटने के लिए कई उपाय किए हैं, जिनमें पारदर्शी नागरिक-अनुकूल सेवाएं प्रदान करने और भ्रष्टाचार को कम करने के लिए प्रणालीगत सुधार और सुधार शामिल हैं।
उन्होंने भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के उपायों के रूप में प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी) मोड के माध्यम से पारदर्शी तरीके से सरकार की विभिन्न योजनाओं के तहत नागरिकों को कल्याणकारी लाभों के वितरण, सार्वजनिक खरीद में ई-निविदा के कार्यान्वयन, ई-गवर्नेंस की शुरुआत और प्रक्रियाओं और प्रणालियों के सरलीकरण के अलावा सरकारी ई-मार्केटप्लेस (जीईएम) के माध्यम से खरीद की शुरुआत का हवाला दिया।
सिंह ने कहा, ‘‘इसके अलावा, एक उच्चतम सत्यनिष्ठ संस्था के रूप में सीवीसी (केंद्रीय सतर्कता आयोग) ने भ्रष्टाचार से निपटने के लिए एक बहुआयामी रणनीति और दृष्टिकोण अपनाया है, जिसमें दंडात्मक, निवारक और सहभागी सतर्कता शामिल है।’’
भाषा ब्रजेन्द्र ब्रजेन्द्र मनीषा
मनीषा
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