सरकार ने सीआरपीएफ की संसद सुरक्षा इकाई को भंग किया, वीआईपी सुरक्षा शाखा में विलय |

सरकार ने सीआरपीएफ की संसद सुरक्षा इकाई को भंग किया, वीआईपी सुरक्षा शाखा में विलय

सरकार ने सीआरपीएफ की संसद सुरक्षा इकाई को भंग किया, वीआईपी सुरक्षा शाखा में विलय

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Modified Date: January 15, 2025 / 11:05 AM IST
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Published Date: January 15, 2025 11:05 am IST

नयी दिल्ली, 15 जनवरी (भाषा) पिछले साल संसद की सुरक्षा से हटाई गई सीआरपीएफ की एक विशेष इकाई को आखिरकार भंग कर दिया गया है और बल की वीआईपी सुरक्षा शाखा में विलय कर दिया गया है, जिसे हाल में 1,000 से अधिक कर्मियों वाली एक नई बटालियन प्रदान की गई है। आधिकारिक सूत्रों ने बुधवार को यह जानकारी दी।

गृह मंत्रालय (एमएचए) ने मंगलवार को एक आदेश जारी कर सीआरपीएफ के तहत लगभग 1,400 कर्मियों वाले संसद ड्यूटी ग्रुप (पीडीजी) का नाम बदलकर वीआईपी सुरक्षा समूह (वीएसजी) कर दिया।

गृह मंत्रालय ने इस महीने की शुरुआत में झारखंड के चतरा जिले में तैनात बल की बटालियन संख्या 190 को बल की वीआईपी सुरक्षा इकाई में स्थानांतरित करने का आदेश दिया था।

एक हजार से अधिक कर्मियों वाली इस बटालियन को झारखंड में नक्सल विरोधी अभियान चलाने के लिए तैनात किया गया था।

केंद्रीय रिजर्व पुलिस समूह (सीआरपीएफ) की वीआईपी सुरक्षा शाखा वर्तमान में 200 से अधिक लोगों को सुरक्षा प्रदान कर रही है, जिनमें केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और कांग्रेस के गांधी परिवार के सदस्य सोनिया गांधी, राहुल गांधी तथा प्रियंका गांधी वाद्रा शामिल हैं।

सीआरपीएफ के एक वरिष्ठ अधिकारी ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, ‘‘वीआईपी सुरक्षा शाखा का काम हर दिन बढ़ रहा है। एक नई बटालियन और पीडीजी के साथ, इसकी संख्या 8,000 से अधिक कर्मियों की हो गई है।’’

पिछले साल मई में पीडीजी को संसद भवन की सुरक्षा से वापस बुला लिया गया था और सीआईएसएफ को यह काम सौंपा गया था।

संसद से हटाए जाने के बाद से इसे अनौपचारिक रूप से वीआईपी सुरक्षा विंग से जोड़ा गया था, लेकिन मंगलवार को प्राप्त औपचारिक आदेश के बाद इसके कर्मियों का उपयोग उच्च जोखिम वाले गणमान्य व्यक्तियों की सुरक्षा के लिए किया जाएगा।

पीडीजी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘‘बल ने संसद में पूरी निष्ठा और बिना किसी त्रुटि के अपना कर्तव्य निभाया, लेकिन फिर भी इसे 2023 में हुई बड़ी सुरक्षा चूक का खामियाजा भुगतना पड़ा। सीआरपीएफ के लिए इस प्रतिष्ठित जिम्मेदारी से बाहर निकलना दुर्भाग्यपूर्ण था।’’

गत 13 दिसंबर, 2023 को संसद पर 2001 में हुए आतंकवादी हमले की बरसी वाले दिन दो व्यक्ति शून्यकाल के दौरान दर्शक दीर्घा से लोकसभा कक्ष में कूद गए और उन्होंने वहां पीला धुआं छोड़ा तथा नारे लगाए। इसके कुछ ही समय बाद सांसदों ने उन्हें काबू में कर लिया।

भाषा वैभव मनीषा

मनीषा

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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