सरकार ने आर्थिक समावेशन को सर्वोच्च प्राथमिकता दी, साहसिक और दूरदर्शी आर्थिक सुधार हुए : मुर्मू |

सरकार ने आर्थिक समावेशन को सर्वोच्च प्राथमिकता दी, साहसिक और दूरदर्शी आर्थिक सुधार हुए : मुर्मू

सरकार ने आर्थिक समावेशन को सर्वोच्च प्राथमिकता दी, साहसिक और दूरदर्शी आर्थिक सुधार हुए : मुर्मू

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Modified Date: January 25, 2025 / 10:14 PM IST
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Published Date: January 25, 2025 10:14 pm IST

नयी दिल्ली, 25 जनवरी (भाषा) राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने देश के आर्थिक विकास का उल्लेख करते हुए शनिवार को कहा कि सरकार ने वित्तीय समावेशन को सर्वोच्च प्राथमिकता दी है और साहसिक एवं दूरदर्शी आर्थिक सुधारों के बल पर आने वाले वर्षों में तरक्की की यह रफ्तार बनी रहेगी।

मुर्मू ने गणतंत्र दिवस की पूर्वसंध्या पर राष्ट्र को संबोधित करते हुए यह भी कहा कि पिछले दशक में शिक्षा की गुणवत्ता, भौतिक अवसंरचना तथा डिजिटल समावेशन के आयामों में व्यापक बदलाव आया है।

उन्होंने कहा, ‘‘हाल के वर्षों में, आर्थिक विकास की दर लगातार ऊंची रही है, जिससे हमारे युवाओं के लिए रोजगार के अवसर पैदा हुए हैं, किसानों और मजदूरों के हाथों में अधिक पैसा आया है तथा बड़ी संख्या में लोगों को गरीबी से बाहर निकाला गया है।’’

मुर्मू ने कहा कि साहसिक और दूरदर्शी आर्थिक सुधारों के बल पर, आने वाले वर्षों में प्रगति की यह रफ्तार बनी रहेगी।

उनका कहना था कि समावेशी विकास, हमारी प्रगति की आधारशिला है, जिससे विकास का लाभ व्यापक स्तर पर अधिक से अधिक देशवासियों तक पहुंचता है।

उन्होंने कहा कि यह भी एक बहुत महत्वपूर्ण बदलाव है कि सरकार ने जन-कल्याण को नई परिभाषा दी है, जिसके अनुसार आवास और पेयजल जैसी बुनियादी जरूरतों को अधिकार माना गया है।

राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘सरकार द्वारा वित्तीय समावेशन को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जा रही है, इसलिए प्रधानमंत्री जन धन योजना, प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना, प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना, मुद्रा योजना, स्टैंड-अप इंडिया और अटल पेंशन योजना जैसी वित्तीय समर्थन योजनाओं का विस्तार किया गया है, ताकि अधिक से अधिक लोगों तक विभिन्न प्रकार की वित्तीय सहायता पहुंचाई जा सके।’’

राष्ट्रपति के अनुसार, वंचित वर्गों के लिए, विशेष रूप से अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों तथा अन्य पिछड़े वर्गों की सहायता के लिए सभी प्रयास किए जा रहे हैं।

मुर्मू ने कहा, ‘‘अनुसूचित जातियों के युवाओं के लिए प्री-मैट्रिक और पोस्ट-मैट्रिक छात्रवृत्तियां, राष्ट्रीय फ़ेलोशिप, विदेशी छात्रवृत्तियां, छात्रावास और कोचिंग सुविधाएं दी जा रही हैं। प्रधानमंत्री अनुसूचित जाति अभ्युदय योजना द्वारा रोजगार और आमदनी के अवसर उत्पन्न करके अनुसूचित जातियों के लोगों की गरीबी को तेजी से कम किया जा रहा है।’’

उन्होंने इस बात का उल्लेख किया कि अनुसूचित-जनजाति-समुदायों के सामाजिक एवं आर्थिक विकास के लिए विशेष योजनाएं बनाई गई हैं, जिनमें धरती आबा जनजातीय ग्राम उत्कर्ष अभियान और प्रधानमंत्री जनजातीय आदिवासी न्याय महा अभियान – पीएम-जनमन – शामिल हैं।

राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘विमुक्त, घुमंतू और अर्ध घुमंतू समुदायों के लिए ‘विकास एवं कल्याण बोर्ड’ का गठन किया गया है।’’

उन्होंने कहा कि ‘जिनोम इंडिया प्रोजेक्ट’ प्रकृति के रहस्यों की खोज का एक रोचक अभियान होपे के साथ ही भारतीय विज्ञान के इतिहास में एक निर्णायक अध्याय भी है।

मुर्मू् ने कहा, ‘‘इसके प्रमुख कार्यक्रम के तहत, इसी महीने 10 हजार भारतीयों की जिनोम सिक्वेंसिंग को अनुसंधान के लिए उपलब्ध कराया गया है। ज्ञान के नए आयामों को खोलने वाली यह परियोजना जैव प्रौद्योगिकी अनुसंधान में नए मार्ग प्रशस्त करेगी तथा सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवा प्रणाली को भी मजबूत बनाएगी।’’

उनका कहना था कि विभिन्न क्षेत्रों में महत्वपूर्ण और उल्लेखनीय प्रगति के बल पर देशवासी अपना सिर ऊंचा करके भविष्य की ओर कदम बढ़ा रहे हैं।

राष्ट्रपति ने महात्मा गांधी के एक कथन का हवाला देते हुए कहा, ‘‘आइए, आज के दिन हम गांधीजी के सपनों को साकार करने के लिए अपनी प्रतिबद्धता को दोहराएं। सत्य और अहिंसा के उनके आदर्श विश्व-समुदाय के लिए प्रासंगिक बने रहेंगे। उन्होंने हमें यह सीख भी दी थी कि अधिकार और कर्तव्य एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। सच तो यह है कि कर्तव्य ही अधिकार का वास्तविक स्रोत है।’’

मुर्मू ने कहा कि पिछले दशक में शिक्षा की गुणवत्ता, भौतिक अवसंरचना तथा डिजिटल समावेशन के आयामों में व्यापक बदलाव आया है।

उन्होंने कहा, ‘‘आज की हमारी युवा पीढ़ी कल के भारत का निर्माण करेगी। हमारी युवा पीढ़ी की प्रतिभा शिक्षा के द्वारा ही निखरती है। इसीलिए, सरकार ने शिक्षा के क्षेत्र में निवेश को बढ़ाया है तथा शिक्षा से संबंधित प्रत्येक मानक में सुधार के लिए समग्र प्रयास किए हैं। अब तक के परिणाम उत्साहवर्धक रहे हैं।’’

राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘मुझे यह जानकर खुशी हुई है कि महिला शिक्षकों ने इस परिवर्तन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। पिछले दशक के दौरान नियुक्त शिक्षकों में महिलाओं की भागीदारी 60 प्रतिशत से अधिक है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘व्यावसायिक शिक्षा और कौशल विकास का विस्तार तथा इन्हें मुख्यधारा में शामिल किया जाना स्वागत योग्य उपलब्धि है। इस प्रक्रिया को आगे बढ़ाते हुए अब हमारे युवाओं को योजनाबद्ध तरीके से कॉरपारेट क्षेत्र में इंटर्नशिप के अवसर प्रदान किए जा रहे हैं।’’

मुर्मू् के अनुसार, स्कूल स्तर की शिक्षा का आधार मजबूत बनाने के साथ-साथ, हमारे देश में विद्यार्जन की विभिन्न शाखाओं, विशेष रूप से विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में नई ऊंचाइयां हासिल की जा रही हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘वैश्विक नवोन्मेष सूचकांक में भारत की रैकिंग लगातार बेहतर हुई है। वर्ष 2020 में भारत, 48वें स्थान पर था। स्थिति में सुधार करते हुए, वर्ष 2024 में, भारत 39वें स्थान पर आ गया है।’’

भाषा हक माधव रंजन

रंजन

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(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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