यादवपुर विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में शामिल नहीं हुए राज्यपाल बोस |

यादवपुर विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में शामिल नहीं हुए राज्यपाल बोस

यादवपुर विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में शामिल नहीं हुए राज्यपाल बोस

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Modified Date: December 24, 2024 / 07:55 PM IST
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Published Date: December 24, 2024 7:55 pm IST

कोलकाता, 24 दिसंबर (भाषा) पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सी. वी. आनंद बोस मंगलवार को यादवपुर विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में शामिल नहीं हुए। राजभवन ने कहा कि इसके आयोजन में उचित औपचारिकताओं का पालन नहीं किया गया।

सरकारी विश्वविद्यालय के कुलाधिपति बोस ने सोमवार को कार्यवाहक कुलपति भास्कर गुप्ता को पत्र लिखकर कहा था कि दीक्षांत समारोह कई नियमों और कानूनों का उल्लंघन करते हुए आयोजित किया गया है और यह ‘‘अवैध’’ है।

यादवपुर विश्वविद्यालय (जेयू) की कार्यकारी परिषद में कुलाधिपति द्वारा मनोनीत सदस्य काजी मासूम अख्तर ने दीक्षांत समारोह में भाग लेने के बाद ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि राजभवन ‘‘निराश’’ है और राज्यपाल नियमों का पालन नहीं किए जाने से ‘‘दुखी और अपमानित महसूस कर रहे हैं।’’

उन्होंने कहा, ‘‘स्थायी कुलपति नहीं होने और अनिवार्य ‘कोर्ट मीटिंग’ के लिए कोई पूर्व सूचना न दिए जाने के कारण राज्यपाल दीक्षांत समारोह को अवैध और कदाचार से भरा मानते हैं – जिसकी तिथि कार्यकारी परिषद की बैठक में तय की गई थी।’’

अख्तर ने कहा कि हालांकि वर्षों से दीक्षांत समारोह की तिथि 24 दिसंबर रही है, लेकिन असाधारण परिस्थितियों में इसे टालने का प्रावधान है। उन्होंने कहा, ‘‘मैं राज्यपाल से अनुमति लेने के बाद आज के कार्यक्रम में आया हूं।’’

उन्होंने कहा कि जनसंचार के कुछ छात्रों के आरोप कि उनकी परीक्षा की कॉपियों का उचित मूल्यांकन नहीं किया गया, इस मुद्दे का भी समारोह से पहले समाधान किया जाना चाहिए था।

पिछले साल भी ऐसी ही स्थिति उत्पन्न हुई थी और तब अंतरिम कुलपति बुद्धदेव साउ को अंततः अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा था।

गुप्ता ने संवाददाताओं से कहा कि यह दुखद है कि कुलाधिपति दीक्षांत समारोह में शामिल नहीं हो सके। उन्होंने कहा, ‘‘उचित होता यदि माननीय कुलाधिपति मौजूद होते। लेकिन यह उनका निर्णय था।’’

गुप्ता ने दीक्षांत समारोह आयोजित करने में प्रक्रियाओं का पालन नहीं किए जाने के आरोप जिक्र करते हुए कहा कि वे हमेशा ईमानदारी और पारदर्शी तरीके से काम करने में विश्वास रखते हैं।

राजभवन के आरोप को खारिज करते हुए ‘प्रो-वीसी’ अमिताव दत्ता ने कहा कि निर्णय लेने वाले विश्वविद्यालय के सर्वोच्च निकाय ‘कोर्ट’ की बैठक आयोजित करने सहित सभी प्रक्रियाओं का पालन किया गया और बोस की मंजूरी मांगी गई।

उन्होंने कहा, ‘‘विश्वविद्यालय ने कानून का पालन किया।’’

कार्यकारी परिषद सदस्य मोनोजीत मंडल ने कहा कि राज्यपाल के कार्यालय को 24 दिसंबर को दीक्षांत समारोह आयोजित करने के निर्णय के बारे में अक्टूबर में सूचित किया गया था और नियमित पत्राचार किया गया था, लेकिन उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया।

अंग्रेजी विभाग के प्रमुख मंडल ने कहा, ‘‘अचानक एक सप्ताह पहले उन्होंने एक प्रेस नोट जारी करके प्रक्रिया को अवैध बताया। वे केंद्र की भाजपा सरकार के इशारे पर काम कर रहे हैं और जेयू जैसी संस्था की स्वायत्तता को कमजोर कर रहे हैं।’’

अपने पत्र में राज्यपाल ने कहा था कि ‘‘कुलपति के गैरकानूनी कदमों’’ के कारण अनावश्यक मुकदमेबाजी हो सकती है, जिससे दी गई डिग्री की वैधता प्रभावित हो सकती है और छात्र समुदाय के हित प्रभावित हो सकते हैं। ’’

इसमें कहा गया, ‘‘यह ध्यान देने योग्य है कि 17 दिसंबर को जल्दबाजी में कार्यकारी परिषद की बैठक बुलाई गई थी, जिसमें 24 दिसंबर को दीक्षांत समारोह आयोजित करने की तिथि प्रस्तावित की गई, जिसे चूक छिपाने के लिए अनुचित जल्दबाजी के तौर पर देखा जा सकता है।’’

भाषा अमित धीरज

धीरज

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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