नई दिल्ली: नई सरकार में वित्त मंत्रालय का चार्ज मिलने के बाद वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण एक्शन मोड पर काम कर रहीं है। पद संभालते ही उन्होंने सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों और केंद्र सरकार के कर्मचारियों की मांगों के बारे में ब्रीफिंग दी थी। इस लिहाज ऐसा माना जा रहा है कि केंद्रीय कर्मचारियों की मांग जल्द ही पूरी की जा सकती है। केंद्रीय कर्मचारियों की मांग को लेकर सरकार गंभीर है और उन्हें निराश नहीं करना चाहती। हालांकि, यह साफ नहीं हो पाया है कि ये चीजें उनकी प्राथमिकता में हैं या नहीं। ज्ञात हो कि नरेंद्र मोदी की पिछली सरकार में पूर्व गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने इस संबंध में संकेत दिए थे।
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दरअसल वेतन आयोग की सिफारिशों और केंद्रीय कर्मचारियों के वेतनमान के मामले पर कार्मिक मंत्रालय और वित्त मंत्रालय ही विचार करती है, क्योकि इन दोनों मंत्रालयों द्वारा ही इन मामलों पर अंतिम फैसला लिया जाता है। हालांकि फैसलों पर मुहर कार्मिक मंत्रालय लगाता है।
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इसी बीच सूत्रों का कहना है कि इस मासले को मोदी सरकार 4-6 महीने के भीतर ही कोई फैसला लेगी, जल्दबाजी किए जाने पर कर्मचारियों को ही नुकसान का सामना करना होगा। अगर निर्णय में जल्दबाजी की गई तो कर्मचारियों की सैलरी हद से हद 2 हजार रुपए ही बढ़ेगी। अगर सरकार ने 2 हजार रुपए तक सैलरी में बढ़ोतरी की तो एक बार फिर केंद्रीय कर्मचारियों को निराश होना पड़ेगा।
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बता दें कि सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों के तहत केंद्रीय कर्मचारी लंबे समय से मिनिमम पे को 18 हजार रुपए से बढ़ाकर 26 हजार करने की मांग कर रहे हैं। यानी वे इसमें आठ हजार रुपए की सीधी बढ़ोतरी चाहते हैं। लोकसभा चुनाव के समय अटकलें थीं कि सरकार किसी भी हालत में सरकारी कर्मचारियों को निराश नहीं करेगी और वेतन बढ़ोतरी को लेकर बड़ा ऐलान करेगी, पर ऐसा कुछ भी नहीं हुआ।
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