सरदार पटेल के निधन के बाद शासन संबंधी सुधार रुके, मोदी के प्रधानमंत्री बनने पर फिर मिली गति : केंद्रीय मंत्री |

सरदार पटेल के निधन के बाद शासन संबंधी सुधार रुके, मोदी के प्रधानमंत्री बनने पर फिर मिली गति : केंद्रीय मंत्री

सरदार पटेल के निधन के बाद शासन संबंधी सुधार रुके, मोदी के प्रधानमंत्री बनने पर फिर मिली गति : केंद्रीय मंत्री

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Modified Date: January 30, 2025 / 06:59 PM IST
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Published Date: January 30, 2025 6:59 pm IST

गांधीनगर, 30 जनवरी (भाषा) केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने बृहस्पतिवार को कहा कि देश के पहले गृह मंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल के निधन के बाद शासन में जो सुधार रुक गए थे, उन्हें 2014 में नरेन्द्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने पर फिर गति मिली।

कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन राज्य मंत्री सिंह ने गुजरात की राजधानी गांधीनगर में दो दिवसीय ‘सुशासन पर राष्ट्रीय सम्मेलन’ के उद्घाटन के बाद एक सभा को संबोधित करते हुए यह टिप्पणी की।

उन्होंने कहा, “सरदार वल्लभभाई पटेल ने भारतीय सिविल सेवा की जगह लेने वाले भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) की शुरुआत की। उन्होंने इस सेवा को “भारत का स्टील फ्रेम” करार दिया।’’

मंत्री ने कहा, ‘‘उन्होंने (पटेल ने) देश की जरूरतों के अनुरूप शासन व्यवस्था में बदलाव लाने की जरूरत पर भी जोर दिया। दुर्भाग्य से उस दिशा में कोई उल्लेखनीय प्रगति नहीं हो सकी, क्योंकि भारत को आजादी मिलने के कुछ ही वर्षों के भीतर उनका निधन हो गया।”

सिंह ने कहा, “सौभाग्य से 2014 के बाद निर्णायक मोड़ आया, जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पदभार संभाला और “न्यूनतम सरकार, अधिकतम शासन” का मंत्र दिया।”

उन्होंने दावा किया कि मोदी के अपने मुख्यमंत्री कार्यकाल के दौरान गुजरात में शुरू किए गए शासन मॉडल को आज अन्य राज्य भी अपना रहे हैं।

सिंह ने कहा कि जब मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे, तब केंद्र सरकार की ओर से शुरू किए गए शासन संबंधी कई सुधार राज्य में सफलतापूर्वक लागू किए गए।

उन्होंने कहा, “इस मॉडल में अधिक पारदर्शिता, अधिक जवाबदेही, नागरिक केंद्रित दृष्टिकोण, प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल और भ्रष्टाचार के प्रति कतई बर्दाश्त न करने की नीति शामिल है। ये सभी सुधार इतने वर्षों में बहुत ही संवेदनशीलता के साथ लागू किए गए।”

सिंह ने कहा कि मोदी सरकार ने ऐसे लगभग 2,000 नियम-कानून खत्म कर दिए, जिनकी आज की दुनिया में आवश्यकता नहीं है।

उन्होंने दावा किया कि केंद्रीकृत लोक शिकायत निवारण एवं निगरानी प्रणाली (सीपीजीआरएएमएस), जो नागरिकों को शिकायत दर्ज कराने की सुविधा देने वाला एक ऑनलाइन मंच है, शासन के संदर्भ में उनके विभाग की “अनुकरणीय पहलों” में से एक है।

सिंह ने रेखांकित किया कि अतीत में इस पहल के पिछले संस्करण का “रिकॉर्ड बेहद खराब था, क्योंकि लोग अधिकारियों से कोई प्रतिक्रिया न मिलने के कारण बमुश्किल इस वेबसाइट पर अपनी शिकायत दर्ज कराने के लिए आगे आते थे।”

उन्होंने बताया, “एक समय पूरे भारत से मिली शिकायतों की संख्या घटकर मात्र दो लाख रह गई थी। त्वरित प्रतिक्रिया मिलने के कारण आज यह संख्या 25 से 30 लाख हो गई है। हम शिकायतों के प्रति संवेदनशील भी हैं। इसलिए एक परामर्शदाता शिकायतकर्ता से बात करता है। केन्या और भूटान जैसे देशों ने इस पहल को अपनाने की इच्छा जाहिर की है।”

सिंह ने कहा कि “मिशन कर्मयोगी” या राष्ट्रीय सिविल सेवा क्षमता निर्माण कार्यक्रम(एनपीसीएससीबी) एक अन्य “अनुकरणीय पहल” है।

उन्होंने सिविल सेवकों से प्रौद्योगिकी क्षेत्र में हुई हालिया प्रगति, खासतौर पर कृत्रिम बुद्धिमता (एआई) टूल के इस्तेमाल से नयी क्षमताएं हासिल करने का आग्रह किया।

प्रशासनिक सुधार एवं लोक शिकायत विभाग (डीएआरपीजी) के सचिव वी श्रीनिवास ने कार्यक्रम में मौजूद लोगों को बताया कि इस दो दिवसीय सम्मेलन में देशभर से लगभग 30 वक्ता और 100 प्रतिनिधि हिस्सा लेंगे।

श्रीनिवास ने कहा कि सम्मेलन में नागरिक केंद्रित सेवाएं प्रदान करने के लिए सरकारी प्रक्रिया को नये सिरे से व्यवस्थित करने पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।

भाषा पारुल रंजन

रंजन

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(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)