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जम्मू, सात नवंबर (भाषा) जम्मू में गोरखा समुदाय ने जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे की बहाली के लिए विधानसभा में पारित प्रस्ताव के खिलाफ प्रदर्शन किया और उपमुख्यमंत्री सुरेन्द्र कुमार चौधरी का पुतला जलाया।
प्रदर्शनकारियों ने जम्मू क्षेत्र के लिए एक अलग राज्य की मांग करते हुए कहा कि इससे उन्हें अपनी सरकार बनाने का अवसर मिलेगा जो उनके हित में निर्णय लेगी।
जम्मू-कश्मीर गोरखा सभा की अध्यक्ष करुणा छत्री के नेतृत्व में महिलाओं और बच्चों सहित सैकड़ों गोरखाओं ने प्रस्ताव पारित होने के विरोध में नेशनल कॉन्फ्रेंस सरकार और “कश्मीर-केंद्रित नेतृत्व” के खिलाफ रैली निकाली।
बुधवार को पारित प्रस्ताव में जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे को बहाल करने की मांग की गई, जो पहले अनुच्छेद 370 के तहत उसे दिया गया था।
मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला, उपमुख्यमंत्री चौधरी और नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला के खिलाफ नारे लगाते हुए प्रदर्शनकारियों ने कहा कि जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा उन्हें “नागरिकता के अधिकार से वंचित किया जा सकता है।”
छत्री ने पत्रकारों से कहा, “ नेशनल कॉन्फ्रेंस की (पिछली) सरकारें और कश्मीर-केंद्रित नेताओं ने 70 सालों तक हमें जम्मू-कश्मीर में सम्मान के साथ रहने के अधिकार से वंचित रखा। उन्होंने हमें वोट देने का अधिकार, नौकरी के अवसर, चुनाव लड़ने का अधिकार और यहां तक कि संपत्ति रखने का अधिकार भी नहीं दिया।”
उन्होंने कहा, “अब उन्होंने अनुच्छेद 370 को बहाल करने का प्रस्ताव पारित कर दिया है, ताकि हमें जम्मू-कश्मीर में नागरिकता के अधिकार से वंचित किया जा सके। हम इसकी निंदा करते हैं।”
छत्री ने नेशनल कॉन्फ्रेंस और कश्मीर स्थित नेतृत्व पर जम्मू-कश्मीर में हिंदुओं के खिलाफ पक्षपातपूर्ण व्यवहार करने का आरोप लगाया और कहा कि उनके शासन में हिंदुओं को “70 वर्षों तक नागरिकता का अधिकार नहीं मिला।”
उन्होंने कहा, “लेकिन अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद हम अंततः जम्मू-कश्मीर के नागरिक हैं। अब वे फिर से हमारे अधिकार छीनना चाहते हैं, क्योंकि हम मुस्लिम बहुल क्षेत्र में हिंदू हैं।”
प्रदर्शनकारियों ने चौधरी का पुतला जलाया। जम्मू क्षेत्र के रहने वाले चौधरी नौशेरा से विधायक हैं।
आठ दशक पहले लगभग 30,000 गोरखा परिवार नेपाल से जम्मू-कश्मीर में तत्कालीन डोगरा सेना के साथ लड़ने के लिए आये थे। इनमें से कई परिवारों में कम से कम एक पूर्व सैनिक है।
उन्होंने इस साल के शुरु में हुए विधानसभा चुनावों में पहली बार मतदान किया था। पांच अगस्त, 2019 को केंद्र द्वारा अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के बाद जम्मू-कश्मीर में यह पहला चुनाव था।
जम्मू-कश्मीर विधानसभा ने बुधवार को एक प्रस्ताव पारित किया जिसमें केंद्र से तत्कालीन राज्य के विशेष दर्जे की बहाली के लिए निर्वाचित प्रतिनिधियों से बातचीत करने को कहा गया। भाजपा विधायकों ने प्रस्ताव का विरोध किया है।
भाषा नोमान मनीषा
मनीषा
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