लैंगिक तटस्थता निष्पक्ष न्याय वितरण प्रणाली की पहचान: दिल्ली उच्च न्यायालय |

लैंगिक तटस्थता निष्पक्ष न्याय वितरण प्रणाली की पहचान: दिल्ली उच्च न्यायालय

लैंगिक तटस्थता निष्पक्ष न्याय वितरण प्रणाली की पहचान: दिल्ली उच्च न्यायालय

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Modified Date: January 23, 2025 / 11:02 PM IST
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Published Date: January 23, 2025 11:02 pm IST

नयी दिल्ली, 23 जनवरी (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने कहा कि लैंगिक तटस्थता निष्पक्ष न्याय वितरण प्रणाली की पहचान है और शारीरिक रूप से पहुंचाई गईं गंभीर चोटों से जुड़े अपराधों से सख्ती से निपटा जाना चाहिए, फिर चाहे अपराधी पुरुष हो या महिला।

न्यायमूर्ति स्वर्ण कांता शर्मा ने एक महिला की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी जिस पर पति को मिर्च पाउडर मिले उबलते पानी से जलाने का आरोप है।

अदालत ने कहा, “निष्पक्ष और न्याय प्रदान करने वाली प्रणाली की पहचान वर्तमान मामले जैसे मामलों में निर्णय देते समय लैंगिक रूप से तटस्थ रहनी चाहिए। अगर कोई महिला ऐसी चोट पहुंचाती है, तो उसके लिए कोई विशेष वर्ग नहीं बनाया जा सकता।”

न्यायमूर्ति ने कहा कि जीवन के लिए खतरा पैदा करने वाली शारीरिक चोटों से जुड़े अपराधों से सख्ती से निपटा जाना चाहिए, फिर चाहे अपराधी पुरुष हो या महिला क्योंकि हर व्यक्ति का जीवन और सम्मान समान रूप से कीमती है।

अदालत ने घरेलू रिश्तों में पुरुषों के पीड़ित न होने की ‘‘रूढ़िवादी धारणा’’ को खारिज किया और कहा कि एक लिंग का सशक्तीकरण दूसरे लिंग के प्रति अनुचित व्यवहार की कीमत पर नहीं हो सकता तथा पुरुष भी समान कानूनी सुरक्षा के हकदार हैं।

भाषा जितेंद्र नेत्रपाल

नेत्रपाल

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(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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