रत्न,आभूषण कारोबार का इस्तेमाल धनशोधन, आतंकवाद के वित्तपोषण के लिए होने का खतरा:एफएटीएफ |

रत्न,आभूषण कारोबार का इस्तेमाल धनशोधन, आतंकवाद के वित्तपोषण के लिए होने का खतरा:एफएटीएफ

रत्न,आभूषण कारोबार का इस्तेमाल धनशोधन, आतंकवाद के वित्तपोषण के लिए होने का खतरा:एफएटीएफ

:   Modified Date:  September 20, 2024 / 03:38 PM IST, Published Date : September 20, 2024/3:38 pm IST

नयी दिल्ली, 20 सितंबर (भाषा) भारत में कीमती धातुओं और रत्नों के कारोबार का इस्तेमाल स्वामित्व की जानकारी दिए बिना जिस आसानी से ‘‘बड़ी राशि’’ स्थानांतरित करने के लिए किया जा सकता है, उससे पता चलता है कि भारत में इस क्षेत्र का इस्तेमाल धनशोधन और आतंकवादी गतिविधियों के वित्तपोषण के लिए किए जाने की आशंका है। वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (एफएटीएफ) ने यह जानकारी दी।

वैश्विक संस्था ने बृहस्पतिवार को जारी ‘भारत संबंधी पारस्परिक मूल्यांकन रिपोर्ट’ में कहा कि कीमती धातुओं और कीमती पत्थरों की ‘‘तस्करी और लेनदेन’’ से जुड़े धनशोधन (एमएल) के खतरे को देश के इस क्षेत्र के आकार को देखते हुए और भी बड़े पैमाने पर समझा जाना चाहिए।

रिपोर्ट में कहा गया है कि देश में लगभग 1,75,000 डीपीएमएस (कीमती धातुओं और पत्थरों के कारोबारी) हैं, लेकिन इसके शीर्ष निकाय – रत्न और आभूषण निर्यात संवर्धन परिषद (जेजीईपीसी) में केवल 9,500 सदस्य हैं।

भारत में रत्न व्यापार के आयात या निर्यात के लिए कर पंजीकरण के साथ जीजेईपीसी सदस्य होने का प्रमाण पत्र अनिवार्य है।

एफएटीएफ ने 368 पन्नों की अपनी रिपोर्ट में कहा कि विशेष रूप से कीमती धातुओं एवं पत्थरों के कारोबार एवं तस्करी से जुड़े धनशोधन और मानव तस्करी के खतरे के पैमाने को समझने में ‘‘कमियां’’ हैं।

रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘स्वामित्व की जानकारी मुहैया कराए बिना पीएमएस (कीमती धातुओं और रत्नों) का इस्तेमाल जिस प्रकार बड़ी राशि के हस्तांतरण में किया जा सकता है और भारत में इसके बाजार का जो आकार है, उसे देखते हुए इसका एमएल/टीएफ (आतंकवाद के वित्तपोषण) के लिए इस्तेमाल किए जा सकने की आशंका है।’’

एफएटीएफ ने सिफारिश की कि भारत को डीपीएमएस और सोने एवं हीरे की तस्करी एवं धनशोधन के खतरे का आकलन करते समय, तस्करी करके लाए गए और भारत में मौजूद कीमती धातुओं और पत्थरों से जुड़े धनशोधन के खतरे को लेकर घरेलू एवं अंतरराष्ट्रीय स्रोतों से मिले आंकड़ों का अध्ययन करना चाहिए।

एफएटीएफ ने कहा कि मानव तस्करी के मामलों से निपटने के लिए भी इसी तरह की कार्रवाई की जरूरत है।

इसमें आशंका जताई गई है कि इस क्षेत्र (पीएमएस) से सीमा पार से संचालित आपराधिक नेटवर्क के जुड़ने का भी खतरा है।

एफएटीएफ ने कहा, ‘‘सोने और रत्नों के अग्रणी उपभोक्ता और परिष्कृत हीरों के उत्पादक के रूप में भारत की स्थिति को देखते हुए अधिकारियों को संबंधित एमएल और धोखाधड़ी एवं तस्करी से बचने की तकनीकों पर नजर रखनी चाहिए। उसे और आंकड़े एकत्र करने पर विचार करना चाहिए ताकि जांच अधिकारी एमएल खतरों से लक्षित तरीके से निपटने में संसाधन लगा सकें।’’

भारत सोने का दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा उपभोक्ता, सबसे बड़ा आयातक और सोने के आभूषणों का सबसे बड़ा निर्यातक है।

भाषा सिम्मी नरेश

नरेश

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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