बांग्लादेशी प्रवासियों की अवैध प्रवेश, बसने में मदद करने वाले गिरोह का भंडाफोड़ |

बांग्लादेशी प्रवासियों की अवैध प्रवेश, बसने में मदद करने वाले गिरोह का भंडाफोड़

बांग्लादेशी प्रवासियों की अवैध प्रवेश, बसने में मदद करने वाले गिरोह का भंडाफोड़

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Modified Date: March 21, 2025 / 11:06 PM IST
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Published Date: March 21, 2025 11:06 pm IST

नयी दिल्ली, 21 मार्च (भाषा) दिल्ली पुलिस ने राष्ट्रीय राजधानी में अवैध रूप से प्रवेश करने और बसने में बांग्लादेशी नागरिकों की मदद करने वाले एक गिरोह का भंडाफोड़ किया है। एक अधिकारी ने शुक्रवार को यह जानकारी दी।

दिल्ली पुलिस ने एक बयान में कहा कि तीन बांग्लादेशी प्रवासियों को उनके भारतीय सहयोगी के साथ गिरफ्तार किया गया है। बयान में कहा गया है कि इससे एक संगठित नेटवर्क का पर्दाफाश हुआ है, जो ऐसे प्रवासियों को पहचाने जाने से बचने में मदद करने के लिए जाली दस्तावेजों का इस्तेमाल करता था।

बयान के मुताबिक, गिरफ्तार व्यक्तियों में सरगना मोहम्मद इकबाल हुसैन भी शामिल है, जो भारत में फरहान खान के नाम से काम करता था। इसमें कहा गया है कि उसे नेहरू प्लेस इलाके से पकड़ा गया।

पुलिस उपायुक्त (अपराध) आदित्य गौतम ने बयान में कहा, ‘‘जांच में पता चला कि हुसैन के पास बांग्लादेशी पासपोर्ट और अवैध रूप से हासिल किया गया भारतीय पासपोर्ट, दोनों थे। बांग्लादेश में पहले से शादीशुदा होने के बावजूद उसने खुद को एक भारतीय नागरिक बताकर एक ‘मैट्रिमोनियल’ वेबसाइट (वर-वधु खोजने में मदद करने वाली वेबसाइट) के जरिये मध्यप्रदेश की एक भारतीय महिला से धोखे से शादी कर ली।’’

बयान के अनुसार, रजीब मियां और मोहम्मद मोमिन बादशा नामक दो अन्य बांग्लादेशी नागरिकों को भी गिरफ्तार किया गया है। इसमें कहा गया है कि तीनों ने झूठे नामों से आधार, मतदाता पहचान पत्र और पैन कार्ड सहित अन्य भारतीय पहचान दस्तावेज हासिल किए थे।

बयान में कहा गया है कि इसके अलावा, एक भारतीय अग्रसेन कुमार को भी हिरासत में लिया गया है, जो गलत जानकारी का इस्तेमाल करके अवैध प्रवासियों के लिए आधार कार्ड बनाने में शामिल था।

बयान के मुताबिक, यह गिरोह असम सीमा के जरिये बांग्लादेशी नागरिकों की तस्करी करके उन्हें भारत में लाता था और वहां से उन्हें ट्रेन से दिल्ली पहुंचाया जाता था। बयान में कहा गया है कि राजधानी पहुंचने पर, जाली भारतीय पहचान दस्तावेज हासिल करने में उनकी मदद की जाती थी, जिससे वे यहां बस जाते थे।

पुलिस ने यह भी कहा कि जांच में पता चला है कि यह गिरोह कई वर्षों से काम कर रहा था। उसने बताया कि अवैध प्रवासियों को दक्षिण और दक्षिण-पूर्वी दिल्ली के साप्ताहिक बाजारों में रणनीतिक रूप से रखा गया था, जहां वे कपड़ा विक्रेता के रूप में काम करते थे।

भाषा

अमित पारुल

पारुल

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)