नयी दिल्ली, नौ सितंबर (भाषा) चीन, रूस और प्रमुख पश्चिमी देशों के साथ भारत की गहन वार्ताओं और ब्राजील, दक्षिण अफ्रीका व इंडोनेशिया के मजबूत समर्थन ने जी20 घोषणापत्र पर आम सहमति बनाने में भारत की मदद की। राजनयिक सूत्रों ने शनिवार को यह जानकारी दी।
सूत्रों ने कहा कि यूक्रेन युद्ध को लेकर जी20 देशों के बीच घोर मतभेद के मद्देनजर एक डर था कि घोषणापत्र जारी हो पाएगा या नहीं, हालांकि ऐसा नहीं हुआ।
उन्होंने कहा कि यूरोपीय संघ द्वारा इस घोषणापत्र पर सहमति जताने के बाद भारत चीन को यूक्रेन संघर्ष से संबंधित वर्णन पर सहमत होने के लिए मनाने में कामयाब रहा।
शनिवार को शिखर सम्मेलन के पहले दिन, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने घोषणा की कि जी20 नेताओं के घोषणापत्र को सर्वसम्मति से अपनाया लिया गया है। उनकी इस घोषणा से आश्चर्य हुआ क्योंकि रूस तथा चीन और पश्चिमी देशों ने संकेत दिया था कि वे यूक्रेन संकट पर वह अपने-अपने रुख से पीछे नहीं हटेंगे।
फ्रांस के राजनयिक सूत्रों ने कहा कि भारत ने ‘देशों को एक साथ लाने की एक तरह की शक्ति और क्षमता’ प्रदर्शित की है।
यूरोपीय सूत्रों ने नाम सार्वजनिक नहीं करने की शर्त पर कहा कि यह एक जटिल बातचीत थी और घोषणापत्र पर सहमति बनना भारत के लिए एक बड़ी उपलब्धि है।
घोषणापत्र में यूक्रेन पर ‘रूसी आक्रामण’ शब्द शामिल नहीं किए जाने के बारे में पूछे जाने पर सूत्रों ने कहा कि पश्चिमी देश समग्र परिणामों से संतुष्ट थे। पिछले साल इंडोनेशिया के बाली में हुए जी20 सम्मेलन के घोषणापत्र में यह शब्द शामिल था।
भाषा जोहेब रंजन
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