नई दिल्ली: Fourth Wave of Corona in india चीन के बाद भारत में भी कोरोना के आंकड़े तेजी से बढ़ रहे हैं। संक्रमितों की तेजी से बढ़ती संख्या ने एक बार फिर स्वास्थ्य विभाग की चिंता बढ़ा दी है। बता दें कि देश के कुछ राज्यों में नया वैरिएंट XE के मरीजों की भी पुष्टि हुई है। हेल्थ मिनिस्ट्री की ओर से जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक, भारत में पिछले 24 घंटे (शुक्रवार) में 949 नए कोरोनावायरस संक्रमण के केस सामने आए। वहीं, दूसरी ओर IIT कानपुर ने एक स्टडी में इस बात का खुलासा किया है कि देश में कोरोना की चौथी लहर कब आएगी।
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Fourth Wave of Corona in india IIT कानपुर के विशेषज्ञों ने कुछ समय पहले एक रिसर्च की थी। उनकी रिसर्च के मुताबिक, भारत में COVID-19 महामारी की संभावित चौथी लहर 22 जून 2022 के आसपास शुरू हो सकती है। इस लहर का पीक अगस्त के आखिरी पर चरम पर हो सकता है। प्रीप्रिंट रिपोजिटरी MedRxiv पर शेयर किए गए रिव्यू के मुताबिक, चौथी लहर का पता लगाने के लिए सांख्यिकीय मॉडल का उपयोग किया गया था, जिसमें पाया गया कि संभावित नई लहर 4 महीने तक चलेगी।
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रिसर्च में कहा गया था, स्टडी का डेटा इस बात की ओर इशारा करता है कि भारत में कोविड -19 की चौथी लहर प्रारंभिक डेटा उपलब्ध होने की तारीख से 936 दिनों के बाद आएगी। प्रारंभिक डेटा उपलब्धता की तारीख 30 जनवरी 2020 है। इसलिए चौथी लहर की संभावित तारीख 22 जून 2022 से शुरू हो सकती है, 23 अगस्त के आसपास पीक रहेगा और 24 अक्टूबर 2022 तक लहर खत्म हो सकती है।
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IIT कानपुर के गणित और सांख्यिकी विभाग के सबरा प्रसाद राजेश भाई, सुभरा शंकर धर और शलभ के नेतृत्व में यह स्टडी की गई इस स्टडी से पता चलता है कि चौथी लहर की गंभीरता देश भर में कोरोनावायरस के नए वैरिएंट और वैक्सीनेशन की स्थिति पर निर्भर करेगी। इस साल जुलाई में COVID-19 की चौथी लहर की भविष्यवाणी करने वाले IIT-कानपुर की स्टडी पर नीति आयोग ने कहा था, वह इस तरह की स्टडी को बड़े सम्मान के साथ देखती है, लेकिन अभी यह जांचना बाकी है कि इस स्पेशल रिपोर्ट का वैज्ञानिक मूल्य है या नहीं।
नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) वी के पॉल ने कहा था, IIT-कानपुर की स्टडी विख्यात लोगों द्वारा दिया गया मूल्यवान इनपुट है। लहर आने का सारा अनुमान डेटा और आंकड़ों पर आधारित है और हमने समय-समय पर अलग-अलग अनुमान भी देखे हैं। हमने कई बार यह अनुमान इतने अलग देखे हैं कि केवल अनुमानों के आधार पर निर्णय लेना समाज के लिए असुरक्षित होगा। सरकार इन अनुमानों को उचित सम्मान के साथ देखती है क्योंकि ये प्रतिष्ठित लोगों द्वारा की हुई रिसर्च है।
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हिंदुजा अस्पताल और मेडिकल रिसर्च सेंटर, खार में क्रिटिकल केयर के सलाहकार डॉ. भारेश डेढिया के मुताबिक, XE हाइब्रिड स्ट्रेन का मेडिकली रूप से कोई भी इस वैरिएंट के बीच अंतर नहीं कर सकता। ऐसा लगता है कि नया सब-वैरिएंट XE, ओमिक्रॉन के सभी लक्षणों के ही समान है। यह आमतौर पर हल्का है और बहुत गंभीर भी नहीं है। यह ध्यान रखना चाहिए कि XE वैरिएंट लगभग 3 महीने से मौजूद है और अभी तक ओमिक्रॉन की तरह पूरी दुनिया में नहीं फैला है। इसलिए कहा जा सकता है कि यह कोई अलग वैरिएंट नहीं है, बल्कि ओमिक्रॉन के ही समान है।
हैदराबाद में यशोदा अस्पताल में डॉ. सलाहकार पल्मोनोलॉजिस्ट चेतन राव वड्डेपल्ली के मुताबिक, “यह कहना काफी मुश्किल होगा कि XE वैरिएंट से संक्रमित लोग अधिक गंभीर हो रहे हैं या उन्हें हॉस्पिटल में एडमिट होने की संभावना है। साथ ही साथ, इस वैरिएंट से मृत्यु दर में भी वृद्धि नहीं देखी जा रही है। इसे साबित करने के लिए अभी और रिसर्च की आवश्यकता है।
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WHO की चीफ साइंटिस्ट सौम्या स्वामीनाथन (Scientist Soumya Swaminathan) के मुताबिक, XE वैरिएंट डेल्टा वैरिएंट की तरह खतरनाक नहीं होगा। भारत में अधिकांश लोग वैक्सीनेटेड हो चुके हैं। शुरुआती आंकड़ों के मुताबिक, यह कहा जा रहा है कि यह वैरिएंट अन्य वैरिएंट से 10 प्रतिशत अधिक तेजी से फैलता है। लेकिन अभी इस वैरिएंट पर अधिक स्टडी की जा रही है। अभी इससे संक्रमित मरीजों के गंभीर मामले सामने नहीं आए हैं।
डॉ. भारेश डेढिया के मुताबिक, इस वैरिएंट से भी पहले की तरह ही सावधान रहने की जरूरत है। पिछले 2 सालों से जो सावधानियां रखी जा रही हैं, उनसे इस वायरस से भी बचा जा सकता है। भले ही स्थानीय राज्य सरकारों ने मास्क को अनिवार्यता से हटा दिया हो, लेकिन मेरा मानना है कि हमें मास्क पहनना जारी रखना चाहिए, भीड़-भाड़ वाली जगहों से बचना चाहिए और अपनी सेहत पर ध्यान देना चाहिए। साथ ही साथ इसका भी ध्यान रखना है कि हमें दोनों वैक्सीन लग चुकी हैं या नहीं? अगर कोई बूस्टर डोज लगाने के योग्य है तो उसे वो भी लगवना चाहिए।
कोविड -19 के XE वैरिएंट ने चिंता बढ़ाई ही थीं कि कुछ दिन पहले ओमिक्रॉन का नया सब-वैरिएंट बीए.4 और बीए.5 भी सामने आया है। दक्षिण अफ्रीकी वैज्ञानिकों ने 2 नए सब-वैरिएंट BA.4 और BA.5 के बारे में सूचना दी। यह वैरिएंट अब तक दक्षिण अफ्रीका, बोत्सवाना, बेल्जियम, जर्मनी, डेनमार्क और यू.के. में फैला है। WHO ने चिंता जताते हुए कहा कि यह नया वैरिएंट ओमिक्रॉन के पिछले वैरिएंट से ज्यादा अलग नहीं है। लेकिन यह वैरिएंट अपने आपको बदल सकता है। यह उस समय सामने आया है, जब दुनिया के कई देशों में ओमिक्रॉन के सब-वैरिएंट्स के कारण कोरोना के मामले सामने आ रहे हैं।
"So far, we haven't detected any changes in the epidemiology or severity of BA.4 or BA.5 compared to previous sub-lineages of #Omicron," says @WHO's @mvankerkhove.
But this may change. "That's why we need to have experts around the 🌎 working with us to track this in real time." pic.twitter.com/2usIbFWgia
— Global Health Strategies (@GHS) April 13, 2022
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