अंतरराष्ट्रीय साइबर अपराधियों की मदद के आरोप में निजी बैंक के चार कर्मचारी गिरफ्तार |

अंतरराष्ट्रीय साइबर अपराधियों की मदद के आरोप में निजी बैंक के चार कर्मचारी गिरफ्तार

अंतरराष्ट्रीय साइबर अपराधियों की मदद के आरोप में निजी बैंक के चार कर्मचारी गिरफ्तार

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Modified Date:  November 28, 2024 / 09:37 PM IST
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Published Date:  November 28, 2024 9:37 pm IST

अहमदाबाद, 28 नवंबर (भाषा) गुजरात पुलिस ने एक निजी क्षेत्र के बैंक के चार कर्मचारियों और उनके साथी को अंतरराष्ट्रीय साइबर अपराधियों को बिना केवाईसी के बैंक खाते खोलने और उनके माध्यम से अपराध की आय हस्तांतरित करने में कथित रूप से मदद करने के आरोप में गिरफ्तार किया है। यह जानकारी एक अधिकारी ने दी।

‘डिजिटल अरेस्ट’ के एक मामले की अहमदाबाद साइबर अपराध शाखा द्वारा जांच के दौरान यह धोखाधड़ी सामने आयी।

एसीपी हार्दिक मकडिया ने बृहस्पतिवार को बताया कि साजिश के तहत, एक उपप्रबंधक सहित चार बैंक कर्मचारियों द्वारा गुजरात और राजस्थान में येस बैंक की दो शाखाओं में दो बैंक खाते खोले गए और उन्होंने इन खातों का इस्तेमाल एक वरिष्ठ नागरिक से 1.15 करोड़ रुपये की जबरन वसूली के लिए किया।

उन्होंने कहा कि गिरफ्तार आरोपियों की पहचान जिगर जोशी, जतिन चोखावाला, दीपक सोनी, मावजी पटेल और राजस्थान निवासी अनिलकुमार मंडा के रूप में हुई है।

मकडिया ने कहा कि इनमें से चोखावाला और सोनी गुजरात के बनासकांठा जिले के डीसा शहर में येस बैंक की शाखा में ‘पर्सनल बैंकर’ के रूप में कार्यरत हैं, जबकि पटेल उसी शाखा में उप प्रबंधक के पद पर तैनात है।

अधिकारी ने कहा कि मंडा राजस्थान में येस बैंक की मेड़ता शाखा में एक ‘पर्सनल बैंकर’ के रूप में कार्यरत है। अधिकारी ने बताया कि जोशी ने अपराध की रकम हस्तांतरित करने के लिए अपना बैंक खाता इन आरोपियों को दिया था।

मकडिया ने बताया, ‘‘सोलह नवंबर को एक वरिष्ठ नागरिक ने हमसे शिकायत की कि कुछ लोगों ने खुद को दिल्ली पुलिस का अधिकारी बताकर उसे ‘डिजिटल अरेस्ट’ किया और उससे 1.15 करोड़ रुपये ऐंठ लिये। जालसाजों ने शिकायतकर्ता को धमकाते हुए कहा कि उसके आधार कार्ड का इस्तेमाल आपराधिक गतिविधि में किया गया है।’’

उन्होंने बताया कि गिरफ्तार होने के डर से शिकायतकर्ता ने 1.15 करोड़ रुपये एक बैंक खाते में हस्तांतरित कर दिए। उन्होंने बताया कि जालसाजों ने वादा किया था कि वे सत्यापन के बाद पैसे वापस कर देंगे।

मकडिया ने बताया कि जांच के दौरान साइबर अपराध शाखा ने तीन बैंक खातों की पहचान की, जिनका इस्तेमाल साइबर अपराधियों ने 1.15 करोड़ रुपये स्वीकार करने और हस्तांतरित करने के लिए किया था।

उन्होंने बताया, ‘‘बालाजी एंटरप्राइज के नाम से एक बैंक खाता राजस्थान की मेड़ता शाखा में खोला गया था, जबकि दूसरा खाता शिवराज के नाम से 13 नवंबर को येस बैंक की डीसा शाखा में खोला गया था, शिवराज पहले से ही गिरफ्तार है। अगले दिन उसी खाते में एक करोड़ रुपये जमा किये गए।’’

उन्होंने बताया कि तीसरा बैंक खाता जिगर जोशी का था, जिसने कुछ कमीशन के लिए साइबर अपराधियों को अपना खाता इस्तेमाल करने देने पर सहमति जताई थी।

एसीपी ने कहा, ‘‘येस बैंक के चार कर्मचारी भारत के बाहर से काम कर रहे अंतरराष्ट्रीय साइबर अपराधियों के एजेंटों के संपर्क में थे। मेड़ता और डीसा में दोनों बैंक खाते बिना किसी केवाईसी या पते के प्रमाण के खोले गए थे। आरोपियों को उन खातों में की गई प्रत्येक जमा राशि पर 10 प्रतिशत कमीशन मिलता था।’’

मकडिया ने बताया कि तेरह नवंबर को शिकायतकर्ता द्वारा एक करोड़ रुपये जमा करने के बाद, डीसा के आरोपी कर्मचारियों ने अगले दिन 25 लाख रुपये निकालने में जालसाज के एजेंटों की मदद की। मकडिया ने बताया कि फिर, जोशी के बैंक खाते में 75 लाख रुपये ट्रांसफर किए गए क्योंकि वह भी कमीशन के लिए काम करने के लिए सहमत हुआ था।

उन्होंने कहा कि 1.5 करोड़ रुपये में से, पुलिस ने अब तक आरोपियों से 19 लाख रुपये नकद बरामद किए हैं, जबकि विभिन्न बैंक खातों में जमा 63.60 लाख रुपये के लेनदेन पर रोक लगा दी गई है।

भाषा अमित सुरेश

सुरेश

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)