(अरुणव सिन्हा)
महाकुंभ नगर, 16 जनवरी (भाषा) पहली नजर में व्यासानंद गिरि महाकुंभ में दूसरे महामंडलेश्वरों की तरह दिखाई देते हैं और निरंजनी अखाड़े में घूमते-फिरते दिख जाते हैं जहां उन्हें रविवार को महामंडलेश्वर बनाया गया।
एक चीज जो उन्हें अन्य अखाड़ों के संतों से अलग करती है, वह है अमेरिकी सेना के पूर्व कमांडर का बेटा होना। व्यासानंद गिरि इस विषय पर किसी सवाल का जवाब नहीं देते, लेकिन पंचायती अखाड़ा श्री निरंजनी के महंत रविंद्र पुरी ने पुष्टि की कि यह बात सही है।
उन्होंने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, “वह अमेरिकी सेना के पूर्व वरिष्ठ कमांडर के बेटे टॉम हैं और आईटी कंपनी में अच्छी नौकरी कर रहे थे। लेकिन आध्यात्म की ऐसी लगन लगी कि उन्होंने सबकुछ त्यागने का निर्णय किया।”
टॉम से महामंडलेश्वर व्यासानंद गिरि बनने के आध्यात्मिक सफर पर विस्तार से बताते हुए पुरी ने कहा, “टॉम आईटी क्षेत्र में काम किया करते थे। कुछ समय बाद आध्यात्म के प्रति उनका झुकाव बढ़ा तो उन्होंने सनातन धर्म अपनाने का निर्णय किया और अंततः सन्यास ले लिया। उन्होंने योग और ध्यान करना शुरू किया, हिंदुत्व और सनातनी संस्कृति पर काफी शोध किया। वह पिछले कुछ वर्षों से अक्सर ऋषिकेश जाया करते और मुझसे मिलते थे।”
उन्होंने खुलासा किया कि रविवार को एक आध्यात्मिक समारोह के बाद उन्होंने टॉम को एक नया नाम व्यासानंद गिरि दिया और महामंडलेश्वर के तौर पर पट्टाभिषेक किया।
अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष पुरी ने कहा, “इसका अर्थ है कि किसी ने आत्मा को जागृत कर लिया है, ध्यान और योग पर पकड़ बना ली है और इंद्रियों को नियंत्रण में रखना सीख लिया है। इस पद का अर्थ है कि वह सनातन धर्म की रक्षा के लिए अपने जीवन का भी बलिदान देने को तैयार है और यह विश्वास होने पर कि टॉम अपनी आध्यात्मिक यात्रा के लिए तैयार हैं, हमने उनका पट्टाभिषेक किया।”
यह पूछे जाने पर कि यदि विदेशी हिंदू रीतियों को अपनाते हैं तो उन्हें महंत कैसे बनाया जा सकता है तो उन्होंने कहा, “ऐसा नहीं है। इन विदेशियों में से कई हमसे बेहतर हैं। जब वे ध्यान में जाते हैं तो उसमें डूब जाते हैं।”
उन्होंने कहा, “हमने देखा है कि कई भारतीय मच्छर काटने से परेशान हो जाते हैं, ध्यान करते समय उन्हें नींद आने लगती है। वहीं टॉम के मामले में हमने पाया कि वह लंबे समय तक ध्यान कर सकते हैं।”
यह पूछे जाने पर कि 2019 के कुंभ के बाद से निरंजनी अखाड़ा द्वारा कितने महामंडलेश्वर बनाए गए, उन्होंने कहा, “मुझे लगता है कि हमने अभी तक 30 महामंडलेश्वर बनाए हैं। टॉम अमेरिका, मलेशिया जैसे देशों के पांच-छह विदेशियों में से एक हैं।”
उन्होंने कहा कि अलग धर्मों में आस्था रखने वाले कई विदेशी दुनियाभर में सनातन से प्रेरित हैं और यही वजह है कि वे सनातन धर्म अपना आ रहे हैं और महसूस कर रहे हैं कि वे अपनी जड़ों की ओर लौट रहे हैं।
उन्होंने कहा, “ऐसे कई मुस्लिम भी हैं, जिनमें से लगभग 100 ने मुझसे संपर्क किया है। वे सनातन धर्म अपनाने के बाद संन्यासी बनना चाहते हैं। मुझे गैर हिंदुओं के सैकड़ों कॉल आते हैं।”
भाषा अरुणव राजेंद्र जोहेब
जोहेब
(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
भाजपा ने केजरीवाल की आय कई गुना बढ़ने का दावा…
12 mins ago