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former CS Jitendra Narayan: पूर्व मुख्य सचिव गैंगरेप केस में गिरफ्तार, अग्रिम जमानत याचिका हुई खारिज

अंडमान के पूर्व मुख्य सचिव ने सामूहिक दुष्कर्म मामले में गिरफ्तारी को बताया साजिश

Edited By :  
Modified Date: November 29, 2022 / 07:57 PM IST
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Published Date: November 10, 2022 10:25 pm IST

पोर्ट ब्लेयर। former CS Jitendra Narayan: पुलिस ने अंडमान एवं निकोबार के पूर्व मुख्य सचिव जितेंद्र नारायण को सामूहिक दुष्कर्म के एक मामले में अग्रिम जमानत याचिका खारिज होने के बाद बृहस्पतिवार को गिरफ्तार कर लिया।

इस मामले में गिरफ्तारी के बाद नारायण ने दावा किया कि वह एक साजिश का शिकार हुए हैं।

जिला एवं सत्र न्यायाधीश की अदालत के फैसले के तुरंत बाद पुलिसकर्मियों की एक टीम एक निजी रिसॉर्ट में पहुंची, जहां जितेंद्र नारायण ठहरे थे और भारी सुरक्षा के बीच उन्हें पुलिस लाइन लाया गया।

भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के वरिष्ठ अधिकारी को गिरफ्तारी के बाद चिकित्सा जांच के लिए शाम करीब साढ़े सात बजे अस्पताल ले जाया गया।

अस्पताल से करीब डेढ़ घंटे के बाद बाहर आने पर नारायण ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘ मैं आप लोगों से बात करूंगा, आपको पता है कि यह एक झूठ है और मेरे खिलाफ साजिश है। मैं इस बारे में सब कुछ बताऊंगा। ’’

विशेष जांच दल (एसआईटी) इस मामले में नारायण से तीन बार पूछताछ कर चुका है।

एसआईटी का गठन उन आरोपों की जांच के लिए किया गया था कि अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में 21 वर्षीय एक युवती को सरकारी नौकरी का झांसा देकर मुख्य सचिव के घर ले जाया गया और फिर वहां नारायण सहित शीर्ष अधिकारियों ने उसके साथ दुष्कर्म किया।

नारायण के लिए अग्रिम जमानत का अनुरोध करते हुए उनके वकील डीसी कबीर ने कहा कि पूर्व मुख्य सचिव जांच में सहयोग कर रहे हैं और उन्हें राहत दी जानी चाहिए। पीड़िता के वकील फटिक चंद्र दास के अनुसार, जिला एवं सत्र न्यायाधीश सुभाशीष कुमार कर ने हैरानी जताई कि उन्हें राहत किस आधार पर मिलनी चाहिए क्योंकि मामले के दो अन्य आरोपियों की अग्रिम जमानत याचिका पहले ही खारिज कर दी गई थी।

न्यायाधीश, श्रम आयुक्त आर एल ऋषि और व्यवसायी संदीप सिंह उर्फ रिंकू का जिक्र कर रहे थे। ऋषि पर भी युवती से बलात्कार का आरोप लगाया गया था, जबकि सिंह के नाम का उल्लेख प्राथमिकी में अपराध में सहयोगी के रूप में किया गया है।

न्यायाधीश ने कहा, चूंकि नारायण काफी समय तक अंडमान के मुख्य सचिव रहे और ‘‘उनकी शक्ति और हैसियत की तुलना सामान्य स्तर के व्यक्ति के साथ नहीं की जा सकती।’’ आदेश में कहा गया, ‘‘…उचित और निष्पक्ष जांच के लिए वर्तमान याचिकाकर्ता को हिरासत में लेकर पूछताछ की जरूरत से इंकार नहीं किया जा सकता है।’’

प्राथमिकी एक अक्टूबर को दर्ज की गई थी जब नारायण को दिल्ली वित्तीय निगम के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक के रूप में पदस्थापित किया गया था। सरकार ने उन्हें 17 अक्टूबर को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया।

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