नयी दिल्ली, दो दिसंबर (भाषा) भारत ने अगरतला स्थित बांग्लादेश के सहायक उच्चायोग में जबरन प्रवेश किए जाने की घटना को ‘‘बेहद खेदजनक’’ बताते हुए कहा कि किसी भी स्थिति में वाणिज्य दूतावास की संपत्तियों को निशाना नहीं बनाया जाना चाहिए।
विदेश मंत्रालय ने यह टिप्पणी ऐसे समय में की है जब बांग्लादेश में आध्यात्मिक नेता चिन्मय कृष्ण दास को गिरफ्तार किए जाने तथा वहां अल्पसंख्यकों पर हो रहे हमलों के विरोध में हजारों लोगों ने त्रिपुरा स्थित बांग्लादेश के सहायक उच्चायोग के आसपास एक विशाल रैली निकाली थी।
अगरतला स्थित बांग्लादेश के सहायक उच्चायोग के परिसर में कथित तौर पर 50 से अधिक प्रदर्शनकारी दाखिल हो गए, जिससे वहां मौजूद लोग घबरा गए।
विदेश मंत्रालय ने कहा, ‘‘अगरतला में स्थित बांग्लादेश सहायक उच्चायोग के परिसर में आज जबरन प्रवेश किए जाने की घटना बेहद खेदजनक है।’’
इसमें कहा गया कि सरकार नयी दिल्ली स्थित बांग्लादेश उच्चायोग तथा भारत में स्थित अन्य उच्चायोग की सुरक्षा बढ़ाने के लिए कार्रवाई कर रही है।
विदेश मंत्रालय ने कहा, ‘‘किसी भी स्थिति में राजनयिक और वाणिज्य दूतावास की संपत्तियों को निशाना नहीं बनाया जाना चाहिए।’’
इसमें कहा गया, ‘‘सरकार नयी दिल्ली स्थित बांग्लादेश उच्चायोग और देश में उसके उप/सहायक उच्चायोगों की सुरक्षा-व्यवस्था बढ़ाए जाने के लिए कार्रवाई कर रही है।’’
भारत ने बांग्लादेश में उग्र बयानबाजी और हिंसा की बढ़ती घटनाओं पर गंभीर चिंता व्यक्त करते हुए शुक्रवार को कहा कि अंतरिम सरकार को सभी अल्पसंख्यकों की रक्षा की अपनी जिम्मेदारी निभानी चाहिए।
भारत ने यह भी आशा व्यक्त की कि बांग्लादेश में राजद्रोह के आरोप में गिरफ्तार हिंदू नेता चिन्मय कृष्ण दास से संबंधित मामले को न्यायसंगत, निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से निपटाया जाएगा।
बांग्लादेश में अगस्त में राजनीतिक उथल-पुथल के बीच शेख हसीना ने प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। बाद में मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व में अंतरिम सरकार गठित होने के बाद भारत और बांग्लादेश के संबंधों में तनाव पैदा हो गया।
भारत बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों, विशेषकर हिंदुओं पर हमलों को लेकर चिंता व्यक्त करता रहा है।
भाषा
प्रीति धीरज
धीरज
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