जम्मू-कश्मीर में आतंकी तंत्र को खत्म करने पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है: सैन्य कमांडर |

जम्मू-कश्मीर में आतंकी तंत्र को खत्म करने पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है: सैन्य कमांडर

जम्मू-कश्मीर में आतंकी तंत्र को खत्म करने पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है: सैन्य कमांडर

:   Modified Date:  October 25, 2024 / 07:13 PM IST, Published Date : October 25, 2024/7:13 pm IST

उधमपुर, 25 अक्टूबर (भाषा) सेना के एकीकृत मुख्यालय ने जम्मू-कश्मीर में आतंकवादी हमलों की बढ़ती घटनाओं को लेकर श्रीनगर में एक बैठक में चर्चा कर रणनीति तैयार की। सेना के एक वरिष्ठ अधिकारी ने शुक्रवार को यह जानकारी दी।

उन्होंने कहा कि बैठक में, हिंसा के चक्र को तोड़ने और आतंकवादी पारिस्थितिकी तंत्र को नष्ट करने पर ध्यान केंद्रित किया गया।

उन्होंने हालांकि इस संबंध में विस्तृत जानकारी देने से इनकार कर दिया।

सेना की उत्तरी कमान के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल एम. वी. सुचिन्द्र कुमार ने कहा, ‘‘इस रणनीति का मूल उद्देश्य नागरिकों और सैनिकों के बीच संबंधों को मजबूत करना है, साथ ही राष्ट्रवादी और मुख्यधारा की भावनाओं को प्रोत्साहित करना है, खासकर युवाओं के बीच।’’

उन्होंने कहा कि हिंसा के चक्र को तोड़ने, आतंकी पारिस्थितिकी तंत्र को समाप्त करने, युवाओं और महिलाओं को सशक्त बनाने, शिक्षा की सुविधा प्रदान करने, खेलों को बढ़ावा देने और क्षेत्र की समृद्ध ऐतिहासिक और सांस्कृतिक विरासत को पुनर्जीवित करने पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है।

सेना के कमांडर ने यहां पत्रकारों से कहा, ‘‘मैं आपको आश्वस्त करना चाहता हूं कि स्थिति नियंत्रण में है।’’

उत्तरी कश्मीर के गुलमर्ग से छह किलोमीटर दूर सेना के एक वाहन पर बृहस्पतिवार को हुए आतंकवादी हमले में दो सैनिक शहीद हो गये थे। इस हमले में सैन्य बल के साथ काम करने वाले दो कुलियों की भी मौत हो गई थी।

रविवार को एक अन्य घातक हमले में मध्य कश्मीर के गांदरबल जिले के गगनगीर इलाके में एक निर्माण स्थल पर आतंकवादियों द्वारा की गई गोलीबारी में छह प्रवासी मजदूरों और एक स्थानीय चिकित्सक की मौत हो गई थी।

इससे पहले 18 अक्टूबर को शोपियां जिले में आतंकवादियों ने बिहार के एक मजदूर की गोली मारकर हत्या कर दी थी। आतंकवादियों ने पुलवामा जिले के त्राल इलाके में भी उत्तर प्रदेश के एक मजदूर को गोली मार दी थी जिससे वह घायल हो गया था।

लेफ्टिनेंट जनरल कुमार ने कहा कि सुरक्षा बल पिछले पांच वर्षों में जम्मू-कश्मीर में 720 आतंकवादियों को मार गिराने में सफल रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘‘जहां तक ​​बचे हुए आतंकवादियों का सवाल है, विभिन्न एजेंसियां ​​आंकड़े अद्यतन करती रहती हैं। यह 120 से 130 के बीच है। अब भर्ती के आंकड़े एकल अंकों में हैं… और यह अपने सबसे निचले स्तर पर है।’’

उन्होंने कहा कि नियंत्रण रेखा पर घुसपैठ रोधी तंत्र और आंतरिक इलाकों में आतंकवाद रोधी अभियानों से केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में शांति और विकास का माहौल बना है।

कुमार ने कहा, ‘‘हमारी सफलताओं से दुश्मन हताश है। उनका उद्देश्य आतंकवादियों को सीमा पार कराना है, लेकिन हमने घुसपैठ के प्रयासों को विफल कर दिया है। उनका लक्ष्य लोगों में भय पैदा करना है, लेकिन हम ऐसा नहीं होने देंगे।’’

उन्होंने कहा कि शांति, समृद्धि और बेहतर सुरक्षा स्थिति भारतीय सेना और अन्य सभी एजेंसियों और हितधारकों के ठोस और समन्वित प्रयासों के कारण है। उन्होंने कहा, ‘‘भारतीय सेना केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के लोगों को सुरक्षित माहौल प्रदान करने के लिए प्रयास करती रहेगी।’’

जम्मू क्षेत्र में सुरक्षा स्थिति का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि विभिन्न एजेंसियां ​​वांछित परिणाम प्राप्त करने के लिए अभियान चला रही हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘ग्राम रक्षा समूहों (वीडीजी) ने दशकों से दूरदराज के इलाकों की सुरक्षा सुनिश्चित की है। छह सौ से अधिक वीडीजी स्थापित किए जा रहे हैं और उन्हें 10,000 आधुनिक हथियार प्रदान किए जा रहे हैं। उन्हें प्रशिक्षित भी किया जा रहा है।’’

कश्मीर में आतंकवादी हमलों के बारे में पूछे गए एक सवाल का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि बृहस्पतिवार को श्रीनगर में एकीकृत मुख्यालय की बैठक में इस संबंध में चर्चा की गई तथा इन खतरों से निपटने के लिए रणनीति तैयार की गई।

उन्होंने कहा, ‘‘एकीकृत सैन्य और सामाजिक पहुंच प्रयासों के माध्यम से हम राष्ट्र निर्माण की व्यापक प्रक्रिया में योगदान दे रहे हैं।’’

उन्होंने कहा कि सेना, नागरिक प्रशासन, केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों, पुलिस और खुफिया एजेंसियों के बीच तालमेल से काफी फायदा मिला है।

उन्होंने कहा, ‘‘यह क्षेत्र कठुआ और सांबा से शुरू होकर सीमा पर स्थित है और फिर पुंछ और राजौरी के अलावा रियासी, किश्तवाड़ और डोडा के अंदरूनी इलाकों तक फैला हुआ है… पिछले दस से 15 साल से यह काफी हद तक शांतिपूर्ण है। अंतरराष्ट्रीय सीमा और नियंत्रण रेखा पर बड़ी चुनौती है। अंतरराष्ट्रीय सीमा लगभग 210 किलोमीटर लंबी है और नियंत्रण रेखा भी करीब इतनी ही है।

उन्होंने कहा कि वह आश्वस्त करना चाहते हैं कि स्थिति नियंत्रण में है।

भाषा

देवेंद्र अविनाश

अविनाश

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)