मैंगलोर: करीब 13 साल पहले यानि 22 मई 2010 को एयर इंडिया एक्सप्रेस का एक यात्री विमान मंगलोर में भीषण हादसे का शिकार हो गया था। यह विमान था एयर एक्सप्रेस का फ्लाइट 812 (Flight 812 Air Express Accident) जो दुबई से आ रहा था। 22 मई 2010 को एयर इंडिया की दुबई से मंगलोर आ रही फ्लाइट संख्या 812 लैंडिंग के वक्त रनवे को पार करते हुए पहाड़ी में जा गिरी थी। उस हादसे में158 लोगों की मौत हो गई। उस विमान में 160 यात्री और 6 चालक दल के सदस्य थे। सभी चालक दल सदस्यों और 152 यात्रियों की हादसे में जान चली गई। सिर्फ 8 यात्री ही बच सके थे। यह हादसा एयर इण्डिया के इतिहास में अब तक का सबसे भीषण हादसा था। जांच में पाया गया की यह हादसा दोनों पायलट की भरी चूक और लापरवाही की वजह से हुआ था। हादसे में दोनों पायलट भी मारे गए थे।
इस विमान ने दुबई से रात के 2 बजकर 36 मिनट पर टेकऑफ किया था। ये एक बोइंग 737 प्लेन था, जिसमें क्रू सहित कुल 166 लोग सवार थे। फ्लाइट को कर्नाटका में मैंगलोर इंटरनेशनल एयरपोर्ट में लैंड करना था और इसके कैप्टन थे, सर्बियाई मूल के ज़्लाटको ग्लूसिका। फ्लाइट के फर्स्ट ऑफिसर थे हरबिंदर अहलुवालिया। दोनों अनुभवी थे और कई बार इस रुट पर उड़ान भर चुके थे। दुबई से मैंगलोर पहुंचने में लगभग साढ़े तीन घंटे का समय लगना था। इसलिए ज़्लाटको ने टेक ऑफ के बाद कमान अहलुवालिया के हाथ सौंप दी। और खुद लम्बी नींद में चले गए। फ्लाइट निश्चित गति से उड़ती रही।
लेकिन जब विमान को मैंगलोर में टेकऑफ करना था तो विमान की कमान फर्स्ट ऑफिसर ज़्लाटको को अपने हाथ में ले ले लेनी थी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। फ्लाइट का संचालन अब भी फर्स्ट ऑफिसर हरबिंदर अहलुवालिया के हाथ में थी। उन्होंने विमान को उतारने के दौरान जरूरी प्रक्रियाओं का पालन नहीं किया। जिसमे प्रमुख था प्लेन को धीरे-धीरे नीचे लाना। (Flight 812 Air Express Accident) मैंगलोर के जटिल रनवे में यह काम विमान को अपने पहुँच एयरपोर्ट से 250 किलोमीटर पहले शुरू कर देना था लेकिन फर्स्ट ऑफिसर हरबिंदर अहलुवालिया ने ऐसा नहीं किया, नतीजतन जब विमान ढाई किलोमीटर लम्बे रनवे पर उतरा तो आधा रनवे ख़त्म हो चुका था।
इसके साथ ही फ्लाइट की स्पीड भी काफी अधिक थी। देखते ही देखते विमान रनवे को पार कर आगे बढ़ गया। रनवे के बाद विमान का एक पंख किनारे खम्बे से टकरा गया और इससे विमान में आग लग गई। विमान सीधे खाई में जा गिरा। इस हादसे के बाद जब प्लेन रुक तो 8 यात्री अपनी जान बचाकर जैसे-तैसे बाहर आ गये लेकिन बाकी बचे 158 लोगो की मौत हो गई। यह विमानन इतिहास के सबसे भीषण दुर्घटनाओ में गिना जाता हैं।
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