महाराजगंज (उप्र), एक जनवरी (भाषा) उत्तर प्रदेश पुलिस ने वर्ष 2019 में पूर्व नोटिस के बगैर एक मकान को अवैध ढंग से ध्वस्त करने के आरोप में कई प्रशासनिक और पुलिसकर्मियों के साथ ही पूर्व जिला मजिस्ट्रेट के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की है।
कोतवाली थाना में सोमवार को दर्ज प्राथमिकी के मुताबिक, सरकारी अधिकारियों, इंजीनियरों, ठेकेदारों पर कानून की अवज्ञा करने और नुकसान पहुंचाने के इरादे से गलत दस्तावेज तैयार करने सहित अन्य आरोपों को लेकर मामला दर्ज किया गया है।
उच्चतम न्यायालय ने 2019 में अवैध ध्वस्तीकरण को लेकर छह नवंबर को उत्तर प्रदेश को फटकार लगाई थी और सड़क चौड़ीकरण और अतिक्रमण हटाने के दौरान उचित प्रक्रिया अपनाने का सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को निर्देश दिया था।
तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला एवं न्यायमूर्ति मनोज मिश्र की पीठ ने उत्तर प्रदेश सरकार को याचिकाकर्ता को 25 लाख रुपये मुआवजा देने का भी निर्देश दिया था जिसका मकान सड़क चौड़ीकरण परियोजना के लिए 2019 में ध्वस्त कर दिया गया था।
याचिकाकर्ता मनोज टिबरेवाला आकाश ने मंगलवार को पत्रकारों को बताया कि अदालत के आदेश पर महाराजगंज थाना कोतवाली में 30 दिसंबर को प्राथमिकी दर्ज की गई।
कोतवाली सदर प्रभारी निरीक्षक सतेन्द्र राय ने बुधवार को पीटीआई-भाषा को बताया कि सरकार के आदेश के मुताबिक प्राथमिकी दर्ज की गई है और राज्य की ‘सीबी-सीआईडी’ द्वारा आगे की जांच की जाएगी।
प्राथमिकी के मुताबिक, जिन लोगों पर मामला दर्ज किया गया है, उनमें महाराजगंज के तत्कालीन जिला मजिस्ट्रेट अमरनाथ उपाध्याय, तत्कालीन अपर जिला मजिस्ट्रेट कुंज बिहारी अग्रवाल, तत्कालीन नगर कार्यकारी अधिकारी राजेश जायसवाल, लोक निर्माण विभाग के अधिकारी मणिकांत अग्रवाल, अशोक कन्नौजिया, राष्ट्रीय राजमार्ग अधिकारी दिग्विजय मिश्र के साथ ही कुछ इंजीनियर, पुलिस निरीक्षक, उप निरीक्षक और अन्य अज्ञात लोग शामिल हैं।
भाषा सं राजेंद्र नरेश अविनाश
अविनाश
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