त्वरित अदालतों ने यौन अपराधों से जुड़े 90 प्रतिशत से अधिक मामलों का निपटारा किया : रिपोर्ट |

त्वरित अदालतों ने यौन अपराधों से जुड़े 90 प्रतिशत से अधिक मामलों का निपटारा किया : रिपोर्ट

त्वरित अदालतों ने यौन अपराधों से जुड़े 90 प्रतिशत से अधिक मामलों का निपटारा किया : रिपोर्ट

:   Modified Date:  September 11, 2024 / 05:47 PM IST, Published Date : September 11, 2024/5:47 pm IST

नयी दिल्ली, 11 सितंबर (भाषा) यौन अपराधों से संबंधित मामलों की सुनवाई प्रक्रिया में तेजी लाने वालीं विशेष त्वरित अदालतों ने 2022 में 83 प्रतिशत और 2023 में 94 प्रतिशत मामलों का निपटारा किया, जबकि अन्य सभी भारतीय अदालतों में निपटान दर केवल 10 प्रतिशत देखी गई। एक नयी रिपोर्ट से यह जानकारी मिली है।

बाल अधिकारों के लिए काम करने वाले गैर-सरकारी संगठन ‘इंडिया चाइल्ड प्रोटेक्शन’ की हालिया रिपोर्ट ‘फास्ट ट्रैकिंग जस्टिस : रोल ऑफ फास्ट ट्रैक स्पेशल कोर्ट्स इन रिड्यूसिंग केस बैकलॉग’ में इन न्यायालयों की असाधारण कार्यकुशलता पर प्रकाश डाला गया है।

रिपोर्ट के मुताबिक, जबकि सभी भारतीय न्यायालयों में 2022 में बलात्कार और पॉक्सो (यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण) मामलों में केवल 10 प्रतिशत निपटान दर देखी गई, वहीं विशेष त्वरित अदालतों ने 83 प्रतिशत की प्रभावशाली दर हासिल की, जो 2023 में और बेहतर होकर 94 प्रतिशत हो गई।

त्वरित अदालतों के सकारात्मक प्रभाव के बावजूद, रिपोर्ट न्यायिक प्रणाली की चुनौतियों की एक अलग तस्वीर पेश करती है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि अगस्त 2024 तक, 1023 निर्धारित विशेष अदालतों में से 410 विशेष पॉक्सो अदालतों, सहित कुल 755 त्वरित विशेष अदालतें कार्यरत हैं।

रिपोर्ट के अनुसार, योजना की शुरुआत के बाद से त्वरित विशेष अदालतों में बलात्कार और पॉक्सो के कुल 4,16,638 मामलों की सुनवाई की गई है और इन अदालतों ने 2018 में अपनी स्थापना के बाद से दर्ज किए गए 52 प्रतिशत मामलों का निपटारा किया है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि इन विशेष अदालतों में 4,16,638 मामलों में से कुल 2,14,463 का निपटारा किया गया है।

इसमें कहा गया है कि महाराष्ट्र (80 प्रतिशत) और पंजाब (71 प्रतिशत) में मामलों के निपटान की उच्च दर दर्ज की गई है, जो राष्ट्रीय औसत (52 प्रतिशत) से काफी अधिक है। रिपोर्ट में कहा गया है कि सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में पश्चिम बंगाल में निपटान की दर सबसे कम (दो प्रतिशत) दर्ज की गई है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि अकेले 2023 में बलात्कार और पॉक्सो के 81,471 मामले दर्ज किए गए, जिनमें से कुल 76,319 मामलों का निपटारा विशेष अदालतों द्वारा किया गया।

बाल अधिकार कार्यकर्ता भुवन रिभु ने कहा कि लंबित मामलों को तेजी से निपटाना बहुत महत्वपूर्ण है।

रिभु ने कहा, ‘‘यह समय महिलाओं और बच्चों के लिए न्याय सुनिश्चित करने का है, इसके लिए 1,000 नई विशेष त्वरित अदालतें गठित की जाएं और उच्चतम न्यायालय व उच्च न्यायालयों सहित सभी अदालतों में समयबद्ध सुनवाई की जाए।’’

भाषा

शफीक सुरेश

सुरेश

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)