कोनूर (नमक्कल)। तेज धूप में 59 साल की महिला एल वरुदम्मल एक खेत में काम कर रही हैं। लाल साड़ी, चोली के ऊपर सफेद शर्ट पहने और सिर पर लाल गमछा लपेटे महिला गांव में रहने वाली किसी भी आम महिला जैसी है। वहीं एक खेत में 68 साल के लोगनाथन जमीन समतल करने में लगे हैं। दोनों को देखकर यह अंदाजा बिल्कुल नहीं होगा कि वे एक केंद्रीय मंत्री के माता-पिता हैं। बेटा एल मुरुगन इसी महीने केंद्र में राज्य मंत्री बना है मगर ये दोनों अब भी खेतों में ही काम कर रहे हैं। दोनों को अपने बेटे से अलग जिंदगी पसंद है और मेहनत करके खाना अच्छा लगता है।
ये भी पढें: 100 रुपए में 100 यूनिट मिले बिजली.. पूर्व सीएम की मांग- बिल से आम आदमी परेशान.. इस पर ध्यान दे सरकार
जब शनिवार को एक अंग्रेजी अखबार उनके गांव पहुंचा और दोनों से बातचीत की तो वरुदम्मल हिचकते हुए आईं और कहा, “मैं क्या करूं अगर मेरा बेटा केंद्रीय मंत्री बन गया है तो?” अपने बेटे के नरेंद्र मोदी कैबिनेट का हिस्सा होने पर उन्हें गर्व तो है मगर वो इसका श्रेय नहीं लेना चाहतीं। उन्होंने कहा, ‘हमने उसके लिए कुछ नहीं किया।’
अरुणथथियार समुदाय से आने वाले ये दोनों नमक्कल के पास एजबेस्टास की छत वाली झोपड़ी में निवास करते हैं। कभी कुली का काम करते हैं तो कभी खेतों में, कुल मिलाकर रोज कमाई करने वालों में से हैं। बेटा केंद्रीय मंत्री है, इस बात से इनकी जिंदगी में कोई फर्क नहीं है। जब उन्हें पड़ोसियों से इस खबर का पता चला तब भी खेतों में काम कर रहे थे और खबर सुनने के बाद भी रुके नहीं।
ये भी पढें: मशहूर शायर मुनव्वर राना ने कहा योगी दोबारा सीएम बने…
एक साल पहले जब मुरुगन को तमिलनाडु बीजेपी का प्रमुख बनाया गया था, तब वे अपने माता-पिता से मिलने कोनूर आए थे। मुरुगन के साथ समर्थकों का जत्था और पुलिस सुरक्षा थी मगर माता-पिता ने बिना किसी शोर-शराबे के बड़ी शांति से बेटे का स्वागत किया। वे अपने बेटे की सफलता पर नाज करते हैं मगर स्वतंत्र रहनें की अपनी जिद है। पांच साल पहले छोटे बेटे की मौत हो गई थी, तब से बहू और बच्चों की जिम्मेदारी भी यही संभालते हैं।
मुरुगन के पिता के अनुसार, पह पढ़ाई में बड़ा तेज था। चेन्नै के आंबेडकर लॉ कॉलेज में बेटे की पढ़ाई के लिए लोगनाथन को दोस्तों से रुपये उधार लेने पड़ते थे। मुरुगन बार-बार उनसे कहता कि चेन्नै आकर उनके साथ रहें। वरुदम्मल ने कहा, “हम कभी-कभार जाते और वहां चार दिन तक उसके साथ रहते। हम उसकी व्यस्त लाइफस्टाइल में फिट नहीं हो पाए और कोनूर लौटना ज्यादा सही लगा।” मुरुगन ने केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल होने के बाद मां-बाप से फोन पर बात की। दोनों ने उनसे पूछा कि यह पद राज्य बीजेपी प्रमुख से बड़ा है या नहीं।
<blockquote class=”twitter-tweet”><p lang=”en” dir=”ltr”>With the blessings of God and the Honourable Prime Minister Shri.<a href=”https://twitter.com/narendramodi?ref_src=twsrc%5Etfw”>@narendramodi</a> ji, was sworn in as a Minister of State in the Government of India, at Rashtrapati Bhavan.<a href=”https://twitter.com/JPNadda?ref_src=twsrc%5Etfw”>@JPNadda</a> <a href=”https://twitter.com/blsanthosh?ref_src=twsrc%5Etfw”>@blsanthosh</a> <a href=”https://twitter.com/hashtag/Govt4Growth?src=hash&ref_src=twsrc%5Etfw”>#Govt4Growth</a><a href=”https://twitter.com/hashtag/CabinetReshuffle?src=hash&ref_src=twsrc%5Etfw”>#CabinetReshuffle</a> <a href=”https://t.co/x3KSc2Qcec”>pic.twitter.com/x3KSc2Qcec</a></p>— Dr.L.Murugan (@Murugan_MoS) <a href=”https://twitter.com/Murugan_MoS/status/1412798070081736707?ref_src=twsrc%5Etfw”>July 7, 2021</a></blockquote> <script async src=”https://platform.twitter.com/widgets.js” charset=”utf-8″></script>
ये भी पढें: 7th Pay Commission latest news on Bonus : संविदा कर…
गांव के मुखिया ने कहा कि बेटे के केंद्रीय मंत्री बन जाने के बावजूद दोनों के बर्ताव में कोई बदलाव नहीं आया है। गांव में ही रहने वाले एक शख्स ने कहा कि जब राज्य सरकार कोविड के समय राशन बांट रही थी तो लोगनाथन लाइन में लगे थे। उन्होंने बताया, “हमने उससे कहा कि लाइन तोड़कर चले जाओ मगर वो नहीं माने।” दोनों अपनी सादगी के लिए जाने जाते हैं। उनके पास कोई जमीन नहीं है।
नोएडा में बस चालक ने कार को मारी टक्कर, विरोध…
50 mins ago