Issues between Andhra Pradesh and Telangana : हैदराबाद। विभाजन के दस साल बाद भी आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के बीच संपत्तियों के बंटवारे, बिजली बिल बकाया जैसे कई मुद्दे अनसुलझे हैं। हालांकि, हैदराबाद दो जून से दोनों राज्यों की साझा राजधानी नहीं रहेगा, यह केवल तेलंगाना का राजधानी शहर रह जाएगा। आंध्र प्रदेश पुनर्गठन अधिनियम 2014 के अनुसार दो जून के बाद से हैदराबाद पूरी तरह से तेलंगाना का होगा।
Issues between Andhra Pradesh and Telangana : आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, दोनों राज्यों के बीच आंध्र प्रदेश पुनर्गठन अधिनियम की अनुसूची-9 और अनुसूची-10 में सूचीबद्ध विभिन्न संस्थानों और निगमों का विभाजन अब तक पूरा नहीं हुआ है क्योंकि कई मुद्दों पर सहमति नहीं बन पाई है। आंध्र प्रदेश पुनर्गठन अधिनियम के अनुसार, लगभग 89 सरकारी कंपनियां और निगम नौवीं अनुसूची में सूचीबद्ध हैं।
इन कंपनियों और निगमों में आंध्र प्रदेश राज्य बीज विकास निगम, आंध्र प्रदेश राज्य कृषि औद्योगिक विकास निगम और आंध्र प्रदेश राज्य भंडारण निगम जैसी राज्य-संचालित कंपनियां तथा निगम शामिल हैं। अधिनियम की 10वीं अनुसूची में आंध्र प्रदेश राज्य सहकारी संघ, पर्यावरण संरक्षण प्रशिक्षण एवं अनुसंधान संस्थान, आंध्र प्रदेश वन अकादमी, सुशासन केंद्र और आंध्र प्रदेश पुलिस अकादमी जैसे 107 प्रशिक्षण संस्थान/केंद्र शामिल हैं। हालांकि, सेवानिवृत्त नौकरशाह शीला भिड़े की अध्यक्षता वाली एक विशेषज्ञ समिति ने अनुसूची-9 और अनुसूची-10 के संस्थानों के विभाजन पर सिफारिशें दी हैं, लेकिन मामला अभी अनसुलझा है।
विभाजन के बाद बिजली आपूर्ति के बकाया भुगतान को लेकर भी दोनों राज्य विवाद में फंस गए हैं। जबकि कर्मचारियों का तबादला उन मुद्दों में से एक है जो अंतिम समाधान की प्रतीक्षा कर रहा है। तेलंगाना अराजपत्रित अधिकारी संघ मध्य-हैदराबाद के अध्यक्ष एम. जगदीश्वर ने रविवार को बताया कि उन्होंने 18 मई को उपमुख्यमंत्री मल्लू भट्टी विक्रमार्क को एक ज्ञापन सौंपा है और उनसे राज्य विभाजन के दौरान आंध्र प्रदेश को आवंटित हुए 144 तेलंगाना कर्मचारियों को वापस लाने के लिए सरकार से आग्रह किया गया।
ये कर्मचारी 2014 से आंध्र प्रदेश में काम कर रहे हैं। एक अन्य उदाहरण राज्य संचालित सड़क परिवहन निगम की संपत्ति को लेकर दोनों राज्यों के बीच असहमति है। तेलंगाना राज्य सड़क परिवहन निगम (टीएसआरटीसी) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि आंध्र प्रदेश ने हैदराबाद में स्थित निगम की संपत्तियों में हिस्सेदारी मांगी है और टीएसआरटीसी ने इससे इनकार कर दिया है तथा इस पर असहमति जताई है।
टीएसआरटीसी को लगता है कि शीला भिड़े समिति द्वारा दी गई ‘मुख्यालय’ की परिभाषा के अनुसार ये संपत्तियां उसकी हैं। मुख्यमंत्री ए रेवंत रेड्डी ने अधिकारियों को आंध्र प्रदेश में कर्मचारियों के लंबित तबादले और प्रत्यावर्तन को सौहार्दपूर्ण ढंग से निपटाने का निर्देश दिया था। उन्होंने अधिकारियों से उन मुद्दों को हल करने के लिए कहा था, जहां दोनों राज्यों के बीच सुलह हो और अन्य लंबित मामलों पर तेलंगाना के हितों की रक्षा के लिए इस तरह से कार्य किया जाए।
तेलंगाना सरकार ने तेलंगाना और आंध्र प्रदेश के बीच लंबित मुद्दों तथा अन्य संबंधित मामलों पर चर्चा करने के लिए 18 मई को राज्य मंत्रिमंडल की बैठक आयोजित करने का प्रस्ताव दिया था। हालांकि, मंत्रिमंडल की बैठक नहीं हो सकी क्योंकि लोकसभा चुनाव के लिए आदर्श आचार संहिता के मद्देनजर निर्वाचन आयोग से अपेक्षित मंजूरी 18 मई की रात तक नहीं मिली थी।
मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी ने अब निर्वाचन आयोग की मंजूरी मिलने के बाद ही मंत्रिमंडल की बैठक आयोजित करने का फैसला किया है। पिछली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार के शासनकाल के दौरान फरवरी, 2014 में संसद में आंध्र प्रदेश पुनर्गठन विधेयक पारित होने के बाद दो जून, 2014 को जब तेलंगाना अस्तित्व में आया, तो यह एक दशकों पुरानी मांग की पूर्ति थी।
हैदराबाद को दो जून 2014 से 10 वर्षों की अवधि के लिए दोनों राज्यों की साझा राजधानी बनाया गया था। आंध्र प्रदेश पुनर्गठन अधिनियम के अनुसार हैदराबाद महानगर दो जून, 2024 से अकेले तेलंगाना की राजधानी होगा। आंध्र प्रदेश सरकार का सचिवालय वर्ष 2016 में ही राज्य के अमरावती में स्थानांतरित हो गया था, जब तेलुगु देशम पार्टी के अध्यक्ष एन चंद्रबाबू नायडू मुख्यमंत्री थे। नायडू ने अमरावती में एक विश्व स्तरीय राजधानी विकसित करने की योजना बनाई थी।