संविधान पर सीधे हमले का सबसे बड़ा और काला अध्याय है आपातकाल: राष्ट्रपति |

संविधान पर सीधे हमले का सबसे बड़ा और काला अध्याय है आपातकाल: राष्ट्रपति

संविधान पर सीधे हमले का सबसे बड़ा और काला अध्याय है आपातकाल: राष्ट्रपति

:   Modified Date:  June 27, 2024 / 02:19 PM IST, Published Date : June 27, 2024/2:19 pm IST

नयी दिल्ली, 27 जून (भाषा) राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने बृहस्पतिवार को अपने अभिभाषण में 1975 में लागू आपातकाल का उल्लेख किया और इसे ‘संविधान पर सीधे हमले का सबसे बड़ा एवं काला अध्याय’ करार देते हुए कहा कि ऐसे अनेक हमलों के बावजूद देश ने असंवैधानिक ताकतों पर विजय प्राप्त करके दिखाई।

मुर्मू ने 18वीं लोकसभा में पहली बार दोनों सदनों की संयुक्त बैठक में अपने अभिभाषण में आपातकाल का जिक्र ऐसे समय किया है जब विपक्ष विशेषकर कांग्रेस लंबे समय से लगातार यह आरोप लगा रही है कि मोदी सरकार लोकतंत्र एवं संविधान पर हमले कर रही है तथा पिछले 10 वर्षों से देश में ‘अघोषित आपातकाल’ है।

हालिया लोकसभा चुनाव में भी कांग्रेस और उसके सहयोगी दलों को यह विमर्श खड़ा करने में सफलता मिली थी कि मोदी सरकार ‘400 पार’ का नारा लगा रही है ताकि संविधान को बदल सके।

दूसरी तरफ पिछले दो दिन से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के अन्य सहयोगी दल ‘आपातकाल’ को लेकर कांग्रेस पर निशाना साध रहे हैं।

सत्तापक्ष के सदस्यों ने बुधवार को संसद भवन के बाहर आपातकाल के खिलाफ प्रदर्शन भी किया।

राष्ट्रपति ने अपने अभिभाषण में कहा कि आने वाले कुछ महीनों में भारत एक गणतंत्र के रूप में 75 वर्ष पूरे करने जा रहा है।

उन्होंने कहा कि भारत का संविधान, बीते दशकों में हर चुनौती, हर कसौटी पर खरा उतरा है और जब संविधान बन रहा था, तब भी दुनिया में ऐसी ताकतें थीं, जो भारत के असफल होने की कामना कर रही थीं।

राष्ट्रपति ने अपने 55 मिनट के अभिभाषण में कहा कि देश में संविधान लागू होने के बाद भी संविधान पर अनेक बार हमले हुए।

उन्होंने कहा, ‘‘आज 27 जून है। 25 जून, 1975 को लागू हुआ आपातकाल, संविधान पर सीधे हमले का सबसे बड़ा और काला अध्याय था। तब पूरे देश में हाहाकार मच गया था।’’

मुर्मू ने कहा कि लेकिन ऐसी असंवैधानिक ताकतों पर देश ने विजय प्राप्त करके दिखाई, क्योंकि भारत के मूल में गणतंत्र की परंपराएं रही हैं।

जब राष्ट्रपति ने आपातकाल का उल्लेख किया तो सत्तापक्ष के सदस्यों ने ‘शेम-शेम’ के नारे लगाए।

मुर्मू ने कहा, ‘‘मेरी सरकार भारत के संविधान को सिर्फ राजकाज का माध्यम भर नहीं मानती, बल्कि हमारा संविधान जन-चेतना का हिस्सा हो, इसके लिए हम प्रयास कर रहे हैं। इसी ध्येय के साथ मेरी सरकार ने 26 नवंबर को संविधान दिवस के रूप में मनाना शुरू किया है।’’

राष्ट्रपति ने कहा कि अब जम्मू-कश्मीर में भी संविधान पूरी तरह लागू हो गया है, जहां (पहले) अनुच्छेद 370 की वजह से स्थितियां कुछ और थीं।

भाषा वैभव हक हक माधव वैभव

वैभव

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)