नयी दिल्ली, 22 अगस्त (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को कहा कि एल्गार परिषद-माओवादी संबंध मामले में आरोपी कार्यकर्ता ज्योति जगताप की जमानत याचिका पर राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) की एक लंबित याचिका के साथ सुनवाई की जाएगी।
एनआईए की उस लंबित याचिका में मामले के सह-आरोपियों में से एक महेश राउत को बम्बई उच्च न्यायालय द्वारा दी गई जमानत के निर्णय को चुनौती दी गई है।
बम्बई उच्च न्यायालय ने पिछले वर्ष 21 सितंबर को राउत की नियमित जमानत मंजूर की थी, लेकिन इसने जमानत आदेश के खिलाफ अपील के लिए समय दिये जाने के एनआईए के अनुरोध पर एक सप्ताह के लिए अपने आदेश के क्रियान्वयन पर रोक लगा दी थी। जब एनआईए ने शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया तो इसने (न्यायालय ने) भी जमानत आदेश के क्रियान्वयन पर लगी रोक बढ़ा दी थी। राउत को इस मामले में जून 2018 में गिरफ्तार किया गया था।
जगताप की जमानत याचिका बृहस्पतिवार को न्यायमूर्ति एम एम सुंदरेश और न्यायमूर्ति अरविंद कुमार की पीठ के समक्ष सुनवाई के लिए आयी।
एनआईए की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) के. एम. नटराज ने पीठ को राउत को दी गई जमानत के खिलाफ जांच एजेंसी की याचिका के लंबित होने के बारे में बताया।
विधि अधिकारी ने कहा, ‘पूरे मामले पर विस्तार से विचार करना होगा। कृपया एक पहलू पर विचार करें। एक दूसरे आरोपी के संबंध में एक याचिका पहले से ही लंबित है। उसे जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया गया था और उस पर इस अदालत ने रोक लगा दी है।’
पीठ ने कहा, ‘हम दोनों मामलों पर एकसाथ सुनवाई करेंगे।’
पीठ ने शीर्ष अदालत की रजिस्ट्री को दोनों मामलों की सुनवाई एकसाथ करने के लिए उचित आदेश लेने का निर्देश दिया। पीठ ने कहा, ‘या तो वह (याचिका) इसके साथ आएगी या यह उसके साथ जाएगी।’
सितंबर 2020 में गिरफ्तार की गई जगताप की ओर से पेश हुए वकील ने कहा कि वह (जगताप) लगभग चार साल से हिरासत में है।
उन्होंने कहा कि मामले के सिलसिले में कुल 16 लोगों को गिरफ्तार किया गया था, जिनमें से सात जमानत पर हैं, जबकि उनमें से एक की मौत हो चुकी है। उन्होंने जगताप के खिलाफ लगाए गए आरोपों का जिक्र किया और कहा कि मामले में 295 गवाह हैं और आरोप तय होना बाकी है।
वकील ने दलील दी कि जांच के दौरान जगताप से कुछ भी बरामद नहीं हुआ है।
जगताप ने उच्च न्यायालय के 17 अक्टूबर, 2022 के आदेश को चुनौती देते हुए शीर्ष अदालत का रुख किया है, जिसमें उसे जमानत देने से इनकार कर दिया गया था। अदालत ने जमानत देने से यह कहते हुए इनकार किया था कि उसके खिलाफ एनआईए का मामला ‘प्रथम दृष्टया सत्य’ प्रतीत होता है और वह प्रतिबंधित भाकपा (माओवादी) संगठन द्वारा रची गई ‘बड़ी साजिश’ का हिस्सा थी।
उच्च न्यायालय ने कहा था कि जगताप कबीर कला मंच (केकेएम) समूह की सक्रिय सदस्य थी, जिसने 31 दिसंबर, 2017 को पुणे में आयोजित एल्गार परिषद सम्मेलन में अपने मंचीय नाटक के दौरान न केवल ‘आक्रामक, बल्कि अत्यधिक भड़काऊ नारे’ दिए थे।
वर्ष 2017 का एल्गार परिषद सम्मेलन पुणे शहर के मध्य में स्थित 18वीं सदी के किले शनिवारवाड़ा में आयोजित किया गया था।
सम्मेलन में केकेएम के अन्य सदस्यों के साथ गाने और भड़काऊ नारे लगाने की आरोपी जगताप को सितंबर 2020 में गिरफ्तार किया गया था और उसे न्यायिक हिरासत में जेल में रखा गया है।
जांचकर्ताओं के अनुसार, इस सम्मेलन में कथित तौर पर दिए गए भड़काऊ भाषणों के कारण एक जनवरी, 2018 को पुणे के बाहरी इलाके कोरेगांव-भीमा में हिंसा भड़की थी।
जगताप गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम सहित कथित अपराधों के लिए जेल में बंद है।
भाषा अमित सुरेश
सुरेश
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