नई दिल्ली: Electoral Bonds Donors List लोकसभा चुनाव 2024 के लिए निर्वाचन आयोग ने पूरी तैयारी कर ली है और कल दोपहर 3 बजे चुनाव की तारीखों का ऐलान कर दिया जाएगा। लेकिन चुनाव की तारीखों के ऐलान से पहले देश की सियासी गलियारों में इलेक्टोरल बॉन्ड को लेकर बवाल मचा हुआ है। इलेक्टोरल बॉन्ड की जानकारी सार्वजनिक किए जाने के बाद से राजनीतिक दलों के नेता आमने सामने आ गए हैं। वहीं, आज सुप्रीम कोर्ट ने एसबीआई को नोटिस जारी करते हुए इलेक्टोरल बॉन्ड से जुड़े यूनिक अल्फान्यूमरिक कोड नहीं बताने पर फटकार लगाई है।
Electoral Bonds Donors List इलेक्टोरल बॉन्ड की जानकारी सार्वजनिक किए जाने के बाद राजनीतिक दलों को चंदा देने वाली संस्थाओं का नाम सामने आ चुका है। साथ ही ये जानकारी भी सामने आ चुकी है कि किस संस्था ने कितना चंदा दिया है। लेकिन अगर चंदा देने वाली संस्थाओं की सूची को देखे तो 12 अप्रैल 2019 से 24 जनवरी 2024 तक चुनावी बॉन्ड खरीदने वाली टॉप 30 कंपनियों में से कम से कम 14 को केंद्रीय या राज्य जांच एजेंसियों द्वारा कार्रवाई का सामना करना पड़ा है।
एसबीआई की ओर से साझा की गई जानकारी के अनुसार फ्यूचर गेमिंग कंपनी ने 27 अक्टूबर 2020 और 5 अक्टूबर 2023 के बीच 1368 करोड़ रुपए का चंदा दिया। लेकिन इस बीच साल 2022 में ईडी ने कंपनी के ठिकानों पर दबिश देते हुए आय से मनी लॉन्ड्रिंग मामले में कार्रवाई की थी। इस दौरान ईडी की टीम ने करीब 409 करोड़ रुपए की संपत्ति जब्त की थी। इसके अलावा 2019 में भी ईडी ने लॉट्री स्कैम मामले में पीएमएलए के तहत सैंटियागो मार्टिन और उनके सहयोगियों के कोयंबटूर जिले में स्थित इमारतों के साथ 61 फ्लैट, 82 खुले प्लॉट और 6 प्लॉट की 119.6 करोड़ रुपए के करीब की संपत्ति कुर्क की थी।
अक्टूबर 2019 में, इनकम टैक्स विभाग ने हैदराबाद और दूसरे शहरों में तेलुगु टाइकून कृष्णा रेड्डी की मेघा इंजीनियरिंग इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड (एमईआईएल) के कई कार्यालयों पर छापेमारी की थी। तब से, कंपनी ने चुनावी बॉन्ड में 966 करोड़ रुपए का दान दिया है।
इस कंपनी ने चुनावी बॉन्ड में 377 करोड़ रुपये का चंदा दिया है। मार्च 2020 में इसे केंद्रीय जांच ब्यूरो की कार्रवाई का सामना करना पड़ा था। सीबीआई की जांच से पहले 2019 के चुनावी महीने मई में करीब 15 करोड़ रुपए का चंदा दिया था। एक करोड़ रुपए का इलेक्टोरल बॉन्ड अक्टूबर 2019 में और 60 लाख का जनवरी 2020 में खरीदा। वहीं बाकी 350 करोड़ से ज्यादा के बॉन्ड मार्च 2020 में सीबीआई की जांच के बाद से लेकर जनवरी 2024 तक खरीदे गए थे।
वेदांता ग्रुप की कंपनी तलवंडी साबो पावर लिमिटेड (टीएसपीएल) पर अगस्त 2022 में मनी लॉन्ड्रिंग जांच के सिलसिले में ईडी ने छापा मारा था. ग्रुप ने चुनावी बॉन्ड में सामूहिक रूप से 400 करोड़ रुपये का चंदा दिया है।
हैदराबाद स्थित कॉर्पोरेट हॉस्पिटल चेन पर दिसंबर 2020 में आयकर (आईटी) अधिकारियों ने छापा मारा था। इसने अक्टूबर 2021 में चुनावी बॉन्ड में 162 करोड़ रुपये का दान दिया।
रियल्टी डेवलपर कंपनी ने चुनावी बॉन्ड में 130 करोड़ रुपये का दान दिया। भूमि आवंटन में कथित अनियमितताओं को लेकर जनवरी 2019 में सीबीआई अधिकारियों ने यहां छापा मारा था। फिर, नवंबर 2023 में, ईडी ने रियल एस्टेट फर्म सुपरटेक के खिलाफ जांच के सिलसिले में उसके गुरुग्राम कार्यालयों की तलाशी ली।
अप्रैल 2022 में ईडी ने विदेशी मुद्रा नियमों (फॉरेन एक्सचेंज रेगुलेशन) के कथित उल्लंघन से जुड़े जांच के सिलसिले में जेएसपीएल के परिसरों की तलाशी ली। कंपनी ने चुनावी बॉन्ड के जरिए कुल 123 करोड़ रुपये का चंदा दिया।
कंस्ट्रक्शन फर्म चेन्नई ग्रीनवुड्स प्राइवेट लिमिटेड पर जुलाई 2021 में आयकर अधिकारियों ने छापा मारा था। जनवरी 2022 में इसने चुनावी बॉन्ड में 105 करोड़ रुपये का दान दिया था।
नवंबर 2023 में, आईटी अधिकारियों ने टैक्स चोरी के आरोप में डॉ. रेड्डीज लैबोरेटरीज के डॉ. के नागेंद्र रेड्डी के यहां छापेमारी की। यह तेलंगाना की शिक्षा मंत्री सबिता इंद्रा रेड्डी के परिसरों की तलाशी से जुड़े एक बड़े ऑपरेशन का हिस्सा था। डॉ रेड्डीज लैबोरेट्रीज ने तब तक चुनावी बॉन्ड के जरिए 80 करोड़ रुपये का दान दिया था।
जून 2020 में, भारत के सबसे बड़े डिस्टिलर और स्पिरिट निर्माताओं में से एक, आईएफबी एग्रो ने आरोप लगाया कि जीएसटी खुफिया महानिदेशालय (डीजीजीएसटी) की कोलकाता जोनल यूनिट ने कंपनी के नूरपुर प्लांट पर छापा मारा। 2023 में, कंपनी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने दावा किया कि उसने ‘सरकार से हमारे निर्देशों के अनुसार’ चुनावी बॉन्ड में 40 करोड़ रुपये का दान दिया। चुनाव आयोग द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, आईबीएफ एग्रो ने चुनावी बॉन्ड में कुल 92 करोड़ रुपये का दान दिया है। कंपनी तब संकट में थी जब 2020 में उसके नूरपुर प्लांट पर हमला हुआ था. पश्चिम बंगाल के तत्कालीन राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने हस्तक्षेप किया था और टीएमसी सरकार से राज्य में निवेश के लिए अनुकूल माहौल बनाने को कहा था।
हैदराबाद स्थित फर्म ने चुनावी बॉन्ड के जरिए 60 करोड़ रुपये का चंदा दिया है। टैक्स चोरी के आरोप में आयकर विभाग ने नवंबर 2022 में कंपनी पर छापेमारी की थी।
हैदराबाद स्थित डिविज लेबोरेटरी को फरवरी 2019 में आईटी कार्रवाई का सामना करना पड़ा। कंपनी ने तब से चुनावी बॉन्ड के जरिए 55 करोड़ रुपये का चंदा दिया था।
आईटी विभाग ने जनवरी 2020 में यूपीएल के कार्यालयों और परिसरों पर छापेमारी की। कंपनी ने नवंबर 2022 में चुनावी बॉन्ड के जरिए 50 करोड़ रुपये का चंदा दिया है।
प्रवर्तन निदेशालय ने 10 नवंबर 2022 में कथित दिल्ली शराब नीति घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग जांच के सिलसिले में अरबिंदो फार्मा के निदेशक सरथ रेड्डी को गिरफ्तार किया था। वहीं 15 चुनाव आयोग पर मौजूद डेटा के मुताबिक 15 नवंबर 2022 को यानी कि सरथ रेड्डी की गिरफ्तारी के बाद कंपनी ने इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए 5 करोड़ रुपए चंदा दिया। हालांकि इससे पहले कंपनी ने जुलाई 2022 में एक करोड़ 50 लाख रुपए और अप्रैल 2021 में चुनावी बॉन्ड के जरिए किसी पार्टी को 1.6 करोड़ रुपये का दान दिया था।
दिल्ली की हवा जहरीली बनी हुई है, एक्यूआई 400 के…
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