नयी दिल्ली, 15 अक्टूबर (भाषा) निर्वाचन आयोग मंगलवार को महाराष्ट्र और झारखंड में विधानसभा चुनावों की तारीखों की घोषणा करेगा। इसके साथ ही दोनों राज्यों में नयी सरकार के गठन को लेकर राजनीतिक दलों के बीच मुकाबले का मंच तैयार हो जाएगा।
निर्वाचन आयोग चुनाव संबंधी विस्तृत जानकारी की घोषणा के लिए यहां अपराह्न साढ़े तीन बजे संवाददाता सम्मेलन का आयोजन करने वाला है।
महाराष्ट्र विधानसभा का कार्यकाल 26 नवंबर को समाप्त हो रहा है जबकि झारखंड विधानसभा का कार्यकाल अगले साल पांच जनवरी को समाप्त होने वाला है।
निर्वाचन आयोग दो विधानसभा चुनावों के अलावा, तीन लोकसभा सीटों और कम से कम 47 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव की भी घोषणा कर सकता है, जो विभिन्न कारणों से रिक्त हैं।
लोकसभा की जो तीन सीटें रिक्त हैं उनमें केरल में वायनाड, महाराष्ट्र में नांदेड़ और पश्चिम बंगाल में बशीरहाट सीट शामिल है।
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने लोकसभा चुनाव में वायनाड और रायबरेली सीट से जीत दर्ज की थी। गांधी ने वायनाड सीट खाली कर दी थी और रायबरेली सीट को बरकरार रखा था।
नांदेड़ सीट का प्रतिनिधित्व करने वाले कांग्रेस सांसद वसंत चव्हाण और बशीरहाट सीट का प्रतिनिधित्व करने वाले तृणमूल कांग्रेस के सांसद हाजी शेख नुरुल इस्लाम के हाल में निधन के बाद इन सीट पर चुनाव कराना आवश्यक हो गया है।
महाराष्ट्र में फिलहाल महायुति गठबंधन की सरकार है, जिसके मुखिया शिवसेना के एकनाथ शिंदे हैं। इस सत्ताधारी गठबंधन में शिवसेना के अलावा भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और उपमुख्यमंत्री अजीत पवार के नेतृत्व वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी शामिल है।
दूसरी तरफ, विपक्षी गठबंधन महा विकास अघाड़ी (एमवीए) है। इसमें उद्धव बालासाहेब ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना, कांग्रेस और वरिष्ठ नेता शरद पवार के नेतृत्व वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) हैं।
साल 2019 के विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद महाराष्ट्र की राजनीति बिल्कुल बदल गई है। यह विधानसभा चुनाव भाजपा और शिवसेना ने राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के बैनर तले साथ मिलकर लड़ा था। राज्य की 288 सदस्यीय विधानसभा में भाजपा ने 165 सीट पर उम्मीदवार उतारे थे और वह 105 सीट जीतकर सबसे बड़ी पार्टी बनी थी। शिवसेना ने 126 सीट पर चुनाव लड़ा और उसे 56 पर जीत मिली।
दूसरी तरफ, कांग्रेस ने 147 सीट पर उम्मीदवार उतारे और उसे 44 सीट पर जीत मिली जबकि राकांपा को 121 में से 54 सीट पर जीत नसीब हुई।
इस चुनाव में भाजपा के नेतृत्व वाले राजग को बहुमत मिला लेकिन मुख्यमंत्री पद के मुद्दे पर दोनों दलों में टकराव शुरु हो गया। नतीजतन यह गठबंधन टूट गया। शिवसेना ने कांग्रेस और राकांपा से हाथ मिला लिया और राज्य में उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में एमवीए की सरकार बनी।
तकरीबन ढाई साल तक यह सरकार चली और फिर शिवसेना के विधायक और राज्य सरकार में मंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में पार्टी के दर्जनों विधायकों ने उद्धव ठाकरे के खिलाफ विद्रोह का बिगुल फूंक दिया। शिंदे ने असली शिवसेना होने का दावा करते हुए भाजपा के साथ सरकार बना ली और राज्य के मुख्यमंत्री बन गए।
इसी दौरान, राकांपा में भी विद्रोह की स्थिति बन रही थी। पिछले साल जुलाई में अजीत पवार के नेतृत्व में राकांपा एक धड़ा अलग हो गया। इसके अधिकांश विधायक शिवसेना और भाजपा के एकनाथ शिंदे गुट के नेतृत्व वाली सत्तारूढ़ सरकार में शामिल हो गए। इस सरकार में अजीत पवार को उपमुख्यमंत्री बनाया गया।
अजीत पवार ने साल 2019 में भी इसी तरह का विद्रोह किया था। उनके नेतृत्व में राकांपा विधायकों के एक धड़े ने भाजपा से हाथ मिला लिया और राज्य में सरकार बना ली। इस सरकार में अजीत पवार ने उपमुख्यमंत्री और भाजपा के देवेन्द्र फड़णवीस ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। हालांकि, अजीत पवार का यह विद्रोह अल्पकालिक साबित हुआ क्योंकि अधिकांश विधायक शरद पवार के पाले में लौट आए और अजीत पवार को 72 घंटों के भीतर इस्तीफा देना पड़ा। इससे भाजपा सरकार गिर गई थी।
शरद पवार ने अजीत पवार को राकांपा में वापस ले लिया और उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली एमवीए सरकार में उपमुख्यमंत्री बनाया।
इस प्रकार, देखा जाए तो पिछले विधानसभा चुनाव के बाद महाराष्ट्र की राजनीति में बहुत कुछ बदल गया है। पहले जहां लड़ाई में भाजपा, शिवसेना, कांग्रेस और राकांपा प्रमुख दल थे वहीं इस बार शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना और अजीत पवार के नेतृत्व वाली राकांपा भी चुनाव मैदान में हैं। इन दोनों दलों के लिए चुनौती इस चुनाव में खुद को असली साबित करने की भी होगी।
झारखंड में साल 2019 के विधानसभा चुनाव में झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो), कांग्रेस और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के गठबंधन ने राज्य की 81 में से 47 सीट जीतकर स्पष्ट बहुमत हासिल किया था। इसके बाद हेमंत सोरेन दूसरी बार राज्य के मुख्यमंत्री बने।
इस चुनाव में भाजपा 25 सीट पर सिमट गई थी और तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुवर दास भी चुनाव हार गए थे।
पिछले पांच सालों में झारखंड में महाराष्ट्र की तरह कोई बहुत बड़ा राजनीतिक उलटफेर तो नहीं हुआ लेकिन इस दौरान झामुमो में घटे कुछ राजनीतिक घटनाक्रमों ने पूरे देश का ध्यान आकर्षित किया। मुख्यमंत्री सोरेन को कथित जमीन घोटाले से जुड़े धन शोधन के एक मामले में जनवरी 2024 में गिरफ़्तार कर लिया गया। सोरेन ने गिरफ्तारी से पूर्व मुख्यमंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया और नए मुख्यमंत्री के रूप में झामुमो संस्थापक शिबू सोरेन के करीबी सिपहसालार चम्पई सोरेन की ताजपोशी हुई।
हालांकि, जून महीने में हेमंत सोरेन के जमानत पर रिहा होने के बाद चम्पई सोरेन को इस्तीफा देना पड़ा और एक बार फिर राज्य की कमान हेमंत सोरेन के हाथों में आई गई। इस घटनाक्रम के कुछ दिनों बाद चम्पई सोरेन ने झामुमो से इस्तीफा दे दिया और भाजपा में शामिल हो गए।
झारखंड में भाजपा का ऑल झारखंड स्टूडेंट्स यूनियन (आजसू) और जनता दल (यूनाईटेड) के साथ गठबंधन है। इस बार तीनों दल साथ मिलकर चुनाव लड़ रहे हैं। इस गठबंधन का मुकाबला झामुमो, कांग्रेस और राजद गठबंधन से होगा।
भाषा ब्रजेन्द्र ब्रजेन्द्र मनीषा
मनीषा
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