घाटी में कश्मीरी पंडितों के पुनर्वास के प्रयास जारी: जम्मू-कश्मीर के उपमुख्यमंत्री |

घाटी में कश्मीरी पंडितों के पुनर्वास के प्रयास जारी: जम्मू-कश्मीर के उपमुख्यमंत्री

घाटी में कश्मीरी पंडितों के पुनर्वास के प्रयास जारी: जम्मू-कश्मीर के उपमुख्यमंत्री

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Modified Date: March 25, 2025 / 06:39 PM IST
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Published Date: March 25, 2025 6:39 pm IST

जम्मू, 25 मार्च (भाषा) जम्मू-कश्मीर के उपमुख्यमंत्री सुरिंदर चौधरी ने मंगलवार को कहा कि नेशनल कॉन्फ्रेंस (नेकां) नीत सरकार चाहती है कि पंडितों समेत सभी कश्मीरी प्रवासी घाटी में अपने घरों में लौटें।

उन्होंने कहा कि इस दिशा में केंद्र के सहयोग से प्रयास जारी हैं।

चौधरी ने विधानसभा में मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के विधायक एमवाई तारिगामी के सवाल और बाद में विभिन्न सदस्यों के पूरक सवालों का जवाब देते हुए बताया कि वह 1947 में विभाजन का शिकार हुए परिवार के सदस्य के नाते पलायन के दर्द को पूरी तरह समझते हैं।

उन्होंने सदन को आश्वासन दिया कि सरकार विस्थापित आबादी के लिए जो भी बेहतर होगा, वह करेगी।

चौधरी ने कहा, “1990 के दशक में घाटी से पलायन करने वाले कश्मीरी पंडितों के लिए (नेकां अध्यक्ष) फारूक अब्दुल्ला, मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला और जम्मू-कश्मीर के लोगों के दिल में दर्द है। तारिगामी की चिंता हम सभी की चिंता है।”

उपमुख्यमंत्री ने कहा, “नेशनल कॉन्फ्रेंस जब भी सत्ता में आई, उनकी (कश्मीरी प्रवासियों की) सम्मानजनक वापसी के लिए कदम उठाए, जबकि केंद्र सरकार ने भी समय-समय पर उनके पुनर्वास के लिए पैकेज की घोषणा की। नेकां सरकार चाहती है कि वे उचित सुरक्षा व्यवस्था के साथ सम्मानपूर्वक अपने घरों में लौटें और इस संबंध में केंद्र सरकार के सहयोग से हमारे प्रयास जारी हैं।”

चौधरी ने आपदा प्रबंधन, राहत, पुनर्वास एवं पुनर्निर्माण विभाग के प्रभारी मंत्री एवं मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला की ओर से जवाब देते हुए कहा कि सरकार अन्य समुदायों से संबंधित प्रवासियों का पुनर्वास भी सुनिश्चित करेगी।

वहीं, विधानसभा में जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों से अपनी हड़ताल समाप्त करने की अपील की और उनसे अनुरोध किया कि वे अपनी शिकायतें समाधान के लिए गठित पैनल के समक्ष उठाएं।

दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों की हड़ताल के कारण केंद्र शासित प्रदेश में जल संकट पैदा हो गया है। दैनिक वेतनभोगी कर्मचारी पिछले चार दिनों से हड़ताल पर हैं।

मंगलवार को विधानसभा में प्रश्नकाल समाप्त होते ही विपक्ष के नेता एवं भाजपा नेता सुनील शर्मा ने यह मुद्दा उठाया और मांग की कि सरकार सरकारी कर्मचारियों से बातचीत करे और हड़ताल समाप्त कराए।

शर्मा ने कहा, ‘कल से ही मैं दिहाड़ी मजदूरों की हड़ताल और उसके कारण पैदा हुए जल संकट का मुद्दा उठा रहा हूं। लेकिन सरकार इस पर कोई प्रतिक्रिया देने में विफल रही है। ऐसा लगता है कि सरकार अहंकारी तरीके से व्यवहार कर रही है।’

इस पर सत्ता पक्ष की ओर से नाराजगी जाहिर की गई और विपक्ष ने भी इस पर जवाबी हमला किया, जिसके जवाब में विपक्ष के अधिकांश सदस्य खड़े हो गए।

भाजपा विधायकों ने सरकार और प्रदर्शनकारियों के बीच बातचीत की मांग करते हुए इस मुद्दे पर आधे घंटे तक चले हंगामे के बाद विधानसभा से बहिगर्मन किया। हंगामे के बीच विपक्ष और सत्ता पक्ष एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाते रहे।

जल शक्ति (पीएचई) विभाग के दर्जनों कर्मचारियों और दैनिक वेतनभोगियों पर शुक्रवार, शनिवार और सोमवार को विरोध प्रदर्शन के दौरान पुलिस ने लाठीचार्ज किया।

जम्मू में कर्मचारियों को उस समय हिरासत में लिया गया, जब वे अपना रुका हुआ वेतन जारी करने और नियमितीकरण की मांग को लेकर विधानसभा, मुख्यमंत्री आवास और सिविल सचिवालय की ओर मार्च कर रहे थे।

इस बीच, जम्मू-कश्मीर विधानसभा ने मंगलवार को सुरक्षा संबंधी व्यय (एसआरई) के लिए 231.53 करोड़ रुपये की अनुदान मांगों को मंजूरी दे दी गयी।

मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने सदन में ये अनुदान पेश किए और इन्हें ध्वनिमत से पारित कर दिया गया।

भाषा जितेंद्र पवनेश

पवनेश

 

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