नयी दिल्ली, 19 सितंबर (भाषा) एफएटीएफ ने बृहस्पतिवार को भारत के लिए अपनी नवीनतम पारस्परिक मूल्यांकन रिपोर्ट में कहा कि मीडिया में आई खबरों, सोशल मीडिया टिप्पणियों, गुप्त सूचना और शिकायतें, उस सूचना का बड़ा हिस्सा हैं जिनके आधार पर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) संभावित धन शोधन मामलों की पहचान करता है।
धन शोधन और आतंकवादी वित्तपोषण अपराधों के खिलाफ लड़ाई का नेतृत्व करने वाले वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (एफएटीएफ) ने भी इस लड़ाई के लिए भारत की प्रणालियों और व्यवस्था की सराहना की और देश से ऐसे मामलों में अभियोजन को मजबूत करने के लिए ‘‘बड़े सुधार’’ लाने को कहा।
रिपोर्ट में कहा गया, ‘‘धन शोधन की सबसे बड़ी जांच ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) द्वारा खुले स्रोतों से की जाती है; आम जनता, मीडिया की खबरों और सोशल नेटवर्क से प्राप्त जानकारी के बाद सीसीटीएनएस (अपराध और आपराधिक ट्रैकिंग नेटवर्क और सिस्टम) डेटाबेस और एलईए (कानून लागू करने वाली एजेंसियों) द्वारा धन शोधन रिपोर्ट के माध्यम से जानकारी का सत्यापन किया जाता है।’’
रिपोर्ट में कहा गया, ‘‘धनशोधन जांच का एक महत्वपूर्ण हिस्सा प्रवर्तन निदेशालय के नोडल अधिकारियों द्वारा सीधे ‘रेफरल’ पर आधारित है। केंद्रीय और राज्य दोनों स्तरों पर प्रत्येक कानून प्रवर्तन एजेंसी के पास ईडी के नोडल अधिकारी के रूप में नियुक्त अपना एक कर्मचारी है।’’
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