कोलकाता, 20 सितंबर (भाषा) कलकत्ता उच्च न्यायालय के आदेश पर डेमोक्रेटिक यूथ फेडरेशन ऑफ इंडिया (डीवाईएफआई) के कलातन दासगुप्ता को शुक्रवार को जमानत पर रिहा कर दिया गया जिन्हें कथित रूप से हिंसा की साजिश रचने से एक जुड़ी कॉल के सिलसिले में गिरफ्तार किया गया था।
अपनी रिहाई के बाद दासगुप्ता ने कहा कि वह न्यायोचित मकसद के लिए लड़ते रहेंगे।
बृहस्पतिवार को उच्च न्यायालय ने दासगुप्ता को 500 रुपये के बांड और इतनी ही राशि के मुचलके पर जमानत दी थी।
आदेश देते हुए न्यायमूर्ति राजर्षि भारद्वाज ने पुलिस पर इस मामले में मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) की छात्र इकाई डीवाईएफआई के नेता दासगुप्ता के खिलाफ जबरन कोई भी कार्रवाई करने पर रोक लगा दी।
इसी के साथ न्यायमूर्ति भारद्वाज ने यह भी कहा कि दासगुप्ता के विरूद्ध बाद में भी कोई मामला दर्ज किया जाता है तो उनमें भी उनके खिलाफ कोई जबरन कार्रवाई नहीं की जाए तथा कार्रवाई से पहले अदालत की अनुमति ली जाए।
दासगुप्ता के वकीलों ने उच्च न्यायालय में दावा किया कि इस मामले में उन्हें झूठा फंसाया गया है क्योंकि उन्होंने महिलाओं के लिए कार्यस्थल पर सुरक्षा सुनिश्चित करने में राज्य प्रशासन की कथित विफलता के विरोध में शांतिपूर्ण प्रदर्शन में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया था।
विधाननगर के अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत में जमानती बांड और मुचलके भरे जाने के बाद डीवाईएफआई नेता और बंगाली मुखपत्र ‘जुबोशक्ति’ के संपादक दासगुप्ता को रिहा कर दिया गया।
रिहाई के बाद उनके साथ डीवाईएफआई के कई नेता एवं समर्थक मौजूद थे। उन्होंने (दासगुप्ता) कहा, ‘‘ ऐसे मामले दर्ज करना यह दिखाता है कि हम सही मार्ग पर हैं।’’
भाषा राजकुमार नरेश
नरेश
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