डीयू ने स्टीफंस कॉलेज प्रशासन के साथ बातचीत के लिए तीन सदस्यीय समिति गठित की |

डीयू ने स्टीफंस कॉलेज प्रशासन के साथ बातचीत के लिए तीन सदस्यीय समिति गठित की

डीयू ने स्टीफंस कॉलेज प्रशासन के साथ बातचीत के लिए तीन सदस्यीय समिति गठित की

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Modified Date: October 10, 2024 / 09:29 PM IST
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Published Date: October 10, 2024 9:29 pm IST

नयी दिल्ली, 10 अक्टूबर (भाषा) दिल्ली विश्वविद्यालय और इससे संबद्ध सेंट स्टीफंस कॉलेज के बीच तनातनी के बीच कुलपति योगेश सिंह ने कॉलेज प्रशासन से बातचीत के लिए एक समिति गठित की है।

एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि अकादमी परिषद के सदस्यों की तीन सदस्यीय समिति कॉलेज प्रशासन द्वारा विश्वविद्यालय के नियमों को कथित तौर पर नजरअंदाज करने के मुद्दे पर कॉलेज के प्राचार्य जॉन वर्गीज से बातचीत करेगी।

दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) और सेंट स्टीफंस के बीच नीति क्रियान्वयन संबंधी विवादों को लेकर लंबे समय से गतिरोध है। हाल ही में, दोनों के बीच छात्रों के दाखिले को लेकर विवाद हो गया था। कॉलेज ने कुछ छात्रों को प्रवेश देने से इनकार कर दिया था। दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश के बाद इनमें से कुछ छात्रों को कॉलेज में प्रवेश दिया गया।

बयान में कहा गया है कि बृहस्पतिवार को हुई अकादमी परिषद की बैठक में कुलपति ने एक समिति गठित की, जिसमें प्रोफेसर हरेंद्र नाथ तिवारी, आलोक पांडे और माया जॉन शामिल हैं। बयान में कहा गया है कि वे इस मुद्दे पर समाधान के लिए कॉलेज प्राचार्य से बातचीत करेंगे।

इसके अलावा, बैठक के दौरान डीयू की संस्थागत विकास योजना (आईडीपी) 2024 और रणनीतिक योजना – विश्वविद्यालय के दो प्रमुख परिप्रेक्ष्य योजना दस्तावेज, जो भविष्य के लिए इसकी अल्पकालिक और दीर्घकालिक योजनाओं को रेखांकित करते हैं, को प्रोफेसरों के एक वर्ग की आपत्तियों के बीच अनुमोदित और पारित कर दिया गया।

हालांकि, कुलपति ने आईडीपी मसौदे की समीक्षा के लिए एक समिति गठित की है और उठाई गई आपत्तियों के आधार पर संशोधन करने को कहा है, जिसके बाद इसे 14 अक्टूबर को विश्वविद्यालय की सर्वोच्च निर्णय लेने वाली संस्था कार्यकारी परिषद के सदस्यों के समक्ष रखा जाएगा।

अकादमी परिषद के सदस्यों के अनुसार, बैठक में ‘दिल्ली थ्रू एजेस: मेकिंग ऑफ इट्स अर्ली मॉडर्न हिस्ट्री’ शीर्षक से एक सामान्य ऐच्छिक पेपर में किए गए संशोधनों पर एक प्रस्ताव भी पारित किया गया। इसके अनुसार संशोधन में पुराना किला पाठ की जगह ‘इंद्रप्रस्थ-हस्तिनापुर’ रखना और इतिहासकार इरफान हबीब के एक पाठ को सुझाए गए पाठों से हटाना शामिल है।

अकादमी परिषद की सदस्य माया जॉन ने अपने द्वारा प्रस्तुत असहमति नोट में आरोप लगाया, ‘‘पेपर में ये संशोधन अकादमी गुणदोष पर आधारित नहीं हैं।’’

डेमोक्रेटिक टीचर्स फ्रंट सदस्य मिथुराज धुसिया ने कहा, ‘‘ए.सी. बैठक में प्रस्तुत संस्थागत विकास योजना पूरी तरह से शिक्षक-विरोधी, छात्र-विरोधी और शिक्षा-विरोधी थी। अन्य बातों के अलावा, इसमें सरकारी वित्तपोषण से दूर जाने और विश्वविद्यालय को स्व-वित्तपोषित मॉडल में चलाने की वकालत की गई थी। इसमें यू.जी.सी. (विश्वविद्याललय अनुदान आयोग) की सभी भर्ती मानदंडों को दरकिनार करते हुए प्रशासन में ‘लेट्रल इंट्री’ की वकालत की गई। इसमें विश्वविद्यालय के छात्रों और कर्मचारियों पर ड्रोन-आधारित निगरानी की बात कही गई थी। हमने पूरे दस्तावेज़ पर कड़ी असहमति जताई।’’

आम आदमी पार्टी की शिक्षक शाखा, एएडीटीए ने भी आईडीपी मसौदे पर असहमति नोट प्रस्तुत किया।

भाषा

अमित माधव

माधव

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)