रांची, तीन फरवरी (भाषा) झारखंड उच्च न्यायालय ने फर्जी जाति प्रमाण पत्र पर नौकरी प्राप्त करने वाले पुलिस उपाधीक्षक (डीएसपी) मधुसूदन के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी को निरस्त करने की उनकी याचिका को बृहस्पतिवार को खारिज कर दिया और उन्हें कोई राहत नहीं दी।
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न्यायमूर्ति एके चौधरी की पीठ ने फर्जीवाड़े में फंसे पुलिस उपाधीक्षक की याचिका पर सुनवाई की और मधुसूदन को राहत देने से इन्कार करते हुए उनकी याचिका खारिज कर दी। अदालत ने कहा कि वह निचली अदालत में अपनी बातों को रख सकते हैं।
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मधुसूदन राज्य में विशेष कार्य बल (एसटीएफ) में पुलिस उपाधीक्षक थे। लेकिन उनके खिलाफ फर्जी जाति प्रमाण पर नौकरी पाने के मामले में भ्रष्टाचार निवारण ब्यूरो (एसीबी) ने वर्ष 2013 में मामला दर्ज कर जांच प्रारंभ की थी।
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उच्च न्यायालय में सुनवाई के दौरान पुलिस उपाधीक्षक की ओर से कहा गया कि वे बनिया जाति से आते हैं लेकिन उन्हें पासवान जाति के लोगों ने गोद लिया, इसलिए उनका जाति प्रमाण पत्र सही है।
एसीबी के अधिवक्ता सूरज कुमार वर्मा ने इसका विरोध किया और कहा कि उनके दूसरी जाति के लोगों द्वारा गोद लिए जाने की प्रक्रिया सही नहीं है तथा उन्हें निचली अदालत में ही अपनी बातों को कहना चाहिए। इसके बाद उच्च न्यायालय की एकल पीठ ने पुलिस उपाधीक्षक की याचिका खारिज कर दी और उन्हें कोई राहत देने से इनकार कर दिया।
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