अंडमान में मादक पदार्थ पकड़े जाने का मामला: तस्करों ने नौवहन के लिए ‘स्टारलिंक’ का किया था इस्तेमाल |

अंडमान में मादक पदार्थ पकड़े जाने का मामला: तस्करों ने नौवहन के लिए ‘स्टारलिंक’ का किया था इस्तेमाल

अंडमान में मादक पदार्थ पकड़े जाने का मामला: तस्करों ने नौवहन के लिए ‘स्टारलिंक’ का किया था इस्तेमाल

:  
Modified Date:  November 28, 2024 / 06:29 PM IST
,
Published Date:  November 28, 2024 6:29 pm IST

पोर्ट ब्लेयर, 28 नवंबर (भाषा) अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में मादक पदार्थ मेथाम्फेटामाइन की पकड़ी गई खेप के मामले की जांच से पता चला है कि म्यामां के तस्कर समुद्र के बीच नौवहन के लिए स्टारलिंक उपग्रह इंटरनेट सेवाओं का उपयोग कर रहे थे। यह जानकारी पुलिस के एक शीर्ष अधिकारी ने बृहस्पतिवार को दी।

स्टारलिंक, एलन मस्क द्वारा स्थापित एयरोस्पेस कंपनी स्पेसएक्स द्वारा प्रदान की जाने वाली एक सेवा है। यह एक अंतरराष्ट्रीय दूरसंचार प्रदाता है जो 100 से अधिक देशों में कवरेज प्रदान करता है। हालांकि भारत में यह सेवा उपलब्ध नहीं है।

अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) हरगोबिंदर सिंह धालीवाल ने ‘पीटीआई-भाषा’ के साथ एक विशेष बातचीत में कहा, ‘‘23 नवंबर को, भारतीय तटरक्षक ने म्यामां के छह तस्करों को पकड़ा, जो एक मछली पकड़ने वाले ‘ट्रॉलर’ (जहाज) में 36,000 करोड़ रुपये मूल्य के 6,000 किलोग्राम मेथाम्फेटामाइन का परिवहन कर रहे थे। हमने ट्रॉलर से कई सामान जब्त किए, जिनमें म्यामां की मुद्रा, एक पोर्टेबल इनमारसैट सैटेलाइट मोबाइल, कई देशों के सिम कार्ड और विशेष रूप से स्पेसएक्स के स्टारलिंक मिनी संस्करण का एक डिश शामिल है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘भारत में यह पहली बार है कि हमने तस्करों को हाई-स्पीड इंटरनेट कनेक्टिविटी के लिए स्टारलिंक का उपयोग करते हुए देखा है, ताकि वे समुद्र और दूरदराज के क्षेत्रों में नौवहन कर सकें। हमने पुष्टि की है कि स्टारलिंक म्यामां में उपलब्ध नहीं है, लेकिन यह इंडोनेशिया, ऑस्ट्रेलिया और थाईलैंड जैसे आस-पास के देशों में उपलब्ध है।’’

डीजीपी ने कहा, ‘‘हम खरीद विवरण के बारे में स्पेसएक्स से आगे की पूछताछ करेंगे, जिसमें उपकरण किसने खरीदा, इसे कब खरीदा गया, स्टारलिंक सेवाओं को प्राप्त करने का घोषित उद्देश्य और इसका उपयोग इतिहास शामिल है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘आज, हम जब्त मादक पदार्थ का नमूना लेने का कार्य पूरा करेंगे। खेप भारत में आपूर्ति के लिए नहीं थी, लेकिन तस्करों ने भारत में किसी से संपर्क किया। हम इसकी जांच कर रहे हैं कि क्या मादक पदार्थ का एक छोटा हिस्सा भारत के लिए था।’’

धालीवाल ने कहा, ‘‘तस्करों ने स्टारलिंक का इस्तेमाल किया क्योंकि यह समुद्र में खराब स्थितियों में भी काम कर सकता है।’’

इससे पहले, 23 नवंबर को, तटरक्षक डोर्नियर विमान के एक पायलट ने नियमित गश्त के दौरान पोर्ट ब्लेयर से लगभग 150 किलोमीटर दूर बैरन द्वीप के पास मछली पकड़ने वाले एक ट्रॉलर की संदिग्ध गतिविधि देखी।

ट्रॉलर को गति कम करने की चेतावनी दी गई और पायलट ने अंडमान और निकोबार कमान को सतर्क किया। बाद में एक तेज-गश्ती जहाज सूचना मिलने के बाद वहां पहुंचा और ट्रॉलर को आगे की जांच के लिए 24 नवंबर को पोर्ट ब्लेयर ले गया। तस्कर फिलहाल पुलिस की हिरासत में हैं, और आगे की जांच की जा रही है। अधिकारियों को संदेह है कि मादक पदार्थ की खेप कुख्यात अंतरराष्ट्रीय कार्टेल से जुड़ी हो सकती है।

भाषा अमित पवनेश

पवनेश

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)