मृदा के तेज आकलन के लिए प्रभावी है डीआरएस मॉडल: आईआईटी खड़गपुर अध्ययन |

मृदा के तेज आकलन के लिए प्रभावी है डीआरएस मॉडल: आईआईटी खड़गपुर अध्ययन

मृदा के तेज आकलन के लिए प्रभावी है डीआरएस मॉडल: आईआईटी खड़गपुर अध्ययन

:   Modified Date:  September 13, 2024 / 05:23 PM IST, Published Date : September 13, 2024/5:23 pm IST

कोलकाता, 13 सितंबर (भाषा) भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, खड़गपुर द्वारा इंटरनेशनल क्रॉप्स रिसर्च इंस्टिट्यूट फॉर द सेमी-अरिड टॉपिक्स (आईसीआरआईएसएटी), हैदराबाद के सहयोग से किए गए एक अध्ययन ने मिट्टी के तेज आकलन के लिए डिफ्यूज रिफ्लेक्टेंस स्पेक्ट्रोस्कोपी (डीआरएस) मॉडल की दक्षता को मान्य किया है।

आईआईटी खड़गपुर ने बृहस्पतिवार को एक बयान में कहा कि डीआरएस पद्धति 17 मृदा मापदंडों में से 8 का अनुमान लगाने में 80 प्रतिशत तक की सटीकता के साथ प्रभावी पाई गई।

बयान में कहा गया है, ‘‘भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) खड़गपुर के कृषि और खाद्य इंजीनियरिंग (एजीएफई) विभाग में वर्षों के शोध से पता चलता है कि डिफ्यूज रिफ्लेक्टेंस स्पेक्ट्रोस्कोपी (डीआरएस) मॉडल का उपयोग मिट्टी के तेज आकलन के लिए सुरक्षित रूप से किया जा सकता है। पारंपरिक मृदा परीक्षण प्रयोगशालाएं गीली रसायन विज्ञान-आधारित मृदा परीक्षण विधियों का उपयोग करती हैं जो समय लेने वाली होती हैं और जब बड़ी संख्या में नमूनों का विश्लेषण करना होता है तो यह महंगी हो सकती हैं।’’

बयान में कहा गया है, ‘‘दूसरी ओर, डीआरएस का उपयोग करके मिट्टी के नमूने को गैर-संपर्क मोड में तेजी से मापा जा सकता है और परिणामों को ‘कैलिब्रेटेड स्पेक्ट्रल एल्गोरिदम’ का उपयोग करके कई मिट्टी मापदंडों में बदला जा सकता है।’’

बयान में कहा गया है कि किसी क्षेत्र के लिए एक बार डीआरएस ‘एल्गोरिदम’ विकसित हो जाने पर उनका उपयोग विभिन्न क्षेत्रों से एकत्र किए गए मिट्टी के नमूनों और नमूने के अलग-अलग समय पर विश्लेषण के लिए किया जा सकता है। यह तकनीक तेज है और इसमें मिट्टी के कई मापदंडों का अनुमान लगाने के लिए किसी रसायन का उपयोग नहीं होता है।

भाषा अमित माधव

माधव

 

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