नई दिल्ली। DRDO रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन ने अचूक मारक क्षमता वाली कार्बाइन के फाइनल ट्रायल को पूरा कर लिया है। डीआरडीओ के अनुसार यह अब सेना के उपयोग के लिए हर तरह से तैयार है।
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1 मिनट में 700 गोलियां
जेवीपीसी को कभी-कभी मॉडर्न सब मशीन कार्बाइन भी कहा जाता है जो 700 राउंड प्रति मिनट की दर से फायर कर सकती है। इस हथियार का प्राथमिक उद्देश्य किसी को नुकसान पहुंचाए बिना टारगेट पर हमला करना है। इस कार्बाइन के लिए गोलियां पुणे की एम्यूनेशन फैक्टरी में तैयार होंगी।
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रक्षा मंत्रालय के अनुसार 5.56×30 मिमी प्रोटेक्टिव कार्बाइन का गर्मियों में उच्चतम तापमान और सर्दियों में हाई एल्टीट्यूट वाले क्षेत्रों में परीक्षण की एक श्रृंखला का यह अंतिम चरण था। जॉइन्ट वेंचर प्रोटेक्टिव कार्बाइन ने शानदार मारक क्षमता और सटीक निशाने के कड़े मानदंडों को पूरा किया है।
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बता दें कि इस कार्बाइन को DRDO की पुणे लैब और कानपुर की ऑर्डिनेंस फैक्ट्री बोर्ड ने मिलकर बनाया है। डीआरडीओ ने कहा कि इस कार्बाइन के निर्माण से सीआरपीएफ और बीएसएफ की तरह राज्य की केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों (सीएपीएफ) के शस्त्रागार का आधुनिकीकरण करने में भी मदद मिलेगी।
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कार्बाइन एक ऐसा हथियार है, जिसमें राइफल की तुलना में छोटा बैरल होता है। इसे भारतीय सेना के जवानों की आवश्यकताओं के अनुसार डिजाइन किया गया है जिससे वे दुश्मनों को पटखनी दे सके। 1980 के आखिर में ARDE ने 5.56 x 45 mm क्षमता के छोटे हथियारों को बनाना शुरू किया था जिसे बाद में INSAS नाम दिया गया। हथियारों के इस श्रेणी में राइफल, लाइट मशीन गन (LMG) के साथ-साथ इनके गोला-बारूद और सामान भी शामिल थे।
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