दुष्कर्म मामलों में पीड़िता की मुकदमा रद्द करने की याचिका को प्राथमिकता न दें : उच्च न्यायालय |

दुष्कर्म मामलों में पीड़िता की मुकदमा रद्द करने की याचिका को प्राथमिकता न दें : उच्च न्यायालय

दुष्कर्म मामलों में पीड़िता की मुकदमा रद्द करने की याचिका को प्राथमिकता न दें : उच्च न्यायालय

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Modified Date: February 8, 2025 / 12:43 PM IST
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Published Date: February 8, 2025 12:43 pm IST

कोच्चि, आठ फरवरी (भाषा) केरल उच्च न्यायालय ने कहा है कि जब भारतीय दंड संहिता या यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम के तहत दुष्कर्म के गंभीर अपराध प्रथम दृष्टया प्रतीत होते हैं, तो मामले को रद्द करने के लिए पीड़िता की याचिका को भी कोई वरीयता नहीं दी जाएगी।

उच्च न्यायालय का यह फैसला पीड़िता और उसकी मां की याचिका पर आया है, जिसमें उन्होंने अपने नृत्य शिक्षक और उसकी पत्नी के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत दर्ज मामले को रद्द करने की मांग की थी। इस मामले में दुष्कर्म से संबंधित एक धारा, तथा यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज किया गया था।

पीड़िता ने पुलिस को दिए अपने बयानों में विभिन्न घटनाओं का जिक्र करते हुए आरोप लगाया था, कि नृत्य शिक्षक ने उसे फिल्मों और रियलिटी शो में काम दिलाने का वादा कर 2015 में उसके साथ कथित तौर पर यौन संबंध बनाए थे। उस समय वह नाबालिग थी।

पीड़िता ने पुलिस को बताया कि शिक्षक ने उससे शादी का वादा करके उसके साथ यौन संबंध बनाए।

जब नृत्य शिक्षक ने किसी और से शादी कर ली, तो पीड़िता ने उसकी पत्नी को उनके संबंध के बारे में बताया। पीड़िता द्वारा पुलिस को दिए गए बयान के अनुसार, इसके बाद आरोपी की पत्नी ने पीड़िता से कहा कि वह भी नृत्य शिक्षक से शादी कर सकती है।

पुलिस को दिए गए बयान के अनुसार इसके बाद आरोपी की पत्नी ने भी नृत्य शिक्षक और पीड़िता के बीच यौन संबंधों में सहायता की और उन्हें बढ़ावा दिया।

हालांकि, पीड़िता 2020 में वयस्क होने के बाद मजिस्ट्रेट के समक्ष अपने बयान में अपने आरोपों से मुकर गई और इस बात से इनकार किया कि नृत्य शिक्षक द्वारा उसके साथ दुष्कर्म या छेड़छाड़ की गई थी या उसकी पत्नी ने उक्त कृत्यों में सहायता की थी।

मजिस्ट्रेट के समक्ष दिए गए अपने बयान में पीड़िता ने कहा कि उसे अपने नृत्य शिक्षक और उसकी पत्नी के खिलाफ आरोप लगाने के लिए मजबूर किया गया था।

पीड़िता की मां ने भी आरोपों को वापस ले लिया तथा मामला रद्द करने की मांग की।

इस मामले को रद्द करने की याचिका को खारिज करते हुए उच्च न्यायालय ने कहा कि आरोपी व्यक्तियों द्वारा नाबालिग पीड़िता के खिलाफ कथित तौर पर बहुत गंभीर अपराध किए जाने के मामले, जिनमें पॉक्सो अधिनियम के तहत अपराध भी शामिल हैं। यह प्रथम दृष्टया गंभीर अपराध प्रतीत होते हैं।

उच्च न्यायालय ने कहा कि इसलिए यह मुकदमा रद्द नहीं किया जा सकता। अदालत ने पीड़िता और उसकी मां की मामला रद्द करने की याचिका खारिज कर दी तथा आरोपी को मुकदमे में सहयोग करने का निर्देश दिया।

भाषा रवि कांत रवि कांत माधव

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