(गौरव सैनी)
नयी दिल्ली, आठ जनवरी (भाषा) सरकार घरेलू विमानन कंपनियों के लिए विमान के उड़ान भरने और उतरने के दौरान एकत्र किए गए मौसम संबंधी आंकड़ों को आईएमडी के साथ साझा करना अनिवार्य बनाने की योजना बना रही है। वरिष्ठ अधिकारियों का कहना है कि इससे पूर्वानुमान लगाने की क्षमता में उल्लेखनीय वृद्धि होगी।
केंद्रीय पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय में सचिव एम. रविचंद्रन ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि उनका मंत्रालय इस मामले पर नागरिक उड्डयन मंत्रालय के साथ चर्चा कर रहा है, और मौसम संबंधी आंकड़े उपलब्ध कराना “एक वर्ष के अंदर घरेलू विमानन कंपनियों के लिए अनिवार्य कर दिया जाएगा।”
उन्होंने कहा, “इसे अनिवार्य किया जाना चाहिए… यह न केवल उड़ानों के परिचालन के लिए बल्कि हर जगह मौसम पूर्वानुमान के लिए भी बहुत उपयोगी होगा।”
पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के सचिव ने कहा कि मौसम पूर्वानुमान काफी हद तक अवलोकनों पर निर्भर करता है।
उन्होंने कहा, “हमारे पास जितने अधिक अवलोकन होंगे, हमारा पूर्वानुमान उतना ही बेहतर होगा। यह एक्जिट पोल के समान है – यदि आप अधिक स्थानों से डेटा एकत्र करते हैं, तो आपको एक स्पष्ट तस्वीर मिलेगी। उसी तरह, हमारा लक्ष्य जहां भी संभव हो, तापमान, आर्द्रता और हवा के बारे में जानकारी एकत्र करना है।”
रविचंद्रन ने कहा कि ‘वर्टिकल’ मौसम अवलोकन (विमान और मौसम गुब्बारों से प्राप्त) जमीनी अवलोकनों से अधिक महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि वे वायुमंडल की पूरी तस्वीर प्रदान करते हैं, न कि केवल सतह पर होने वाली गतिविधियां।”
उन्होंने कहा कि तूफान जैसी मौसम प्रणालियाँ वायुमंडल में बनती और विकसित होती हैं, लेकिन विभिन्न ऊँचाइयों पर तापमान, आर्द्रता और हवा की स्थिति महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
भारत मौसम विज्ञान विभाग विभिन्न ऊँचाइयों पर तापमान, आर्द्रता और हवा पर महत्वपूर्ण डेटा एकत्र करने के लिए 50-60 स्टेशनों से मौसम के गुब्बारे छोड़ता है।
विमान भी उड़ान भरने और उतरने के दौरान मौसम संबंधी डेटा रिकॉर्ड करते हैं। यह डेटा वास्तविक समय में जमीन पर भेजा जाता है और पूर्वानुमान मॉडल में एकीकृत किया जाता है। सीमित संख्या में मौसम के गुब्बारों के विपरीत, हजारों विमान मौसम संबंधी डेटा पर भरोसा कर सकते हैं।
रविचंद्रन ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय मार्गों पर चलने वाले सभी विमान मौसम संबंधी डेटा प्रदान करते हैं क्योंकि यह कानून के अनुसार आवश्यक है। हालांकि, सभी घरेलू एयरलाइंस ऐसा नहीं करती हैं क्योंकि यह उनके लिए अनिवार्य नहीं है।
उन्होंने कहा कि कई देशों ने अपनी एयरलाइनों के लिए यह डेटा प्रदान करना अनिवार्य कर दिया है और भारत को भी इसी तरह की व्यवस्था की आवश्यकता है।
उन्होंने कहा, ‘विमान पहले से ही डेटा एकत्र कर रहे हैं। अगर वे ऐसा नहीं कर रहे होते तो यह एक अलग मुद्दा होता।’
रविचंद्रन ने कहा ‘भारत में हवाई संपर्क में लगातार वृद्धि हो रही है, प्रत्येक राज्य में 10 से 15 हवाई अड्डे हैं। अगर सभी घरेलू एयरलाइंस यह महत्वपूर्ण डेटा प्रदान करना शुरू कर दें तो हमारी पूर्वानुमान क्षमता में उल्लेखनीय सुधार होगा।’
भाषा जोहेब मनीषा
मनीषा
(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)