नयी दिल्ली, चार दिसंबर (भाषा) विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बुधवार को भारत-चीन संबंधों पर कहा कि सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति और स्थिरता चीन के साथ द्विपक्षीय संबंधों के विकास के लिए अपेक्षित और महत्वपूर्ण है तथा दोनों पक्ष आने वाले दिनों में इन क्षेत्रों में गतिविधियों के प्रभावी प्रबंधन और तनाव कम करने पर चर्चा करेंगे।
राज्यसभा में जयशंकर ने ‘चीन के साथ भारत के संबंधों में हाल के घटनाक्रम’ पर एक बयान देते हुए यह भी कहा कि पूर्वी लद्दाख में चरणबद्ध प्रक्रिया के तहत सैनिकों की वापसी का काम संपन्न हो गया है, जो अभी देपसांग और डेमचोक में पूरी तरह संपन्न होना है।
इससे पहले मंगलवार को उन्होंने लोकसभा में भी ऐसा ही बयान दिया था।
भारत-चीन संबंधों की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि और गलवान घाटी की झड़प के बारे में विदेश मंत्री ने बयान में कहा कि 2020 के घटनाक्रम का भारत और चीन के संबंधों पर असर पड़ा जो असामान्य रहे, जब चीन की कार्रवाइयों की वजह से सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति बाधित हुई।
जयशंकर का बयान पूरा होने के बाद, कांग्रेस सहित अन्य विपक्षी सदस्यों ने स्पष्टीकरण पूछने की अनुमति मांगी जिसे सभापति जगदीप धनखड़ ने अस्वीकार कर दिया। इस पर आपत्ति जताते हुए विपक्षी सदस्यों ने राज्यसभा से बहिर्गमन किया।
उन्होंने कहा कि भारत इस बात को लेकर बहुत स्पष्ट था कि सभी परिस्थितियों में तीन प्रमुख सिद्धांतों का पालन किया जाना चाहिए।
विदेश मंत्री ने तीनों सिद्धांतों के बारे में कहा, ‘‘दोनों पक्षों को वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) का सख्ती से सम्मान और पालन करना चाहिए, किसी भी पक्ष को यथास्थिति बदलने का एकतरफा प्रयास नहीं करना चाहिए और अतीत में हुए समझौतों का और समझ का पूरी तरह से पालन किया जाना चाहिए।’’
उन्होंने कहा ‘‘हमारे संबंध कई क्षेत्रों में आगे बढ़े हैं, लेकिन हाल की घटनाओं से स्पष्ट रूप से रिश्ते नकारात्मक रूप से प्रभावित भी हुए हैं। हम स्पष्ट हैं कि सीमा क्षेत्रों में शांति और सौहार्द बनाए रखना हमारे संबंधों के विकास के लिए एक शर्त है। आने वाले दिनों में, हम सीमा क्षेत्रों में अपनी गतिविधियों के प्रभावी प्रबंधन के साथ-साथ तनाव कम करने पर भी चर्चा करेंगे।’
जयशंकर ने कहा कि चरणबद्ध तरीके से सैनिकों की वापसी का कार्य पूरा होने के साथ, अब हमें उम्मीद है कि शेष मुद्दों के संबंध में चर्चा शुरू होगी जिन्हें हमने एजेंडे में रखा था।
उन्होंने कहा, ‘सैन्य वापसी के बाद अब हमें अपने राष्ट्रीय सुरक्षा हितों को सर्वोपरि रखते हुए, अपने द्विपक्षीय संबंधों के अन्य पहलुओं पर विचार करने का अवसर मिला है।’
जयशंकर का विस्तृत बयान ऐसे समय में आया है जब भारतीय और चीनी सेनाओं ने पूर्वी लद्दाख में टकराव वाले दो अंतिम स्थानों से सैनिकों की वापसी पूरी कर ली है, जिससे पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर चार साल से अधिक समय से चल रहा सैन्य टकराव प्रभावी रूप से समाप्त हो गया है।
विदेश मंत्री ने कहा, ‘अगली प्राथमिकता तनाव कम करने पर विचार करने की होगी, जिसमें वास्तविक नियंत्रण रेखा पर सैनिकों की तैनाती और उनके साथ अन्य लोगों की तैनाती का मुद्दा भी होगा।’
विदेश मंत्री ने कहा कि चीन के साथ वास्तविक नियंत्रण रेखा पर कुछ हिस्से को लेकर असहमति है जिसे दूर करने के लिए भारत और चीन समय-समय पर बातचीत करते हैं। उन्होंने कहा कि रूस के कजान में संपन्न ब्रिक्स शिखर सम्मेलन से इतर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग की मुलाकात के दौरान दोनों देशों के संबंध सामान्य करने पर बातचीत हुई थी।
उन्होंने कहा कि सीमा मुद्दे के समाधान के लिए समय समय पर दोनों देशों के सैन्य अधिकारियों से लेकर मंत्री स्तर तक बातचीत का सिलसिला आगे बढ़ा है।
मंत्री द्वारा अपना वक्तव्य पूरा करने के तुरंत बाद, विपक्षी सदस्यों ने कुछ स्पष्टीकरण मांगना चाहा। सभापति जगदीप धनखड़ ने इसे अस्वीकार कर दिया, जिससे सदन में कुछ देर के लिए हंगामा हुआ।
धनखड़ ने विपक्षी सदस्यों से कहा, ‘मैंने बार-बार आपका ध्यान इस ओर आकर्षित किया है कि हम पर पूरा देश नज़र रख रहा है और हमारा व्यवहार संस्था को गंभीर रूप से कमजोर कर रहा है। बहस के लिए बनी संस्था में बहस नहीं हो रही है, इसलिए यह अप्रासंगिक हो रही है।’
उन्होंने कहा, ‘बयान पर नियम स्पष्ट है। मंत्री ने सदन को विश्वास में लिया है। वे जितना संभव हो सके उतना विस्तृत बयान दे सकते हैं।’
जयशंकर के बयान पर स्पष्टीकरण पूछने की अनुमति नहीं दिए जाने पर आपत्ति जताते हुए विपक्षी सदस्यों ने राज्यसभा से बहिर्गमन किया। इसके बाद सदन में बॉयलर बिल पर चर्चा शुरू हुई।
भाषा मनीषा अविनाश
अविनाश
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