नयी दिल्ली: Reservation on economic grounds, पूर्व प्रधानमंत्री और जनता दल (सेक्युलर) के नेता एच डी देवगौड़ा ने मंगलवार को संसद से इस बात पर विचार करने को कहा कि आरक्षण जाति के आधार पर दिया जाना चाहिए या इसे बदलकर आर्थिक आधार पर कर देना चाहिए। राज्यसभा में ‘भारत के संविधान की 75 साल की गौरवशाली यात्रा’ विषय पर चर्चा में भाग लेते हुए देवगौड़ा ने कहा, ‘‘अतीत में जो कुछ हुआ, उस पर सदन को खुद विचार करना होगा कि क्या हमें इस देश में गरीबी के आधार पर ही आरक्षण देना चाहिए।’’
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उन्होंने कहा कि लोग उस आरक्षण से भी पीड़ित हैं जो हमने अतीत में दिया है और इसने उन लोगों को ऊपर नहीं उठाया है जो अभी भी दो वक्त की रोटी के लिए परेशान हैं। पूर्व प्रधानमंत्री ने कहा कि सदन को इस बारे में सोचना चाहिए कि क्या आरक्षण पहले की तर्ज पर ही जारी रखा जाना चाहिए या ‘केवल उन लोगों को प्राथमिकता दी जानी चाहिए जो सबसे ज्यादा गरीबी से जूझ रहे हैं और जिनका जीवनयापन स्तर खराब है’।
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Reservation on economic grounds
देवगौड़ा ने कहा, ‘‘यदि सदन और नेता इस पर विचार करते हैं तो आरक्षण पर कोई भी फैसला लेने से पहले प्रधानमंत्री (नरेन्द्र मोदी) इस पर विचार कर सकते हैं।’’ उन्होंने कहा कि डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर द्वारा तैयार किया गया संविधान समय की कसौटी पर खरा उतरा है।
सदन के नेता जे पी नड्डा का जिक्र करते हुए देवगौड़ा ने कहा कि उन्होंने आरक्षण और विभिन्न अन्य मुद्दों पर विचारोत्तेजक भाषण दिया, जिसका देश ने पिछले 75 सालों में सामना किया है। देवगौड़ा से पहले नड्डा ने संविधान की यात्रा पर अपने विचार रखे थे।
आरक्षण आर्थिक आधार पर: सामान्य प्रश्न (FAQ)
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प्रश्न: आरक्षण आर्थिक आधार पर देने का मतलब क्या है?
- उत्तर: आरक्षण आर्थिक आधार पर देने का मतलब है कि जाति, धर्म या समुदाय के बजाय गरीबी और आर्थिक स्थिति को मापदंड बनाकर आरक्षण का लाभ देना। यह उन लोगों को प्राथमिकता देता है जो सबसे ज्यादा आर्थिक कठिनाइयों का सामना कर रहे हैं।
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प्रश्न: वर्तमान में आरक्षण किन आधारों पर दिया जाता है?
- उत्तर: भारत में आरक्षण मुख्यतः जाति, जनजाति और पिछड़े वर्गों के आधार पर दिया जाता है। इसमें अनुसूचित जाति (SC), अनुसूचित जनजाति (ST), अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) और हाल ही में आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS) को शामिल किया गया है।
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प्रश्न: क्या आरक्षण पूरी तरह से आर्थिक आधार पर बदल सकता है?
- उत्तर: यह एक विवादास्पद विषय है। कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि जाति और सामाजिक असमानताओं को ध्यान में रखते हुए मौजूदा प्रणाली जारी रहनी चाहिए, जबकि कुछ लोग इसे आर्थिक स्थिति पर आधारित करने की वकालत करते हैं।
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प्रश्न: “Reservation on economic grounds” के पक्ष और विपक्ष क्या हैं?
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- पक्ष: यह गरीबी को खत्म करने और सभी वर्गों के लिए समान अवसर देने में मदद कर सकता है।
- विपक्ष: यह सामाजिक असमानताओं और ऐतिहासिक अन्याय को अनदेखा कर सकता है, जो अब तक की आरक्षण प्रणाली का मूल उद्देश्य था।
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प्रश्न: क्या संविधान में आर्थिक आधार पर आरक्षण का प्रावधान है?
- उत्तर: हां, 103वें संविधान संशोधन के तहत आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS) को आरक्षण का प्रावधान किया गया है, जो 10% तक है। यह मुख्य रूप से गैर-OBC, गैर-SC/ST वर्गों के आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों को लाभ देता है।
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