विशेष शाखा नियमावली का विवरण गोपनीय जानकारी की वजह से सार्वजनिक नहीं किया जा सकता: उच्च न्यायालय |

विशेष शाखा नियमावली का विवरण गोपनीय जानकारी की वजह से सार्वजनिक नहीं किया जा सकता: उच्च न्यायालय

विशेष शाखा नियमावली का विवरण गोपनीय जानकारी की वजह से सार्वजनिक नहीं किया जा सकता: उच्च न्यायालय

:   Modified Date:  October 20, 2024 / 05:17 PM IST, Published Date : October 20, 2024/5:17 pm IST

नयी दिल्ली, 20 अक्टूबर (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने कहा है कि विशेष शाखा नियमावली का विवरण सूचना का अधिकार (आरटीआई) अधिनियम के तहत सार्वजनिक नहीं किया जा सकता क्योंकि इसमें संवेदनशील और गोपनीय जानकारी होती है।

उच्च न्यायालय ने कहा कि इस तरह की जानकारी का खुलासा करने से न केवल दिल्ली पुलिस की विशेष शाखा के कामकाज से समझौता होगा, बल्कि जारी और भविष्य की जांच भी खतरे में पड़ सकती है। इसने कहा कि संबंधित मामला आरटीआई अधिनियम के तहत ‘छूट वाली श्रेणी’ के दायरे में आता है।

न्यायमूर्ति संजीव नरूला ने 3 फरवरी, 2016 को पासपोर्ट सत्यापन पर सभी संलग्नकों/नवीनतम फैसलों/अधिसूचनाओं के साथ संपूर्ण विशेष शाखा नियमावली की प्रमाणित प्रति आरटीआई के तहत उपलब्ध कराने की मांग करने वाली याचिका को खारिज कर दिया।

उन्होंने कहा, ‘‘अदालत की राय में, विशेष शाखा नियमावली का विवरण गोपनीय प्रकृति के कारण सार्वजनिक नहीं किया जा सकता।’’

अदालत ने कहा, ‘‘ऐसी जानकारी का खुलासा न केवल विशेष शाखा के कामकाज से समझौता होगा, बल्कि जारी जांच और भविष्य की जांच को भी खतरे में डाल सकता है। इस प्रकार, आरटीआई अधिनियम के तहत इस मामले को ‘छूट वाली’ श्रेणी में मानने का सीआईसी का निर्णय उचित है।’’

याचिकाकर्ता हरकिशन दास निझावन ने 2016 के अपने आरटीआई आवेदन में विशेष शाखा से कई चीजों के बारे में जानकारी मांगी। इसमें नियमावली की प्रमाणित प्रति की मांग भी शामिल थी जो पासपोर्ट सत्यापन के लिए प्रक्रियात्मक मानदंडों की रूपरेखा बताती है।

अन्य सभी प्रश्नों का उत्तर दे दिया गया, लेकिन अधिकारियों ने आरटीआई अधिनियम के तहत छूट की बात कहकर विशेष शाखा नियमावली की प्रति प्रदान करने से इनकार कर दिया।

इसके बाद याचिकाकर्ता ने अपील अधिकारियों के समक्ष शिकायत की और जवाब न मिलने पर केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) का रुख किया। जब सीआईसी ने भी मामले को ‘छूट की श्रेणी’ वाला मामला करार दिया तो याचिकाकर्ता ने दिल्ली उच्च न्यायालय में याचिका दायर की।

आरटीआई अधिनियम की धारा 8(1)(ए) के तहत अधिकारियों को ऐसी जानकारी देने से छूट दी गई है जो भारत की संप्रभुता और अखंडता, देश की सुरक्षा, या देश के रणनीतिक, वैज्ञानिक या आर्थिक हितों पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकती है।

भाषा नेत्रपाल प्रशांत

प्रशांत

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)