डेरा सच्चा सौदा प्रमुख 20 दिन की पैरोल पर जेल से बाहर आया, शिरोमणि अकाली दल ने जताई आपत्ति |

डेरा सच्चा सौदा प्रमुख 20 दिन की पैरोल पर जेल से बाहर आया, शिरोमणि अकाली दल ने जताई आपत्ति

डेरा सच्चा सौदा प्रमुख 20 दिन की पैरोल पर जेल से बाहर आया, शिरोमणि अकाली दल ने जताई आपत्ति

:   Modified Date:  October 3, 2024 / 12:23 AM IST, Published Date : October 3, 2024/12:23 am IST

(फोटो के साथ)

चंडीगढ़, दो अक्टूबर (भाषा) डेरा सच्चा सौदा प्रमुख और बलात्कार के मामले में दोषी गुरमीत राम रहीम सिंह 20 दिन की पैरोल मिलने के बाद बुधवार को हरियाणा की रोहतक जेल से बाहर आ गया।

सिंह अपनी अस्थायी रिहाई के दौरान उत्तर प्रदेश के बागपत के बरनावा में डेरा आश्रम में रहेगा।

एक अधिकारी ने बताया कि वह आज सुबह कड़ी सुरक्षा के बीच जेल से बाहर आया।

हरियाणा सरकार ने सिंह को 20 दिन पैरोल की अनुमति दी है जबकि इस अवधि के दौरान उसके चुनाव संबंधी गतिविधियों से हिस्सा लेने, भाषण देने और राज्य में रहने पर रोक होगी।

सिंह अपनी दो शिष्याओं से बलात्कार के जुर्म में 2017 से 20 साल जेल की सजा काट रहा है। डेरा प्रमुख और तीन अन्य को 16 साल से भी अधिक समय पहले एक पत्रकार की हत्या के मामले में भी 2019 में दोषी ठहराया गया था।

उसने पांच अक्टूबर को होने वाले हरियाणा विधानसभा चुनाव से पहले 20 दिन की पैरोल का अनुरोध किया था।

पैरोल की शर्तों के अनुसार, डेरा प्रमुख चुनाव संबंधी किसी भी गतिविधि में हिस्सा नहीं लेगा और न ही सार्वजनिक भाषण देगा। इस अवधि के दौरान वह हरियाणा से बाहर रहेगा।

डेरा प्रमुख ने कहा था कि अगर पैरोल मिलती है तो वह बागपत में रहना चाहेगा।

जेल विभाग ने विधानसभा चुनाव के मद्देनजर लागू आदर्श आचार संहिता को देखते हुए हाल में डेरा प्रमुख की पैरोल याचिका को हरियाणा के मुख्य निर्वाचन अधिकारी के कार्यालय को भेजा था।

इस बीच, शिरोमणि अकाली दल (शिअद) के नेता परमबंस सिंह रोमाना ने बुधवार को कहा कि “राम रहीम को बार-बार पैरोल देकर भाजपा यह स्पष्ट कर रही है कि उसे सिख भावनाओं की कोई परवाह नहीं है।”

रोमाना ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर लिखा, “मैंने पहले भी कहा है कि राम रहीम जैसे लोगों को विशेष राहत देकर तथा सिख कैदियों को दो बार सजा काटने के बाद भी जेल में रखकर और उन्हें बुनियादी मानवाधिकारों से भी वंचित कर भाजपा हमारे जख्मों पर नमक छिड़क रही है।”

उन्होंने कहा, “वे इस तरह के फैसले लेते हैं और फिर भी सिख व ग्रामीण आबादी में पैठ बनाने की उम्मीद करते हैं।”

भाषा जोहेब अविनाश

अविनाश

 

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