ताप विद्युत संयंत्रों में एफजीडी प्रौद्योगिकी लगाने से सल्फर डाइऑक्साइड उत्सर्जन 67 फीसदी घटेगा

ताप विद्युत संयंत्रों में एफजीडी प्रौद्योगिकी लगाने से सल्फर डाइऑक्साइड उत्सर्जन 67 फीसदी घटेगा

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  • Publish Date - November 17, 2024 / 08:03 PM IST,
    Updated On - November 17, 2024 / 08:03 PM IST

नयी दिल्ली, 17 नवंबर (भाषा) राष्ट्रीय राजधानी के 300 किलोमीटर के दायरे में स्थित कोयला आधारित 12 ताप विद्युत संयंत्रों (टीपीपी) में ‘फ्लू गैस डीसल्फ्यूराइजेशन (एफजीडी)’ प्रौद्योगिकी लगाने से सल्फर डाइऑक्साइड (एसओ2) के उत्सर्जन में 67 प्रतिशत की कमी आ सकती है। एक नये अध्ययन में यह बात कही गई है।

एफजीडी प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल ताप विद्युत संयंत्रों से निकलने वाले धुंए से सल्फर यौगिक को अलग करने के लिए होता है।

सेंटर फॉर रिसर्च ऑन एनर्जी एंड क्लीन एयर (सीआरईए) के अध्ययन में कहा गया है कि दिल्ली के 300 किलोमीटर के दायरे में 11 कोयला आधारित ताप विद्युत संयंत्र दादरी टीपीपी, गुरु हरगोबिंद टीपीएस, हरदुआगंज टीपीएस, इंदिरा गांधी एसटीपीपी, महात्मा गांधी टीपीएस, पानीपत टीपीएस, राजीव गांधी टीपीएस, राजपुरा टीपीपी, रोपड़ टीपीएस, तलवंडी साबो टीपीपी और यमुना नगर टीपीएस हैं।

इसके अलावा, दिल्ली के आसपास के ताप विद्युत संयंत्रों के बारे में जब इस तरह के निर्णय लिए जा रहे थे, तब उसके 300 किलोमीटर के दायरे से दूर स्थित गोइंदवाला साहिब ताप संयंत्र पर भी विचार किया गया।

अध्ययन में कहा गया है कि जून 2022 और मई 2023 के बीच इन संयंत्रों ने वायुमंडल में 281 किलोटन सल्फर डाइऑक्साइड छोड़ा। इसमें दावा किया गया है कि हालांकि, एफजीडी प्रौद्योगिकी को अपनाने से यह आंकड़ा सालाना सिर्फ 93 किलोटन रह सकता है।

अध्ययन के अनुसार, प्रौद्योगिकी लगाने के 2015 के सरकारी निर्देश के बावजूद केवल दो संयंत्रों-हरियाणा के महात्मा गांधी ताप विद्युत स्टेशन और उत्तर प्रदेश के दादरी ताप विद्युत संयंत्र-ने इस दिशा में प्रगति की है।

अध्ययन के मुताबिक, हरियाणा का संयंत्र पूरी तरह से इस प्रौद्योगिकी से लैस है, जबकि बाकी संयंत्रों ने एफजीडी प्रौद्योगिकी लगाने की कई समयसीमा का पालन नहीं किया।

अध्ययन में ताप विद्युत संयंत्रों से होने वाले उत्सर्जन के प्रभाव की तुलना पराली जलाने से होने वाले उत्सर्जन से की गई है। इसमें पाया गया है कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) के ताप विद्युत संयंत्रों से होने वाला वार्षिक सल्फर डाइऑक्साइड उत्सर्जन (89 लाख टन) पराली को जलाने से होने वाले उत्सर्जन से 16 गुना अधिक है।

भाषा राजकुमार पारुल

पारुल